राजाराम बापू कोऑपरेटिव बैंक समेत पश्चिम महाराष्ट्र के 14 ठिकानों पर ईडी के छापे

मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने पश्चिम महाराष्ट्र में 14 ठिकानों पर छापेमारियां की हैं। ईडी की इन छापेमारियों में से एक नाम राजारामबापू सहकारी बैंक लिमिटेड का है। इस बैंक से जुड़े एक हजार करोड़ के घोटाले में शरद पवार के करीबी और महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटील का नाम सामने आ रहा है। सांगली में हुए इस घोटाले में फर्जी जानकारियां (केवाईसी) देकर ढेर सारे अकाउंट खुलवाए गए और उनसे करोड़ों रुपए के ट्रांजैक्शन किए गए। ऐसे दस ट्रांजैक्शन की जानकारियां ईडी के हाथ लगी हैं। इस मामले में एक सीए की संदिग्ध भूमिका सामने आई है जो कई लोगों और उनसे जुड़़ी अलग-अलग फर्जी कंपनियां बनवाईं और इसके जरिए उनके अकाऊंट में पैसे जमा करवाए फिर उन्हें बैंक से कैश में निकलवाए। कई बड़े उद्योगपतियों के नाम सामने आ रहे हैं जिनमें से कुछ के घर शुक्रवार को ईडी की टीम ने छापेमारियां कीं। इनमें पारेख बंधू (दिनेश पारेख, सुरेश पारेख) का नाम सबसे ऊपर है। साथ ही ईडी की टीम ने पांच बड़े प्यापारियों के ठिकानों पर भी जाकर सर्च ऑपरेशन किया।
ईडी की टीम शुक्रवार को सुबह 9 बजे लोकेशंस पर पहुंच गई और रात ढाई बजे तक ऑपरेशन चलता रहा। एनसीपी सूत्रों ने इस मामले में महाराष्ट्र एनसीपी अध्यक्ष जंयत पाटील का लिंक होने से इनकार किया है। लेकिन जयंत पाटील का फिलहाल इस बारे में कोई बयान नहीं आया है। जांच शुरू है। ईडी को शक है कि बैंक को सारे घोटाले की जानकारियां थीं, बैंक की ओर से उन जानबूझ कर उन जानकारियों को छुपाया गया।
तीन साल पुराने इस मनी लॉन्ड्रिंग केस का खुलासा 2011 में दायर की गई एक एफआईआर के आधार पर जांच के दौरान हुआ। एफआईआर गुड़्स एंड सर्विस टैक्स (त्रस्ञ्ज) विभाग की ओर से वैल्यू एडेड टैक्स पर फर्जी दावे के संबंध में दर्ज किया गया था। सीए का काम यह फर्जी कंपनियों के फर्जी बिलों के आधार पर यह दिखाने का चल रहा था कि उसने इन व्यापारियों और उद्योगपतियों को रॉ मटीरियल्स सप्लाई किए हैं। बदले में उन व्यापारियों और उद्योगपतियों की ओर से बिल क्लियरेंस के नाम पर आरटीजीएस के जरिए फर्जी कंपनियों के नाम से खुले बैंक अकाउंट्स में ट्रांसफर किए जा रहे थे और फिर उन पैसों को बैंक से कैश में निकाल लिया जा रहा था। सीए को इसके बदले कमीशन मिल रहा था। एक बार में तीस करोड़ तक कैश निकाले गए हैं। इसीलिए ईडी को शक है कि बैंक मैनेजमेंट की जानकारी में ये सारा खेल चल रहा था।
इस दौरान ईडी की मुंबई-पुणे में कोविड सेंटर घोटाले को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के आदित्य ठाकरे और संजय राउत के करीबियों के 16 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारियों के बाद एक डायरी हाथ लगी है। इस डायरी में बीएमसी के कई बड़े अधिकारियों, कोविड केयर के नाम पर घोटाले में लिप्त रहे डॉक्टर और बड़े लोगों को कब-कब कितनी रिश्वत दी गई, उन सबकी डिटेल दर्ज है। दो दिनों पहले संजय राउत के करीबी सुजीत पाटकर और आदित्य ठाकरे के करीबी सूरज चव्हाण के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारियां की थीं।
अब उनके अलावा एक यासीर फर्निचरवाला का नाम सामने आ रहा है, उसके बीएमसी के अधिकारियों से अच्छे संबंध रहे हैं। जे।जे। अस्पताल के डॉ। गुप्ता का नाम तो आरोपी में दर्ज है ही। इस बीच महापालिका के तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त पी। वेलरासू की भी अब जांच और पूछताछ होगी। बीएमसी के पर्जेस डिपार्टमेंट से हुए घोटालों के संबंध में उनसे पूछताछ की जाएगी। बीएमसी ने तीन गुना ज्यादा दाम देकर बॉडी बैग और दवाइयां खरीदी थीं।
बता दें कि दो दिनों पहले संजीव जैस्वाल नाम के जिस तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त के घर छापेमारी हुई थी उनके पास से 100 करोड़ की संपत्ति के कागजात, 15 करोड़ की एफडी और 68 लाख रुपए कैश बरामद हुए हैं। बता दें कि फिलहाल अदालत ने 11 जुलाई तक सुजीत पाटकर को गिरफ्तारी से छूट दे दी है।

 

 

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