टीएमसी का इमोशन कार्ड, भाजपा से मिलकर लडऩा जरूरी

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस के लिए ममता बनर्जी के तेवर बदले नजर आ रहे हैं. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में जारी जुबानी जंग को कम करने की कवायद में टीएमसी के प्रवक्ता डेरेक ओब्रायन ने फिर से दोस्ती का राग अलापा है और कांग्रेस से गोवा विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए हाथ मिलाने की बात कही है. बता दें कि पिछले कुछ समय से ये दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रही हैं.
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच चल रही रार के बीच अपने बयान में तृणमूल कांग्रेस नेता ओब्रायन ने कहा कि हमें अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है, हम विपक्ष में समान रूप से भागीदार हैं. आपसे में एक दूसरे से लडऩा छोडक़र हमें एक दूसरे के साथ आना चाहिए आखिर हम सभी विपक्ष का चेहरा हैं और हमारा मकसद भाजपा को हराना है.
दीदी की पार्टी की ओर से यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब कि दोनों पार्टियों के बीच लगातार खींचतान जारी है. टीएमसी का कहना है कि भाजपा के खिलाफ समूचे विपक्ष को एक साथ लाने के लिए अंतहीनक इंतजार नहीं कर सकती है, वहीं कांग्रेस के तेवर अपनी जगहर फिलहाल बरकरार दिख रहे हैं.
मामला दरअसल कुछ यूं है कि कांग्रेस ने गोवा टीएमसी के विधानसभा चुनाव लडऩे की मंशा पर ही सवालिया निशान लगाने की कोशिश की है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि चुनाव कोई पर्यटन जैसा काम नहीं है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस को खुद से पूछना चाहिए कि आखिर उनका चुनावी मुद्दा क्या है? क्या वह भाजपा को और मजबूत कर रहे हैं या वे असल में गोवा की राजनीति में अपनी जगह के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं हालांकि, टीएमसी ने ऐसे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और पार्टी एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने जनता का समर्थन खो दिया है.
यहां पर गौर करने लायक बात यह है कि यह बयान ऐसे समय में आया है, जब तृणमूल कांग्रेस के नेता सुखेंदु शेखर राय ने कहा कि समूचे विपक्ष को गठबंधन करने का प्रस्ताव पश्चिम बंगाल की सीएम की तरफ से दिया गया था. उनहोंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत अन्य नेताओं से भी मुलाकात भी की थी. टीएमसी नेता ने कहा कि हमने छह महीने तक इंतजार किया, लेकिन किसी ने भी कोई प्रतिक्रिया या पहल नहीं की इसलिए हम आगे बढ़े हैं. टीएमसी और कांग्रेस के बीच विवाद सोमवार को उस समय और बढ़ गया जब तृणमूल ने कांग्रेस नेतृत्व को सत्तारूढ़ भाजपा का सबसे बड़ा हितैषी बताया. गांधी परिवार का नाम लिए बगैर पार्टी ने ट्विटर पर कांग्रेस पर सीधा हमला बोला दिया.

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