कांग्रेस में उत्साह, आसान हुई आगे की राह

कमलनाथ-दिग्विजय की जुगलबंदी, भाजपा के लिए खतरा

  • मध्यप्रदेश पर सत्ता कब्जाने की तैयारी
  • शिवराज सरकार से नाराजगी का उठा सकते हैं लाभ

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कर्नाटक चुनावों के नतीजे ने कांग्रेस को संजीवनी दे दी है। मध्यप्रदेश में कांग्रेस थोड़ा भी मेहनत कर ले तो वह सत्त्ता में वापसी कर सकती है। 2024 में भी वह बीजेपी को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में आ गई। मध्य प्रदेश में बीजेपी में सबकुछ ठीक नही चल रहा। पिछले कुछ दिनों से वहां के दिग्गज बीजेपी नेताओं के बयान इस ओर इशारा कर रह है कि वहां के संगठन में आपसी मनमुटाव चल रहा है।
ऐसे में अगर भाजपा के अंर्तक लह, शिवराज के खिलाफ नाराजगी व सत्ता विरोधी लहर को कांग्रेस भुना ले तो मध्य प्रदेश उनके कब्जे में आ सकता है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस जश्न मना रही है और कार्यकर्ता नए उत्साह और जोश के साथ मैदान में उतरने को तैयार हैं। कर्नाटक और मध्य प्रदेश में बहुत सी समानताएं हैं। कर्नाटक की तरह ही मध्य प्रदेश में भी भाजपा-कांग्रेस में सीधा मुकाबला है। यहां भी भ्रष्टाचार एक अहम मुद्दा है। हनुमान भक्त कमलनाथ के मैदान पकडऩे से भाजपा का हिंदू कार्ड बेअसर हो सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अपनी रणनीति को आकार देना शुरू कर दिया है।

हनुमान भक्त कमलनाथ से आस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक में बजरंग बली और कांग्रेस के कार्यकर्ता की जीत हुई। साफ है कि वह अपनी हनुमान भक्त की छवि को आगे ले जाना चाहेंगे। कर्नाटक में कांग्रेस ने 40 प्रतिशत कमीशन का मुद्दा उठाकर लुभावने वादे किए और भ्रष्टाचार को टारगेट किया। कांग्रेस मध्य प्रदेश में भी इसी बात को लेकर कायम है। इसी वजह से उसका फोकस ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों के कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल होने को मुद्दा बनाए रखना होगा।

भ्रष्टाचार, रोजगार, ओपीएस बन सकते हैं गेम चेंजर

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस को भ्रष्टाचार, रोजगार, ओल्ड पेंशन स्कीम, किसानों के मुद्दे पर जीत मिली है। मध्य प्रदेश में भी मुद्दे कमोबेश यही रहने वाले हैं। छत्तीसगढ़ और राजस्थान की तर्ज पर ओल्ड पेंशन स्कीम लाने की कोशिश रहेगी। साथ ही भाजपा की लाड़ली बहना योजना के जवाब में कांग्रेस नारी सम्मान योजना को आगे बढ़ाएगी। वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया का कहना है कि कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने फ्रीबीज की स्कीम्स का सहारा लिया। मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ऐसी ही घोषणाएं वचन पत्र में कर सकती हैं। किसानों के कर्ज माफी, बेरोजगारी भत्ता जैसी घोषणाएं तो रहेंगी ही। शिवराज सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस हर तरह के हथियार का इस्तेमाल करेगी।

नारी सम्मान योजना का लाभ

शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना में एक करोड़ 25 लाख महिलाओं ने फॉर्म भरे है। इसमें पात्र महिलाओं को जून माह से एक हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे। इसकी काट में कमलनाथ ने नारी सम्मान योजना लॉन्च करने का वादा किया है। महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर और 1500 रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया गया है। इसका फायदा लाड़ली बहना स्कीम से छूटी महिलाओं को भी मिलेगा।

एकजुट नजर आ रही है कांग्रेस

कर्नाटक ने जो बड़ा मंत्र कांग्रेस को दिया है, वह है एकजुटता का। असंतुष्ट और नाराज नेताओं को साधने के लिए कांग्रेस प्रयत्नशील है। साथ ही पहले से ज्यादा एकजुट नजर आ रही है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी को कांग्रेस में शामिल कर लिया है। यानी भाजपा से नाराज नेताओं को भी जोडऩे से कांग्रेस को गुरेज नहीं है। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के भाजपा में जाने के बाद से ही समीकरण गड़बड़ाए हैं। इसका लाभ कांग्रेस उठाना चाहती है।

एंटी-इनकम्बेंसी का भी असर

कमलनाथ के 15 महीने छोड़ दें तो करीब 20 साल से मध्य प्रदेश में भाजपा का ही राज है। उमा भारती और बाबुलाल गौर के बाद शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने। शिवराज की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी है। इसके बाद भी कई बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की छापेमारी में बाबू और पटवारी तक करोड़पति निकले हैं। हाल ही में कारम डैम, नर्सिंग घोटाला, एएनएम पेपर लीक जैसे मामले भी सामने आए है। इन्हें मुद्दा बनाकर भाजपा को घेरा जाएगा। मध्य प्रदेश में कर्मचारी वर्ग का एक बड़ा वोटबैंक है। उनके लिए कांग्रेस पहले ही ओल्ड पेंशन स्कीम को दोबारा लाने की घोषणा कर चुकी है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर आशा कार्यकर्ता और पैरा मेडिकल स्टाफ प्रदर्शन करता रहा है। सरकारी कर्मचारियों का बड़ा तबका ओल्ड पेंशन स्कीम के नाम पर कांग्रेस के साथ खड़ा दिखता है। बेरोजगारी भी एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर कांग्रेस ने एमपी की शिवराज सरकार को घेरा है। कर्मचारी चयन आयोग और पीएससी की भर्तियां भी अटकी पड़ी हैं।

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