पर्यावरण प्रेमियों ने कर्मनाशा में डुबकी लगाकर तोड़ा मिथक

जीवनदायिनी कर्मनाशा नदी को नहीं कहा जा सकता शापित: निलय

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
दिल्ली। मकर संक्रांति पर्व पर कर्मनाशा नदी में डुबकी लगाकर इस मिथक को तोड़ा गया कि इस नदी में स्नान से व्यक्ति के सारे कर्म नष्ट हो जाते हैं। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में नल दमयंती घाट पर निलय उपाध्याय, विजय शंकर चतुर्वेदी व विजय विनीत ने स्नान कर मिथक तोडऩे का कार्य किया।
निलय उपाध्याय ने कहा कि जो नदी जीवनदायिनी है उसे शापित कहा ही नहीं जा सकता। किसी भी पुराण में इस मिथक से संबंधित कोई भी उल्लेख नहीं है। यह सिर्फ एक मिथक है। यथार्थ नहीं बदलता, समय और भाषा बदलती है। आज हम सब हजारों वर्ष की विडंबना को छोड़कर नए यथार्थ की भूमि पर खड़े हैं। अब इस यज्ञ के बाद कर्मनाशा शापित नहीं रही। पर्यावरण पर कार्य कर रहे वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि जीवन देने वाली नदी या पंचतत्व की जल प्रतिनिधि को कौन शापित कर सकता है? यह कार्य विंध्य क्षेत्र का सांस्कृतिक नवजागरण है। विजय विनीत ने कहा कि सम्पूर्ण विंध्य क्षेत्र के अन्नपूर्णा बनी इस नदी को अभिशप्त कैसे कह जा सकता है। नगवा बांध से कर्मनाशा का जल धनरौल बांध में आता है जिससे सिर्फ सोनभद्र ही नहीं मिर्जापुर जिले में भी सिंचाई होती है। चन्दौली जिले में कर्मनाशा पर बने बांध उस जिले की हरीतिमा का मुख्य आधार हैं, फिर हम इसको शापित कैसे कह सकते हैं। इस मौके पर सनोज तिवारी, पूर्व क्षेत्र प्रमुख प्रवीण सिंह, सुमित शाह, श्यामसुंदर पांडेय, विनय पांडेय, बसंत कुमार सिंह , बमबम सिंह, परमा गुप्ता, विरेन्द्र दुबे, रामसूरत गुप्ता, अवधेश पटेल व सुनील सिंह राजेश सोनी, शिव नरायन प्रजापति आदि मौजूद रहे।

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