किसानों के आंसुओं की जीत, तीनों काले कृषि कानून होंगे वापस

चुनावों को लेकर दबाव में थी मोदी सरकार

  • प्रधानमंत्री का चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक

लखनऊ। आखिरकार मोदी सरकार को झुकना पड़ा। 14 महीने की तकरार, एक साल लंबा आंदोलन, 11 दौर की बातचीत, सुप्रीम कोर्ट का दखल और 700 से ज्यादा किसानों की मौत के बाद पीएम मोदी ने आज सुबह नौ बजे देश के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की। इसी महीने होने वाले संसद सत्र में इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। पीएम मोदी ने कहा, मैं देश की जनता से सच्चे और नेक दिल से माफी मांगता हूं। हम किसानों को नहीं समझा पाए। हमारे प्रयासों में कुछ कमी रही होगी कि हम कुछ किसानों को मना नहीं पाए।

किसानों ने पिछले साल जुलाई में पंजाब में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना विरोध शुरू किया था। उन्होंने पिछले साल नवंबर में विरोध के रंगमंच को दिल्ली की सीमाओं पर स्थानांतरित कर दिया। किसानों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय मंत्रियों के बीच लगभग एक दर्जन दौर की वार्ता गतिरोध को हल करने में विफल रही। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनिश्चित काल के लिए कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने के बावजूद किसान तीन कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। अंतत: आज देश का अन्नदाता जीत गया। वहीं विपक्ष ने मोदी सरकार व बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर दबाव में थी मोदी सरकार इसलिए तीनों काले कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है।

बीजेपी को किसानों के हित से नहीं, वोट से मतलब : अखिलेश यादव

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी को किसानों के हित से नहीं, वोट से मतलब है। हालांकि उन्होंने कृषि कानूनों की वापसी लोकतंत्र की जीत बताया। अखिलेश ने कहा जिन किसानों ने जानें गवाईं है, उनके परिवारवाले कभी बीजेपी को माफ नहीं करेगी। साथ ही किसानों की फसल का उचित दाम न मिलने पर जनता माफ नहीं अगले चुनाव में साफ करेगी।

अखिलेश यादव ने कहा कि अमीरों की भाजपा ने भूमि अधिग्रहण व काले कानूनों से गरीबों-किसानों को ठगना चाहा। कील लगाई, बाल खींचते कार्टून बनाए, जीप चढ़ाई लेकिन सपा की पूर्वांचल की विजय यात्रा के जन समर्थन से डरकर काले-कानून वापस ले ही लिए। भाजपा बताए सैंकड़ों किसानों की मौत के दोषियों को सजा कब मिलेगी।

आखिरकार अन्नदाता जीत गया। सरकार को झुकना ही पड़ा। यह किसानों की जीत है, हम सबकी जीत है। देश की जीत है। किसानों को बधाई।
जयंत चौधरी, अध्यक्ष रालोद

किसान आंदोलन तत्काल वापस नहीं लेंगे। हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानून को संसद में रद्ïद किया जाएगा। सरकार एमएसपी के साथ किसानों के दूसरे मुद्ïदों पर भी बातचीत करें।
– राकेश टिकैत, प्रवक्ता भाकियू

कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला भी ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री हमेशा किसानों के बारे में सोचते हैं। मैं इस निर्णय के लिए प्रधानमंत्री का स्वागत करता हूं।
ब्रजेश पाठक, कानून मंत्री

सरकार ने किसानों से संवाद का काफी प्रयास किया, लेकिन किसी स्तर पर कमी होने के कारण जब बात नहीं बनी तो प्रधानमंत्री ने बड़ा दिल दिखाया। मैं प्रधानमंत्री के इस कदम का स्वागत करता हूं।
– योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री

लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसानों की मेहनत रंग लाई है। केंद्र सरकार ने उन विवादित कानूनों को वापस लेने की घोषणा अति देर से की जबकि उनको यह फैसला बहुत पहले ले लेना चाहिए था।
मायावती, बसपा प्रमुख

आंदोलनजीवी, गुंडे, आतंकी और देशद्रोही किसानों को कहा गया? मगर अब सरकार को समझ आ गया है कि देश में किसानों से बड़ा कोई नहीं है। माफी मांगने से क्या होगा? पहले वो अपने मंत्री को बर्खास्त करें, जिनके बेटे ने किसानों को कुचला।
प्रियंका गांधी, कांग्रेस महासचिव

ये किसान आंदोलन की जीत और मोदी के अहंकार की हार है। आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवार को एक-एक करोड़ मुआवजा, सरकारी नौकरी और शहीद का दर्जा दिया जाये।
संजय सिंह, सांसद आप

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