बुलडोजर को रोकने से सरकार जल्लाद बनने से बची: गवई

  • सीजेआई ने कहा- घरों को मनमाने तरीके से गिराना असंवैधानिक

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश ने बुलडोजर जस्टिस पर एक बार फिर सवाल उठाते हुए बताया है कि किस तरह हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर न्याय पर प्रतिबंध लगाया और कार्यपालिका को न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद बनने से रोका। हम आपको बता दें कि भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने इटली के शीर्ष न्यायाधीशों की सभा को संबोधित करते हुए पिछले 75 वर्षों में गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक न्याय दिलाने में सुप्रीम कोर्ट के योगदान को रेखांकित करते हुए यह बात कही।
सीजेआई गवई ने कहा कि अपराध के आरोपी व्यक्तियों के घरों को मनमाने तरीके से गिराना, कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार करना और नागरिकों के आवास के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन करना, असंवैधानिक है। सीजेआई ने कहा, कार्यपालिका (सरकार) एक साथ न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लेख किया जिसमें कहा गया था, घर का निर्माण सामाजिक-आर्थिक अधिकारों का एक पहलू है। एक आम नागरिक के लिए, घर का निर्माण वर्षों की मेहनत, सपनों और आकांक्षाओं की परिणति होता है। एक घर केवल संपत्ति नहीं होता, बल्कि यह एक परिवार या व्यक्ति की स्थिरता, सुरक्षा और भविष्य की सामूहिक आशाओं का प्रतीक होता है। सीजेआई गवई ने कहा, पिछले 75 वर्षों को देखते हुए यह निर्विवाद है कि भारतीय संविधान ने आम लोगों के जीवन में बदलाव लाने की दिशा में निरंतर प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि, निदेशक सिद्धांतों के कई पहलुओं को मौलिक अधिकारों के रूप में पढक़र या कानून बनाकर लागू किया गया है। हम आपको बता दें कि ष्टछ्वढ्ढ बीआर गवई भारतीय संविधान के 75 वर्षों के सफर से संबंधित विषय पर इटली की मिलान कोर्ट ऑफ अपील में बोल रहे थे।

विकास समावेशी हो, अवसरों का समान वितरण होना जरूरी

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्याय एक अमूर्त आदर्श नहीं है और इसे सामाजिक संरचनाओं, अवसरों के वितरण और लोगों के रहने की स्थितियों में जड़ें जमानी चाहिए। उन्होंने कहा, किसी भी देश के लिए, सामाजिक-आर्थिक न्याय राष्ट्रीय प्रगति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह सुनिश्चित करता है कि विकास समावेशी हो, अवसरों का समान वितरण हो और सभी व्यक्ति, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, सम्मान और स्वतंत्रता के साथ रह सकें। भाषण देने के लिए आमंत्रित करने पर चैंबर ऑफ इंटरनेशनल लॉयर्स को धन्यवाद देते हुए, न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि सामाजिक-आर्थिक न्याय प्रदान करने में पिछले 75 वर्षों में भारतीय संविधान की यात्रा महान महत्वाकांक्षा और महत्वपूर्ण सफलताओं की कहानी है।

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