बहुत आगे तक ले जाना है शिक्षा को : राज्यपाल
लखनऊ। कक्षा को ऐसे ही क्लास नहीं कहते। बचपन की हो, चाहे कॉलेज की या देश के सबसे बड़े तकनीकी विश्वविद्यालय की। क्लास का हौवा तो सिर चढ़कर बोलता ही है। चाहे पढ़ने वाला कोई भी क्यों न हो। सामान्य विद्यार्थी, अफसर, सरकार के मंत्री अथवा खुद कुलपति। उस पर कभी भी पूछे जाने वाले सवाल? विषय की जानकारी रखने वालों के लिए तो ठीक, बाकियों का काटे नहीं कटता क्लास का मुश्किल समय…। इसी कड़ी में कल डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में कुछ ऐसी ही क्लास से हो गया हमारे कुलपतियों का सामना। फिर क्या, सामने सब कुछ वही घूम गया, जो स्कूल-कालेजों में जो घटता रहा है। आम विद्यार्थियों की तरह व्यवहार करते नजर आए सारे के सारे…। मजेदार बात यह रही कि राज्यपाल की क्लास में मंत्री और अपर मुख्य सचिव आगे बैठने वालों में रहे, जबकि कुलपति बैक बेंचर। सवाल उठने पर ताका-झांकी भी होती, मगर अल्टीमेटम का असर था कि क्लास में बैठे कुलपति सुबह से शाम तक कुर्सी से चिपके रहे। हालांकि, मध्यांतर और चायकाल होते ही शरारती शिगूफे शुरू हो गए। हां, कुछ ऐसे भी थे जो अनुशासित विद्यार्थियों की तरह राज्यपाल और विषय विशेषज्ञ के लेक्चर सुनने और महत्वपूर्ण बिंदुओं को नोट करने में जुटे रहे…। इस मौके पर राज्यपाल ने अभिभावक की तरह सलाह के साथ नसीहत भी दी। कुलपति तब सहम उठे जब राज्यपाल ने कहा कि आपस में झगड़े करना, विश्वविद्यालयों में एक-दूसरे के खिलाफ साजिश करना बंद करिए। सिर्फ शैक्षिक सुधार और विकास पर ध्यान केंद्रित करिए। नैक डायरेक्टर प्रो एससी शर्मा और अपर मुख्य सचिव मोनिका गर्ग के संबोधन के साथ ही अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता ने दो दिवसीय नैक मंथन कार्यक्रम की जानकारी दी। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री तथा चिकित्सा शिक्षा मंत्री बृजेश पाठक, प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल, मंत्री सूर्य प्रताप शाही समेत नैक व यूजीसी के सदस्य मौजूद रहे।
अब खेत और सड़क पर नजर नहीं आएंगे निराश्रित पशु : धर्मपाल सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निराश्रित पशुओं की समस्या से जनता को निजात दिलाने के प्रधानमंत्री मोदी के वादे को पूरा करने के लिए पशुधन व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह अफसरों को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं, जिससे मजबूती के साथ इस समस्या से छुटकारा पाया जा सके। पशुधन व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि निराश्रित पशुओं की समस्या के स्थायी समाधान के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाएगी। निकट भविष्य में निराश्रित पशु खेतों व सड़कों पर दिखायी नहीं देंगे, बल्कि उन्हें गोशाला व पशुपालक रखेंगे। इस समस्या को चुनौती के रूप में लेते हुए रणनीति बनाकर इसे अवसर के रूप में बदलने के हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। इस समस्या को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए किसानों, पशुपालकों व सामाजिक सहयोग लेने की भी जरूरत है। मंत्री धर्मपाल ने विधानभवन स्थित कक्ष में कार्यभार ग्रहण करने के बाद कहा कि गोशालाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि आगामी 100 दिन के कार्यक्रम बनाकर लक्ष्य निर्धारित तय करते हुए उसे धरातल पर उतारने के लिए तेजी से कार्यवाही की जाए। पशुधन व दुग्ध विभाग पशुपालकों से सीधे जुड़ा है इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रम बनाए जाए कि प्रदेश दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर बना रहे।
पशुपालकों को विभाग की संचालित योजनाओं का सीधे लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि मदरसों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ा जाएगा और मदरसों की शिक्षा में आधुनिकीकरण का समावेश करते हुए इसे गुणवत्तापूर्ण बनाए जाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। बता दें कि यूपी चुनाव में निराश्रित पशुओं का मुद्ïदा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी दलों के निशाने पर था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी रैली में कहा था कि दस मार्च को सरकार बनने के बाद सबसे पहले निराश्रित पशुओं के मुद्दे को खत्म किया जाएगा। विधानसभा चुनाव में निराश्रित पशुओं को बड़ा मुद्दा मानते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समस्या का प्रभावी निस्तारण कराने का वादा किया था। इसके बाद से ही अफसर गोबर को धन बनाने के लिए मंथन करने में जुटे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार बनी, मुख्यमंत्री योगी ने पशुओं खासकर गायों की रक्षा करने के साथ उनको कटने से बचाने के वादे पर अमल करते हुए सूबे के सभी अवैध बूचड़खाने बंद करा दिए थे। वहीं, आश्रय स्थल खुलने के बाद लोगों ने यह माना लिया था कि पशुओं का पालन-पोषण अब सरकार करेगी, इसलिए प्रदेश में निराश्रितों की तादाद तेजी से बढ़ी।