क्या वाकई में कम हो गया देश में मोदी का करिश्मा!
राहुल गांधी और शरद पवार कर चुके हैं 24 में बड़े सियासी बदलाव का दावा
- कर्नाटक में मिली हार के बाद से लगातार उठ रहा देश में बदलते माहौल का सवाल
- आरएसएस ने भी माना सिर्फ मोदी और हिंदुत्व चुनाव जीतने के लिए काफी नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। 2024 के लोकसभा चुनाव में अब सिर्फ 8-9 महीनों का ही समय शेष रह गया है। ऐसे में विपक्ष जहां ओर एकजुटता पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, तो वहीं सत्ताधारी दल भाजपा ने भी 24 को लेकर अपनी आगामी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। लेकिन इस बार 24 को लेकर सरकार और प्रधानमंत्री मोदी काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। उसकी प्रमुख वजह है कर्नाटक चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार। दरअसल, कर्नाटक चुनाव में भाजपा ने हिंदुत्व से लेकर मोदी की ब्रांडिंग तक हर दांव आजमा लिया। मोदी ने भी कई रैलियां और रोड शो किए, लेकिन नतीजे भाजपा और मोदी के खिलाफ आए। जिसके बाद से ये चर्चा काफी जोरों से हो रही है कि अब मोदी का मैजिक कम हो रहा है। 2024 में 2014 और 19 वाली लहर नहीं रह गई है और मोदी का करिश्मा फेल हो गया है।
इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान ये कहा था कि एक छिपा हुआ अंडर करंट पैदा हो रहा है और यह अगले लोकसभा चुनाव में लोगों को आश्चर्यचकित करेगा। राहुल ने यहां साफ कहा था कि मुझे लगता है कि मोदी जी हार रहे हैं। इस खबर ने भाजपा और पीएम मोदी की नीदें उड़ा दी थीं। इसके बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी एक कार्यक्रम में ये कहा था कि 24 में देश का माहौल बदल रहा है। शरद पवार ने ये दावा किया कि मौजूदा समय में देश में बीजेपी के खिलाफ लहर है और देश के लोग बदलाव चाहते हैं। एनसीपी चीफ ने कहा कि हालात को देखते हुए मुझे लगता है कि देश में भाजपा विरोधी लहर चल रही है। पवार ने कहा कि कर्नाटक चुनाव के नतीजों को देखते हुए लोग बदलाव के मूड में हैं। अगर लोगों की यही मानसिकता बनी रही तो आने वाले चुनाव में देश में बदलाव आएगा। यानी विपक्ष के दो बड़े नेताओं के इतना बड़ा दावा करने के बाद अब कहीं न कहीं भाजपा और मोदी को भी 24 को लेकर चिंताएं होने लगी हैं। साथ ही अब ये सवाल भी लोगों के दिमाग में गहरा होता जा रहा है कि क्या वाकई में मोदी का करिश्मा अब कम हो रहा है?
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने उठाए बेहतर कदम
संपादकीय में आगे कहा गया कि भाजपा के लिए स्थिति का जायजा लेने का यह सही समय है। क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत नेतृत्व और प्रभावी डिलीवरी के बिना, प्रधानमंत्री मोदी का करिश्मा और हिंदुत्व एक वैचारिक गोंद के रूप में पर्याप्त नहीं होगा। कर्नाटक चुनाव का जिक्र करते हुए आगे लिखा कि मोदी के केंद्र में सत्ता संभालने के बाद पहली बार भाजपा को विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार के आरोपों का बचाव करना पड़ा। सत्तारूढ़ दल ने राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों से मतदाताओं को जोडऩे की पूरी कोशिश की, जबकि कांग्रेस ने इसे स्थानीय स्तर पर बनाए रखने की पूरी कोशिश की। उच्च मतदान वाले चुनावों में पिछले वोट शेयर में भाजपा महत्वपूर्ण रूप से जोडऩे में विफल रही, जिसके परिणामस्वरूप खराब सीट रूपांतरण हुआ। मौजूदा मंत्रियों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भाजपा के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। साथ ही, राष्ट्रीय स्तर के नेतृत्व की भूमिका न्यूनतम होने पर कांग्रेस को फायदा होता है और चुनाव प्रचार को स्थानीय स्तर पर रखा जाता है। यहां आरएसएस ने कांग्रेस की रणनीति की भी तारीफ की। साथ ही भाजपा द्वारा सीनियर लीडर्स की अनदेखी पर भी सवाल उठाए।
आरएसएस की भाजपा और मोदी को नसीहत
लेकिन भाजपा को इससे भी बड़ा झटका तब लगा जब भाजपा के ही बड़े घटक और कहीं न कहीं जनक कहे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस ने भी कर्नाटक चुनाव में मिली हार के बाद 2024 के लिए भाजपा और मोदी को सतर्क करते हुए ये नसीहत दे डाली कि अब देश में पीएम मोदी का वो करिश्मा नहीं रहा है और सिर्फ मोदी के चेहरे व हिंदुत्व के दम पर ही चुनाव नहीं जीते जा सकते। आरएसएस की ये नसीहत भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक बड़ी चेतावनी है। दरअसल, अपने अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर में कर्नाटक हार की समीक्षा करते हुए और आगामी चुनावों के लिए भाजपा को नसीहत देते हुए संपादकीय निकाला। संपादकीय में भाजपा को 2024 को लेकर आत्ममंथन करने की नसीहत देते हुए लिखा गया कि अब सिर्फ मोदी के करिश्मे और हिंदुत्व के दम पर चुनाव नहीं जीता जा सकता। संघ ने अपने मुख्य पत्र ऑर्गेनाइजर में कहा है कि जीत के लिए हर जगह सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी और हिंदुत्व ही काफी नहीं है। संघ ने अपने आर्टिकल में लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा और हिंदुत्सव के विचार सभी जगहों पर चुनाव जीतने के लिए काफी नहीं हैं। आर्टिकल में आगे लिखा कि आइडियोलॉजी और केंद्रीय नेतृत्व बीजेपी के लिए हमेशा सकारात्मक पहलू हो सकते हैं, लेकिन जनता के मन को भी पार्टी को समझना होगा।
राज्यों से भी उठने लगे पार्टी में बगावत के सुर
भाजपा के अंगर भी अब बगावत के सुर उठने तेज हो गए हैं। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में आए दिन पार्टी के अंदर बगवात की खबरें सामने आ रही हैं। महाराष्ट्र में एक ओर जहां कैबिनेट विस्तार को लेकर भाजपा और शिंदे गुट में उठापटक मची हुई है, तो वहीं दूसरी ओर राज्य में भाजपा के दिग्गज दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटियों ने पार्टी से बगावत भरे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। वहीं मध्यप्रदेश में तो भाजपा तीन खेमों में बंटी नजर आ रही है, जिसमें एक शिवराज की भाजपा है, दूसरी महाराज की भाजपा है और तीसरी नाराज भाजपा है। इसके अलावा राजस्थान भाजपा में भी आंतरिक कलह मची हुई है। एक ओर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं, तो दूसरी ओर पार्टी के अन्य सीनियर लीडर हैंैं। तो वहीं हरियाणा में भी सत्ताधारी भाजपा और उसकी सहयोगी जननायक जनता पार्टी के बीच विवाद सतह पर आ चुका है। ऐसे में अलग-अलग राज्यों में भी पार्टी के अंदर मची बगावत पीएम मोदी व भाजपा का बीपी और भी बढ़ा रहे हैं। क्योंकि ये वो ही राज्य हैं जिनमें इस साल या अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
इन घटनाओं से वाकई में बदलेगा 24 का माहौल?
मोदी मैजिक कम होने की लगातार उठ रही आवाजों के बीच पिछले कुछ वक्त में अगर देखें तो देश के अंदर कई ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जिन्होंने सरकार और मोदी की इमेज को नुकसान पहुंचाया है। इसकी एक बड़ी झलक कर्नाटक चुनावो में देखने को मिली। वहीं दूसरी ओर देश में इस बीच कुछ एक ऐसी घटनाएं भी हुईं जिन्होंने ये साबित किया कि अब देश में मोदी विरोधी माहौल बन रहा है। एक ओर पहलवानों का आंदोलन और उस पर सरकार का रूखा रवैया। वहीं हाल ही में ओडिशा के बालासोर में हुआ देश का सबसे बड़ा रेल हादसा। इसके अलावा मणिपुर में जारी हिंसा को रोकने में भी सरकार पूरी तरह से फेल ही हो रही है। हाल ही में हरियाणा में किसानों पर पुलिस ने लाठियां बरसाई हैं। ऐसे में ये कुछ घटनाएं देश में सियासी माहौल को बदल सकती हैं। तो वहीं राजनीतिक दृष्टि से देखें तो विपक्षी दलों के साथ सरकार का जो बदले वाला रवैया रहा है, उसे भी लोगों ने देखा है। ये सभी ऐसी घटनाएं हैं जिन्होंने कहीं न कहीं देश में साहेब की छवि को धूमिल किया है और उनके खिलाफ माहौल तैयार किया है। अब क्या होगा ये तो 24 में ही पता चलेगा।