‘इन गलियों में’ लखनऊ की तंग गलियों से उठी मोहब्बत और भाईचारे की मिसाल
जावेद जाफरी और विवान शाह की दमदार अदाकारी से सजी एक सामाजिक संदेशवाहक फिल्म

लोगों को अपनी ओर खींच रही, रेटिंग में टॉप पर कर रही ट्रेंड
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। निर्देशक अविनाश दास की नई पेशकश ‘इन गलियों में’ हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई है, जो लखनऊ की तंग गलियों की पृष्ठभूमि में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द और सामाजिक ताने-बाने को बखूबी पेश करती है। फिल्म में जावेद जाफऱी, विवान शाह और अवंतिका दासानी मुख्य भूमिकाओं में हैं, जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय से कहानी में जान डाल दी है।
फिल्म की कहानी लखनऊ की दो गलियों—हनुमान गली और रहमान गली—पर केंद्रित है, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग वर्षों से मिल-जुलकर रहते आए हैं। हरि राम (विवान शाह) और शब्बो (अवंतिका दासानी) सब्जी विक्रेता हैं, जिनके बीच एकतरफा प्रेम कहानी चलती है।
मिर्जा (जावेद जाफऱी) चाय और कबाब की दुकान चलाते हैं और अपनी शायरी से मोहब्बत और भाईचारे का पैगाम देते हैं।
कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब एक स्थानीय नेता चुनावी लाभ के लिए इन गलियों में नफरत का बीज बोने की कोशिश करता है।
निर्देशन और पटकथा – सामाजिक संदेश के साथ मनोरंजन का संगम
अविनाश दास ने इस फिल्म के माध्यम से वर्तमान सामाजिक परिदृश्य पर गहरा प्रहार किया है। पुनर्वसु द्वारा लिखित पटकथा में हिंदी, उर्दू और अवधी भाषा का सुंदर संगम देखने को मिलता है, जो फिल्म को और भी प्रामाणिक बनाता है। फिल्म सोशल मीडिया के प्रभाव और उसके सदुपयोग-दुरुपयोग पर भी प्रकाश डालती है।
अभिनय : जावेद जाफ री का उत्कृष्ट प्रदर्शन
मिर्जा के किरदार में जावेद जाफऱी ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों का दिल जीता है। उनकी शायरी और संवाद अदायगी फिल्म की जान हैं। विवान शाह और अवंतिका दासानी ने भी अपने-अपने किरदारों में जान डालने का सफल प्रयास किया है। सुशांत सिंह ने नेता के किरदार में अपनी छाप छोड़ी है।
संगीत : कहानी को संगीतमय स्पर्श
फिल्म का संगीत कहानी के साथ मेल खाता है, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से जोड़ता है। गीतों में स्थानीयता की झलक और मेलोडी का समावेश फिल्म के अनुभव को और भी समृद्ध बनाता है।
जरूर देखें यह फिल्म
‘इन गलियों में’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि समाज के वर्तमान हालात पर एक विचारणीय प्रस्तुति है। यह फिल्म हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे हम अपने आसपास के माहौल को बेहतर बना सकते हैं। जिन दर्शकों को सामाजिक मुद्दों पर आधारित फिल्में पसंद हैं, उन्हें ये फिल्म जरूर देखना चाहिए है।‘इन गलियों में’ वर्तमान समय की एक महत्वपूर्ण फिल्म है, जो मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी देती है। यह फिल्म हमें अपने समाज को समझने और उसमें सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा देती है।
संविधान विरोधी कदमों का समर्थन कर रहे नेताओं से रहें दूर: मदनी
नीतीश, नायडू और चिराग जैसे नेता सत्ता की खातिर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय को कर रहे हैं नजरअंदाज
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक पर रुख को देखते हुए वह नीतीश कुमार, एन चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान के इफ्तार, ईद मिलन और दूसरे कार्यक्रमों का बहिष्कार करेगा तथा दूसरे मुस्लिम संगठनों को भी ऐसा करना चाहिए।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में आरोप लगाया कि ये नेता सरकार के ‘संविधान विरोधी कदमों’ का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया देश में इस समय जिस तरह के हालात हैं और खासकर अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों के साथ जो अन्याय और अत्याचार किया जा रहा है, वह किसी से छुपा नहीं है। लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि खुद को धर्मनिरपेक्ष और मुसलमानों का हमदर्द बताने वाले नेता, जिनकी राजनीतिक सफलता में मुसलमानों का भी योगदान रहा है, वे सत्ता के लालच में न केवल खामोश हैं, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से अन्याय का समर्थन भी कर रहे हैं। अरशद मदनी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे नेता सत्ता की खातिर न केवल मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अन्याय को नजरअंदाज कर रहे हैं, बल्कि देश के संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की भी अनदेखी कर रहे हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक पर नेताओं का रवैया दोहरा चरित्र
वक्फ संशोधन विधेयक पर इन नेताओं का रवैया इनके दोहरे चरित्र को उजागर करता है। ये नेता केवल मुसलमानों के वोट हासिल करने के लिए दिखावे का धर्मनिरपेक्षता को अपनाते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद मुस्लिम समुदाय के मुद्दों को पूरी तरह भुला देते हैं। इसी के मद्देनजर जमीयत उलमा-ए-हिंद ने निर्णय लिया है कि वह ऐसे नेताओं के आयोजनों में शामिल होकर उनकी नीतियों को वैधता प्रदान नहीं करेगी।
यूपी पुलिस को ’सुप्रीम‘ फटकार
जबरन धर्मांतरण एक्ट लगाने पर उठाए सवाल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कथित सामूहिक बलात्कार के एक मामले से निपटने के तरीके को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई और मौखिक रूप से टिप्पणी की कि वह पक्षपाती है और मामले में धर्मांतरण कानून लागू करना अनुचित है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने दो न्यायाधीशों वाली पीठ की अध्यक्षता करते हुए कहा मैं इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहता, राज्य पुलिस भी पक्षपाती है, यह कैसे हो सकता है? तथ्य खुद ही बोलते हैं, और आप बिना किसी कारण के धर्मांतरण अधिनियम लागू कर रहे हैं। पीठ में न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल थे, 5 सितंबर, 2024 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक हिंदू महिला, जिसकी पहले से ही एक बेटी थी, को जबरन इस्लाम में परिवर्तित करने और उसके साथ ‘निकाह’ करने के आरोपी व्यक्ति को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उसे ज़मानत देने से इनकार करते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
हालाँकि, अंतरात्मा और धर्म की स्वतंत्रता के व्यक्तिगत अधिकार को धर्मांतरण के सामूहिक अधिकार के रूप में नहीं समझा जा सकता है, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति और धर्मांतरित होने वाले व्यक्ति दोनों का समान रूप से है।
बिहार दिवस के कार्यक्रम के बीच धंसा स्कूल, एक दर्जन बच्चे हुए घायल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नवगछिया। तिनटंगा प्रखंड के दक्षिण पंचायत अंतर्गत कुतरु मंडल दास टोला प्राथमिक विद्यालय परिसर में अचानक कक्षा की जमीन धंस गई। बिहार दिवस के मौके पर शनिवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान ये हादसा हुआ। इसमें एक दर्जन से अधिक बच्चे गिरकर जख्मी हो गए। घटना के बाद स्कूल में अफरा-तफरी मच गई।
स्थानीय लोगों के सहयोग से सभी घायल बच्चों को स्थानीय चिकित्सकों के माध्यम से उपचार कराया गया। जानकारी के अनुसार प्राथमिक विद्यालय कुतरु मंडल टोला के वर्ग कक्ष एक के भवन में बिहार दिवस का कार्यक्रम चल रहा था। इसी दौरान अचानक उत्तर की ओर की दीवार के नीचे की जमीन धंस गई, जिससे कुर्सियों में बैठे बच्चे गिरकर जख्मी हो गए।
नयी लाशें बिछाने के लिए गड़े मुर्दे उखाड़ दिए: संजय
यूबीटी शिवसेना सांसद बोले- मणिपुर के बाद अब महाराष्ट्र जल रहा है
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राज्यसभा में शिवसेना (यूबीटी) सदस्य संजय राउत ने औरंगजेब की कब्र का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मणिपुर के बाद अब महाराष्ट्र जल रहा है और नागपुर में दंगे हो रहे हैं। शिवसेना सदस्य ने गृह मंत्रालय पर पिछले कुछ सालों में देश को पुलिस राज्य में बदलने का आरोप लगाया।
गृह मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुयी चर्चा में भाग लेते हुए राउत ने सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि देश को अस्थिर करने की कोशिश कर रही ताकतें बार-बार औरंगजेब का नाम ले रही हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों में से कुछ महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं और कुछ केंद्र सरकार में वरिष्ठ पदों पर बैठे हैं। राउत ने मुगल बादशाह की कब्र का जिक्र करते हुए आरोप लगाया, ‘‘नयी लाशें बिछाने के लिए गड़े मुर्दे उखाड़ दिए और वह भी औरंगजेब के नाम पर। आपको औरंगजेब की कब्र तोडऩी है तो आपको किसने रोका है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है। उन्होंने कहा कि अब तक मणिपुर जल रहा था, लेकिन अब महाराष्ट्र भी जल रहा है। राउत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्वाचन क्षेत्र में हुए ‘‘दंगों’’ का जिक्र किया। उन्होंने कहा ‘‘पिछले 300 वर्षों में नागपुर में कोई दंगा नहीं हुआ। यह नागपुर का रिकॉर्ड रहा है।’’
उन्होंने कहा ‘‘अगर औरंगजेब का नाम लेकर बार-बार देश को अस्थिर करने की कोशिश करने वाली शक्तियां, उनमें से कुछ महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और केंद्र सरकार में वरिष्ठ पदों पर हैं…अगर हम उन्हें नहीं रोकेंगे, तो यह देश एकजुट और एकीकृत नहीं रहेगा।’’
देश को ‘पुलिस राज्य’ में बदल दिया गया है
उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना गृह मंत्रालय का काम है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देश को ‘पुलिस राज्य’ में बदल दिया गया है और गृह मंत्रालय राजनीतिक विरोधियों को कमजोर कर रहा है और राजनीतिक दलों को तोड़ रहा है। छत्रपति संभाजीनगर जिले में औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के दौरान पवित्र आयत लिखी चादर जलाने की अफवाहों के बाद सोमवार शाम नागपुर के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर पथराव और आगजनी की घटनाएं हुईं।
मुस्लिम भाइयों और बहनों को धमकाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा : अजित पवार
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने हाल ही में उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का वादा किया है जो मुस्लिम समुदाय को डराने या राज्य में सांप्रदायिक विवाद पैदा करने का प्रयास करते हैं। रमजान के मौके पर मुंबई के मरीन लाइन्स में इफ्तार पार्टी के दौरान बोलते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी-अजित पवार) सुप्रीमो ने कहा, भारत विविधता में एकता का प्रतीक है। हमें किसी भी विभाजनकारी ताकतों के जाल में नहीं फंसना चाहिए। पवार ने कहा कि यदि कोई हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को धमकाने या सांप्रदायिक विवाद पैदा करने की हिम्मत करता है, तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। मुस्लिम समुदाय को अपने समर्थन का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि आपके भाई अजित पवार आपके साथ हैं।
अगर कोई हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को डराने-धमकाने या सांप्रदायिक विवाद पैदा करने की कोशिश करता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। पवार ने आगे कहा कि रमजान सिर्फ़ एक धर्म तक सीमित नहीं है और यह मानवता, त्याग और आत्म-अनुशासन का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह पवित्र महीना लोगों को ज़रूरतमंदों की पीड़ा को समझने के लिए प्रेरित करता है और न सिर्फ़ शरीर बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करता है। पवार की यह टिप्पणी नागपुर में एक अफवाह के बाद हुई झड़प के बाद आई है, जिसमें कहा गया था कि औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर दक्षिणपंथी विरोध प्रदर्शन के दौरान धार्मिक पुस्तकें जला दी गईं।