इकबाल महमूद बोले JPC बेवकूफों की कमेटी, जगदंबिका पाल इकलौते अकलमंद
विधायक इकबाल महमूद ने कहा कि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-ए-उलेमा के साथ खड़े हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः वक्फ संशोधन बिल 2024 पर संसद में लंबे समय से बहस और विवाद चल रहा है….. इस बिल को लेकर संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया था……. जिसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल हैं….. हाल ही में संभल के समाजवादी पार्टी विधायक इकबाल महमूद ने इस कमेटी को लेकर तीखा तंज कसा….. और उन्होंने कहा कि जेपीसी में शामिल सभी सदस्य बेवकूफ हैं….. और केवल जगदंबिका पाल ही इस समिति में एकमात्र समझदार व्यक्ति हैं…… इसके साथ ही…… उन्होंने वक्फ बिल को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड….. और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के साथ खड़े हैं….. यह बयान न केवल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है……. बल्कि बीजेपी को घेरने की एक रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है….. वहीं इस खबर में हम इस बयान के विभिन्न पहलुओं….. इसके राजनीतिक संकेत और वक्फ संशोधन बिल के आसपास के विवादों पर विस्तार से चर्चा करेंगे…..
वक्फ संशोधन बिल 2024 को केंद्र सरकार ने अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किया था……. इसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाना…… वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को बेहतर करना….. और इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना बताया गया….. सरकार का दावा है कि यह बिल वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने…… और गरीब मुस्लिम समुदाय को उनका हक दिलाने के लिए लाया गया है…… केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे पेश करते हुए कहा था कि कुछ लोगों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर रखा है…… जिसे खत्म करने की जरूरत है…… हालांकि, विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इस बिल को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दिया……. इसकी जांच के लिए जेपीसी का गठन किया गया……. जिसमें 31 सदस्य शामिल हैं…… जिनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा से हैं……
आपको बता दें कि संभल से सपा विधायक इकबाल महमूद ने हाल ही में वक्फ बिल….. और जेपीसी को लेकर एक बड़ा बयान दिया….. और उन्होंने कहा कि पार्लियामेंट की जो कमेटी बनाई गई थी…… उसमें सभी लोग बेवकूफ बैठे हुए थे…… वह बेवकूफों की कमेटी थी…… सिर्फ जगदंबिका पाल ही उस कमेटी में इकलौते एक अक्लमंद थे…… यह बयान न केवल जेपीसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है…… बल्कि इसके सदस्यों की योग्यता को भी चुनौती देता है….. इकबाल महमूद ने आगे कहा कि वह वक्फ बिल के मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड….. और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के साथ हैं…… जो इस बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं…… उनका यह बयान बीजेपी और केंद्र सरकार को निशाने पर लेता है…… जो इस बिल को पास करने की कोशिश में लगी है……
वहीं इकबाल महमूद का यह बयान उस समय आया है…… जब वक्फ बिल को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं……. मुस्लिम संगठनों, खासकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ने इस बिल को मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता…… और संपत्तियों पर हमला बताया है…… उनका आरोप है कि सरकार इस बिल के जरिए वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण करना चाहती है…… और इसे गैर-मुस्लिमों के हवाले करना चाहती है…… इकबाल महमूद का बयान इस विरोध को राजनीतिक समर्थन देने की कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है…….. संभल, जो उत्तर प्रदेश का एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है…….. वहां इस मुद्दे को लेकर संवेदनशीलता और भी ज्यादा है…… ऐसे में सपा विधायक का यह बयान स्थानीय स्तर पर समुदाय के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है……
आपको बता दें कि जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल एक अनुभवी बीजेपी सांसद हैं……. जिन्हें इस समिति का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई है…… समिति ने पिछले छह महीनों में कई बैठकें कीं…… और देश भर के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की…… जनवरी 2025 में जेपीसी ने अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार की……. जिसमें 44 संशोधनों पर चर्चा हुई और 14 को बहुमत से स्वीकार किया गया…… वहीं इन संशोधनों में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना…… और महिलाओं के प्रतिनिधित्व को अनिवार्य करना शामिल है…… विपक्ष ने इस प्रक्रिया को अलोकतांत्रिक बताते हुए आरोप लगाया कि…… उनकी असहमति को नजरअंदाज किया गया…… इकबाल महमूद का यह कहना कि जेपीसी में सिर्फ जगदंबिका पाल ही समझदार थे…….. शायद एक व्यंग्य था…… जो समिति के अन्य सदस्यों और इसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल किया गया…..
वहीं इकबाल महमूद की इस बयान से बीजेपी को घेरने की एक बड़ी कोशिश है…… सपा और अन्य विपक्षी दल इस बिल को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का हथियार मानते हैं……. उनका आरोप है कि बीजेपी इस बिल के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही है….. और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर कर रही है…… इकबाल महमूद ने अपने बयान में यह भी कहा कि वक्फ संपत्तियां उनके पूर्वजों ने अल्लाह के नाम पर दान की थीं….. और यह किसी से छीनी हुई नहीं हैं….. और उन्होंने चुनौती दी कि अगर सरकार यह साबित कर दे कि ये संपत्तियां किसी से छीनी गई थीं…… तो वह उन्हें वापस ले सकती है…… यह बयान बीजेपी के उस दावे का जवाब है…… जिसमें कहा गया था कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग हो रहा है…… और इसे नियंत्रित करने की जरूरत है….
आपको बता दें कि वक्फ बिल के विरोध की कई वजहें हैं……. पहला, इसमें गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान है……. जिसे मुस्लिम संगठन अपने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मानते हैं…… वहीं दूसरे, बिल में जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों की जांच करने का अधिकार दिया गया है……. जिसे मनमानी शक्तियों के रूप में देखा जा रहा है……. तीसरा, विपक्ष का कहना है कि यह बिल संविधान की धारा 26 का उल्लंघन करता है……. जो हर धार्मिक समुदाय को अपनी संपत्ति के प्रबंधन का अधिकार देता है……. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे “खतरनाक साजिश” करार दिया…… और देश भर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए……. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया….. और इसे वापस लेने की मांग की……
2024 के लोकसभा चुनावों में सपा ने मुस्लिम-यादव गठजोड़ के दम पर अच्छा प्रदर्शन किया था……. और अब वह इस समुदाय के बीच अपनी स्थिति और मजबूत करना चाहती है….. दूसरी ओर, बीजेपी का कहना है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के गरीब वर्ग को न्याय दिलाने के लिए है…….. न कि किसी के अधिकार छीनने के लिए…… लेकिन विपक्ष इसे सांप्रदायिक रंग देकर बीजेपी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहा है……. वहीं वक्फ संशोधन बिल को लेकर चल रहा विवाद अभी थमने वाला नहीं है…….. इकबाल महमूद का बयान इस बहस में एक नया मोड़ लाया है……. जो न केवल जेपीसी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है……. बल्कि बीजेपी की मंशा को भी चुनौती देता है…… यह बयान सपा की उस रणनीति का हिस्सा है……. जो मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाए रखने…… और बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही है……. दूसरी ओर, बीजेपी इस बिल को पारदर्शिता….. और जवाबदेही का प्रतीक बताकर इसे पारित करने की कोशिश में जुटी है……