यूसीसी और अग्निवीर योजना पर जेडीयू ने साफ किया अपना रुख

जदयू बोली- सभी हितधारकों से बात करके निकालना होगा समाधान, अग्निवीर में भी सुधार की जरूरत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एनडीए की नई सरकार तो बन गई है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार बीजेपी या पीएम मोदी अपनी मनमर्जी नहीं चला पाएंगे। क्योंकि ये बैसाखियों पर टिकी गठबंधन की सरकार है। ऐसे में हर मुद्दे पर हर सहयोगी तैयार हो, ये जरूरी नहीं है। अभी तो सरकार बने एक हफ्ते का भी समय नहीं बीता है, लेकिन कुछ मुद्दों को लेकर सहयोगियों ने बीजेपी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में मुद्दों में समान नागरिक संहिता यानी कि यूसीसी भी एक बड़ा मुद्दा है।
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने इसे मैनिफेस्टो में भी शामिल किया है। ऐसे में अगर बीजेपी को समान नागरिक संहिता को कानून बनाना है तो उन्हें अपने सहयोगियों की भी मदद लेनी पड़ेगी। लेकिन ऐसा लगता है कि उसके कुछ सहयोगी इसमें आपत्ति जता सकते हैं।
समान नागरिक संहिता को लेकर सभी दलों को अपनी अलग-अलग राय है। इसी बीच केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल का पदभार संभालते हुए ये कहना है कि यूसीसी अभी भी सरकार के एजेंडे का हिस्सा हैं। लेकिन इसको लेकर अब जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
वहीं अग्निवीर योजना को लेकर भी जेडीयू का रुख बीजेपी से अलग है। अग्निवीर योजना पर केसी त्यागी का कहना है कि इस योजना से मतदाता नाराज हैं। हम चाहते हैं कि जिन कमियों पर जनता ने सवाल उठाए हैं, उस पर चर्चा होनी चाहिए और उन्हें दूर करना चाहिए।

हमारी पार्टी इसके खिलाफ नहीं : त्यागी

यूसीसी को लेकर जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि हमारी पार्टी यूसीसी के खिलाफ नहीं है। हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर एक आम सहमित बने। 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यूसीसी पर विधि आयोग को एक पत्र भी लिखा था। उन्होंने आगे कहा कि हम इसके खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें सभी हितधारकों से बात करके इसका समाधान निकालना होगा।
नीतीश का कहना था किसी पर नहीं थोपना चाहिए यूसीसी
जाहिर है कि नीतीश कुमार ने 2017 में लिखे अपने पत्र में कहा था कि सरकार को समान नागरिक संहिता लाने की कोशिश करनी चाहिए। ये प्रयास स्थायी और टिकाऊ होना चाहिए। इसके लिए आम सहमति बनना जरूरी है। इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए।। उन्होंने ये भी कहा था कि इसे राजनीतिक साधन के रूप में नहीं बल्कि एक सुधार के रूप में देखना चाहिए।

गम-गुस्सा और पलायन का दर्द

लखनऊ। अकबरनगर इलाके में शुरू हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का आज चौथा दिन है। अकबरनगर द्वितीय के सभी घरों पर सरकारी बुल्डोजर चलने के बाद आज से अब अकबरनगर प्रथम के सभी घरों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जायेगी। मौके पर भारी पुलिस बल और आरएएफ व पीएसी बल मौजूद है। इस कार्रवाई के दौरान कई दर्दनाक मंजर देखने को मिल रहे हैं। एक ओर जहां लोगों में अपने आशियानों के गिराये जाने का दर्द है तो वहीं दूसरी ओर वर्षों से साथ रह रहे अपनों के बिखर जाने का गम भी है। साथ ही बसंतकुंज में मिले नए घरों में अपनी गृहस्थी बसाने की चिंता भी लोगों को सता रही है। जाहिर है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद हो रही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की कमान लखनऊ विकास प्राधिकरण के वीसी डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी ने संभाली है ।

हमें साथ मिलकर काम करने की जरूरत: दिल्ली सरकार

दिल्ली-हरियाणा के बीच पानी विवाद पर हुई सुनवाई
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से की कमेटी गठित करने की मांग

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में जल संकट की समस्या गहराती जा रही है। तो वहीं इस मामले को लेकर अब सियासत भी लगातार जारी है। इस बीच दिल्ली-हरियाणा के बीच पानी विवाद को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि समस्या के निपटारा के लिए सुप्रीम कोर्ट को एक कमेटी का गठन करना चाहिए। दिल्ली सरकार ने याचिका दायर कर मांग की है कि हरियाणा को तुरंत पानी छोडऩे के लिए निर्देश दिया जाए। इसमें कहा गया है कि हीटवेव और भीषण गर्मी के बीच राजधानी के लोगों को पानी की कमी से जूझना पड़ रहा है।
जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने दिल्ली पानी संकट पर सुनवाई की। इस दौरान दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए, जबकि हरियाणा की तरफ से वकील श्याम दीवान ने दलीलें रखीं। सिंघवी ने कहा कि अदालत को एक कमिटी गठित करने के बारे में विचार करना चाहिए। ये लोगों के हित में है, क्योंकि पानी जैसी चीजों को कंट्रोल करने वाले बोर्ड नौकरशाही निकायों में सिमट कर रह जाते हैं।

‘तकनीकी कार्यवाही जल संकट का समाधान नहीं’

दिल्ली सरकार के वकील सिंघवी ने कहा कि तकनीकी कार्यवाही दिल्ली के आसन्न जल संकट का समाधान नहीं है। मैंने जो किया है वह यह है कि मैंने सब कुछ एक हलफनामे में डालने का प्रयास किया है। हमें साथ मिलकर काम करना चाहिए, ये उंगलियां उठाने का समय नहीं है। दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि गाडिय़ों को नहीं धोने जैसे निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर अदालत चाहे तो और भी निर्देश जारी कर सकती है, जिन्हें मानने के लिए सरकार तैयार है।

अदालत ने दिल्ली सरकार से किए थे सवाल

इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में पानी की कमी कई वजहों से हो रही है, जिसमें टैंकर माफिया भी शामिल है। दिल्ली सरकार से अदालत ने सवाल किया था कि क्या इस संबंध में कोई कदम उठाए गए हैं। अदालत ने ये भी साफ कर दिया था कि अगर एक्शन नहीं लिया गया तो मामले को दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। दिल्ली में इस वक्त लोगों को भीषण गर्मी के बीच पानी की कमी से जूझना पड़ रहा है।

पीएम की इटली यात्रा पर कांग्रेस ने कसा तंज

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनके तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा को लेकर कटाक्ष किया। कांग्रेस ने कहा कि वह इस साल के जी-7 शिखर सम्मेलन में अपनी कमजोर हुई अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के लिए इटली जा रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारत के दृष्टिकोण से जी7 शिखर सम्मेलनों में सबसे प्रसिद्ध जून 2007 में जर्मनी के हेलिगेंडम में हुआ था, क्योंकि यहीं पर वैश्विक जलवायु परिवर्तन वार्ता में समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रसिद्ध ‘सिंह-मर्केल’ फॉर्मूला पहली बार दुनिया के सामने पेश किया गया था। रमेश ने कहा कि इस पर अभी भी चर्चा होती है। डॉ. मनमोहन सिंह और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने इतिहास रच दिया था। डॉ. मनमोहन सिंह खोखले आत्म-प्रशंसा के माध्यम से नहीं, बल्कि ठोस आधार पर वैश्विक दक्षिण की आवाज बनकर उभरे। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि निश्चित रूप से हमारे ‘एक तिहाई’ प्रधानमंत्री से यह अपेक्षा करना बहुत ज्यादा है कि वे इस इतिहास को जानें या स्वीकार करें, क्योंकि वे इस साल के शिखर सम्मेलन में अपनी कम होती अंतरराष्ट्रीय छवि को बचाने के लिए आज इटली जा रहे हैं। जाहिर है कि पीएम मोदी एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ आज इटली जाएंगे, जहां वे 14 जून को शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में भाग लेंगे।

पेमा खांडू फिर बने अरुणाचल के सीएम

चाउना मीन ने ली उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ
गृहमंत्री अमित शाह व बीजेपी अध्यक्ष नड्डा रहे मौजूद

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश में आज नई सरकार का गठन हो गया। बीजेपी नेता पेमा खांडू ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ चाउना मीन ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। खांडू के साथ-साथ 11 अन्य विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली।
राज्यपाल केटी परनाइक ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य नेताओं की मौजूदगी में मुख्यमंत्री व मंत्रियों को शपथ दिलाई। एक दिन पहले ही खांडू को सर्वसम्मति से भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया था।

कल चुने गए थे विधायक दल के नेता

जाहिर है कि केंद्रीय प्रर्यवेक्षक भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद और तरुण चुघ बुधवार को ईटानगर पहुंचे थे। इस दौरान, उन्होंने भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई और विधायक दल का नेता चुना। शाम को खांडू चुघ और कई विधायकों के साथ राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) केटी परनायक से मुलाकात करने राजभवन पहुंचे। उन्होंने इस दौरान सरकार बनाने का दावा पेश किया। चुघ ने राजभवन में मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बियुराम वाघ ने मुख्यमंत्री के रूप में खांडू के नाम का प्रस्ताव रखा था। पार्टी के सभी 46 विधायकों ने इसका समर्थन किया।

मोनपा जनजाति से आते हैं खांडू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की सराहना करते हुए, खांडू ने भाजपा में विश्वास जताने और उसे लगातार तीसरी बार सत्ता में लाने के लिए राज्य के लोगों को धन्यवाद दिया। 21 अगस्त, 1979 को जन्में पेमा खांडू मोनपा जनजाति से आते हैं। उन्होंने तवांग के बोम्बा में सरकारी माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वर्ष 2000 में उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कला स्नातक की उपाधि हासिल की। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा।

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