Jharkhand: 5 साल बीत गए लेकिन केंद्र ने नहीं की कोई पहल- विनोद कुमार पांडेय

झारखंड में JMM ने 27 मई को सरना धर्म संहिता को मान्यता देने के लिए प्रदर्शन किया. पार्टी ने कहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो राज्य में जनगणना नहीं होने देगी.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने एक बार फिर सरना धर्म संहिता को मान्यता देने की मांग को लेकर अपना रुख कड़ा कर लिया है. मंगलवार, 27 मई को राज्यभर के जिला समाहरणालयों के बाहर जम्म नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जोरदार प्रदर्शन किया. राजधानी रांची में प्रदर्शनकारियों ने राजभवन के पास एकत्र होकर कलेक्ट्रेट तक मार्च निकाला.

इस मौके पर JMM के केंद्रीय महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने साफ कहा कि अगर आगामी जनगणना में सरना धर्म को सातवें कॉलम में स्थान नहीं मिला, तो झारखंड में जनगणना नहीं होने दी जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी आदिवासियों की इस ऐतिहासिक मांग को लगातार नजरअंदाज कर रही है.

पांडेय ने बताया कि झारखंड विधानसभा ने वर्ष 2020 में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि सरना धर्म को एक स्वतंत्र धर्म के रूप में मान्यता दी जाए. उन्होंने कहा, “अब तक लगभग 5 साल बीत चुके हैं, लेकिन केंद्र ने कोई पहल नहीं की है. यह आदिवासी अस्मिता और अस्तित्व का सवाल है. जब तक सरना धर्म संहिता को मान्यता नहीं मिलती, JMM कार्यकर्ता चैन से नहीं बैठेंगे.” इस प्रदर्शन के साथ-साथ साहेबगंज, देवघर, गिरिडीह, धनबाद, जमशेदपुर और खूंटी समेत राज्य के कई हिस्सों में भी प्रदर्शन हुए.

वहीं, BJP ने JMM और कांग्रेस पर इस मुद्दे को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस और JMM सरना संहिता के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरना धर्म संहिता से ज्यादा जरूरी है सरना धर्म और संस्कृति की रक्षा. मरांडी ने वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि झारखंड की कुल आबादी 3.29 करोड़ में से करीब 86 लाख आदिवासी हैं, जिनमें से लगभग 14 लाख ने ईसाई धर्म अपना लिया है. उन्होंने सवाल किया कि जब आदिवासी अपनी जड़ों से दूर होते जा रहे हैं, तो सरना धर्म संहिता का भविष्य क्या होगा?

पूर्व मुख्यमंत्री और BJP नेता रघुबर दास ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जब नरसिंह राव प्रधानमंत्री थे, तब BJP ने सरना धर्म को मान्यता दिलाने की कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस ने उसे नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने कहा, “आज कांग्रेस और JMM सिर्फ दिखावा कर रहे हैं. अगर उन्हें वास्तव में आदिवासियों की चिंता होती, तो अब तक इस मुद्दे का समाधान निकल गया होता.” झारखंड की सियासत में एक बार फिर आदिवासी अस्मिता का सवाल गरमा गया है, और सरना धर्म संहिता इसका केंद्र बिंदु बनती दिख रही है.

Related Articles

Back to top button