केजरीवाल-PK ने ठाना है, भाजपा को रास्ते से हटाना है!
केजरीवाल-PK ने ठाना है, भाजपा को रास्ते से हटाना है!... गुजरात में केजरीवाल, बिहार में पीके! दो राज्यों में एक ही प्लान? रास्ते अलग, मंशा एक, टारगेट बीजेपी...?

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारत की सियासत में इन दिनों दो नाम चर्चा में हैं…… अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर….. भले ही दोनों की राहें अलग हों……. मगर मकसद एक ही नजर आता है…… अपनी-अपनी पार्टी को देश की सियासत में एक मजबूत विकल्प के तौर पर स्थापित करना…… बता दें कि केजरीवाल अपनी आम आदमी पार्टी के साथ गुजरात में नई जमीन तलाश रहे हैं………. तो प्रशांत किशोर बिहार में अपनी जन सुराज पार्टी के जरिए सियासी ताकत जुटाने में जुटे हैं…….. दोनों का दावा है कि वे जनता के लिए बदलाव लाएंगे…….. और इस दावे को हल्के में नहीं लिया जा सकता……. खासकर तब जब दोनों ने हाल के उपचुनावों में अपनी ताकत का लोहा मनवाया हो…….
आपको बता दें कि अरविंद केजरीवाल…… जिन्हें कभी दिल्ली का आम आदमी कहा जाता था…….. अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में हैं……. दिल्ली में 2025 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद AAP को बड़ा झटका लगा……. 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में AAP सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई…….. जबकि बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता हासिल की………. इस हार ने केजरीवाल के सामने सवाल खड़ा कर दिया कि क्या उनका दिल्ली मॉडल अब पुराना पड़ गया है…….
लेकिन केजरीवाल ने हार नहीं मानी……. दिल्ली की हार के बाद उन्होंने गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों पर फोकस बढ़ाया……… खास तौर पर गुजरात में AAP ने हाल ही में विसावदर उपचुनाव में जीत हासिल की…….. यह जीत इसलिए अहम है क्योंकि गुजरात बीजेपी का गढ़ माना जाता है…….. बीजेपी पिछले 30 सालों से गुजरात में सत्ता में है…….. और इस दौरान उसने अपने संगठन और रणनीति को अजेय बना लिया है……. फिर भी AAP के उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने विसावदर में बीजेपी के किरीट पटेल को 17,581 वोटों से हराकर सबको चौंका दिया…….
बता दें कि केजरीवाल ने इस जीत को गुजरात की जनता का संदेश बताया…….. और अहमदाबाद में एक रैली में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात के लोग बीजेपी से तंग आ चुके हैं……. 30 साल के शासन में बीजेपी ने गुजरात को बर्बाद कर दिया……. सूरत जैसे शहर पानी में डूब रहे हैं…….. किसान परेशान हैं…… युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा…… जनता अब AAP को विकल्प के तौर पर देख रही है…….
वहीं केजरीवाल की रणनीति साफ है……… वे बीजेपी के खिलाफ भ्रष्टाचार और कुशासन का मुद्दा उठाकर जनता के बीच अपनी जगह बनाना चाहते हैं……… गुजरात में AAP ने 2022 के विधानसभा चुनाव में 13 फीसदी वोट हासिल किए…… और पांच सीटें जीतीं……. यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका था……… क्योंकि AAP ने ज्यादातर वोट कांग्रेस के हिस्से से ही काटे……
लेकिन सवाल यह है कि क्या केजरीवाल गुजरात में बीजेपी को वाकई टक्कर दे पाएंगे……… जानकारों का मानना है कि AAP की जीत विसावदर जैसे उपचुनावों में तो हो सकती है…….. लेकिन पूरे राज्य में बीजेपी को हराना आसान नहीं है…….. बीजेपी का संगठन, उसकी रणनीति……. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात से गहरा नाता उसे अब भी मजबूत बनाता है…… फिर भी केजरीवाल की सक्रियता और उनकी मुफ्त बिजली, पानी…….. और शिक्षा जैसी योजनाओं का प्रचार गुजरात की जनता को लुभा रही है…….
दूसरी तरफ प्रशांत किशोर जिन्हें कभी सियासी रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता था…….. अब खुद एक नेता बनकर बिहार की सियासत में कूद पड़े हैं……. उनकी जन सुराज पार्टी ने 2024 के बिहार उपचुनाव में चार सीटों पर 10 फीसदी वोट हासिल किए……. यह किसी नई पार्टी के लिए छोटी-मोटी उपलब्धि नहीं है…….
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर का दावा है कि बिहार में उनकी पार्टी न सिर्फ सभी 243 सीटों पर लड़ेगी…… बल्कि सरकार भी बनाएगी…… और उन्होंने नीतीश कुमार की जेडीयू को लेकर बड़ा बयान दिया है…….. जिसमें कहा कि अगर जेडीयू 25 से ज्यादा सीटें जीत लेती है……… तो वे राजनीति छोड़ देंगे…….. यह दावा उनके आत्मविश्वास को दिखाता है……… लेकिन साथ ही यह भी बताता है कि वे बिहार की सियासत को पूरी तरह से बदलने की कोशिश में हैं…….
बता दें कि प्रशांत किशोर की रणनीति बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन सरकार को निशाना बनाती है……. उनका कहना है कि नीतीश कुमार की जेडीयू का बीजेपी में विलय होने वाला है…….. और बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है……. जन सुराज पार्टी सवर्ण, कुर्मी और दलित वोटों पर फोकस कर रही है……… जो बीजेपी और जेडीयू के लिए खतरे की घंटी हो सकता है……. साथ ही अगर जन सुराज मुस्लिम और युवा वोटरों में सेंध लगा पाती है……… तो यह राजद और महागठबंधन के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकता है…….
प्रशांत किशोर की ताकत उनकी रणनीति और जमीनी स्तर पर काम करने की क्षमता में है…….. और उन्होंने बिहार में लंबे समय तक जन सुराज अभियान चलाया……… जिसमें स्कूलों, अस्पतालों……. और बुनियादी सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों को उठाया गया…….. उनकी सभाओं में युवाओं और महिलाओं की भारी भीड़ देखी जा रही है……… जो यह दिखाता है कि उनकी बात लोगों तक पहुंच रही है…….
आपको बता दें कि केजरीवाल और प्रशांत किशोर में एक बड़ी समानता है……… दोनों ही गठबंधन से दूरी बनाकर अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति पर चल रहे हैं……… AAP ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सभी 243 सीटों पर अकेले लड़ने का ऐलान किया है………. इसी तरह, जन सुराज भी बिहार में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी……… दोनों नेताओं का मानना है कि गठबंधन उनकी स्वतंत्र छवि को नुकसान पहुंचा सकता है…….
केजरीवाल ने हाल ही में अहमदाबाद में कहा कि INDIA गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव के लिए था……… अब हमारा किसी से गठबंधन नहीं है……. गुजरात के विसावदर उपचुनाव में कांग्रेस ने हमारे खिलाफ उम्मीदवार उतारा……. जो बीजेपी की मदद के लिए था……. यह बयान उनके गठबंधन विरोधी रुख को साफ करता है……..
बता दें कि प्रशांत किशोर भी गठबंधन से दूरी बनाए हुए हैं……. उनकी रणनीति साफ है…….. जनता के बीच सीधा संवाद और जमीनी मुद्दों पर फोकस…….. दोनों ही नेता भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और खराब बुनियादी ढांचे जैसे मुद्दों को उठाकर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं……..
केजरीवाल और प्रशांत किशोर दोनों ही बीजेपी को अपने निशाने पर रखते हैं……… केजरीवाल का कहना है कि बीजेपी ने गुजरात को बर्बाद कर दिया है…… सूरत में बाढ़, किसानों की बदहाली…….. और युवाओं की बेरोजगारी जैसे मुद्दों को वे जोर-शोर से उठा रहे हैं……. साथ ही वे बीजेपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं…….. गुजरात में AAP नेता चैतर वसावा की गिरफ्तारी को केजरीवाल ने बीजेपी की गुंडागर्दी बताया……..
आपको बता दें कि प्रशांत किशोर भी बीजेपी को बिहार में घेर रहे हैं……. उनका कहना है कि बीजेपी और जेडीयू की गठबंधन सरकार ने बिहार को विकास के मामले में पीछे धकेल दिया है……… स्कूल, अस्पताल, और सड़कों की बदहाल स्थिति को वे अपने अभियान का मुख्य मुद्दा बना रहे हैं……. साथ ही उन्होंने बीजेपी पर जेडीयू को खत्म करने का आरोप लगाया……… जिससे बिहार की जनता में गुस्सा भड़क सकता है…….
केजरीवाल और प्रशांत किशोर के सामने कई चुनौतियां हैं…….. केजरीवाल के लिए गुजरात में बीजेपी का मजबूत संगठन और कांग्रेस का वोट बैंक तोड़ना आसान नहीं होगा…….. विसावदर की जीत भले ही उत्साहजनक हो……. लेकिन पूरे गुजरात में 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराना एक बड़ी चुनौती है……. साथ ही दिल्ली में हार और शराब घोटाले जैसे विवादों ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया है………
प्रशांत किशोर के सामने भी बिहार में जेडीयू, बीजेपी……… और राजद जैसे दिग्गजों की चुनौती है…….. उनकी पार्टी नई है, और संगठन के मामले में अभी उसे समय चाहिए…….. 10 फीसदी वोट भले ही एक अच्छी शुरुआत हो……. लेकिन सरकार बनाने के लिए उन्हें कई गुना ज्यादा मेहनत करनी होगी…….
वहीं अरविंद केजरीवाल और प्रशांत किशोर की सियासी यात्रा भारत की बदलती राजनीति का प्रतीक है……. दोनों ही नेता जनता के बीच जाकर, उनके मुद्दों को उठाकर……… और गठबंधन से दूरी बनाकर एक नया विकल्प पेश कर रहे हैं…….. गुजरात में AAP की जीत और बिहार में जन सुराज की उभरती ताकत यह दिखाती है कि जनता अब नए चेहरों……. और नई सोच को मौका देना चाहती है…….



