खरगे करेंगे कर्नाटक में कांग्रेस का कल्याण, डीके शिवकुमार ने बनाया खास प्लान

बेंगलुरु। लोकसभा चुनावों का बिगुल अब बज चुका है। 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान भी होना है। ऐसे में पूरे देश का सियासी तापमान चढ़ा हुआ है। राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। इस बार सबसे ज्यादा निगाहें टिकी हुई हैं देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर। क्योंकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। ऐसे में इसलिए इस बार का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है। इसीलिए कांग्रेस इस चुनाव में काफी मेहनत भी कर रही है। यही वजह है कि सत्ताधारी दल भाजपा भी कांग्रेस की मेहनत और उसके द्वारा सत्ताधीश बीजेपी पर दागे गए हमलों से काफी परेशान है। इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद से तैयारियों में जुटी कांग्रेस को कर्नाटक से काफी उम्मीदें हैं।

क्योंकि 2023 में हुए प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता पर कब्जा जमाया। कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में भाजपा को ही हराकर प्रदेश की सत्ता हासिल की है। ऐसे में कांग्रेस को अब उम्मीद है कि विधानसभा की तरह ही वो लोकसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन करेगी और प्रदेश की अधिकतर सीटों पर जीत हासिल करेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर भारतीय जनता पार्टी ने कब्जा जमाया था। उस वक्त राज्य में भी भाजपा ही सत्ता में थी। लेकिन अब जब प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस का कब्जा है।

तब बेशक कांग्रेस को उम्मीद है कि वो राज्य की अधिकतर सीटों पर जीत हासिल कर सकेगी। इसके लिए कांग्रेस की प्रदेश इकाई की टीम भी पूरी तरह से मैदान में उतर चुकी है और काफी मेहनत कर रही है। कांग्रेस कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार पर प्रदेश में कांग्रेस की बड़ी जीत की जिम्मेदारी है। क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत और सत्ता हासिल करने में डीके शिवकुमार की बड़ी भूमिका थी। ऐसे में अब लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को ज्यादा सीटें दिलाने में डीके शिवकुमार की भूमिका अहम होने वाली है। इसीलिए डीके शिवकुमार के कंधों पर जिम्मेदारी भी काफी बड़ी है।

डीके शिवकुमार के अलावा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के कंधों पर भी कर्नाटक में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन की जिम्मेदारी होगी। क्योंकि कर्नाटक मल्लिकार्जुन खरगे का गृह राज्य है। और वो प्रदेश का एक बड़ा चेहरा रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद अब लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस के उम्दा प्रदर्शन की जिम्मेदारी मल्लिकार्जुन खरगे के कंधों पर ही टिकी हुई है। कर्नाटक का ‘भूमि पुत्र’ कहे जाने वाले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के लिए राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव एक साल से भी कम समय के अंदर प्रतिष्ठा की एक और लड़ाई के रूप में सामने हैं। खरगे के ऊपर इसलिए भी और बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कर्नाटक में 28 में से केवल एक सीट पर ही सफलता मिली थी। इस लिहाज से खरगे के सामने लक्ष्य बड़ा है। और इसे पाने की जिम्मेदारी खरगे के मजबूत कंधों पर है।

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यदि कांग्रेस खरगे के गृह राज्य में अच्छा प्रदर्शन करती है तो इससे न केवल पार्टी में बल्कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में भी उनका प्रभाव बढ़ेगा। पिछले साल मई में राज्य विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले खरगे ने मतदाताओं से भावनात्मक तार जोड़ते हुए आह्वान किया था कि कर्नाटक के ‘भूमि पुत्र’ के रूप में उनके कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर लोगों को गर्व होना चाहिए। लोगों ने खरगे की इस भावुक अपील को सुना भी और प्रदेश में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सत्ता हासिल की। राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भारी जीत हासिल की।

224 सदस्यीय विधानसभा वाले राज्य में कांग्रेस को 135 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता से बाहर हो गई। कांग्रेस के इस शानदार प्रदर्शन से राष्ट्रीय स्तर पर मल्लिकार्जुन खरगे को काफी मजबूती मिली। इतना ही नहीं उस समय मल्लिकार्जुन खरगे को पार्टी के भीतर मची गुटबाजी को थामने का भी श्रेय दिया गया था। ऐसे में इस बात की पूरी उम्मीद और जाहिर सी बात है कि खरगे कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के अभियान में अपनी पूरी ताकत जरूर लगाएंगे, जो उन तीन राज्यों में से एक है जहां पार्टी सत्ता में है।

कर्नाटक में बड़ी जीत की आस लगाए बैठी कांग्रेस कर्नाटक में मतदाताओं को लुभाने के लिए मुख्य रूप से पांच गारंटी लागू करने की बात कर रही है। इसके अलावा पार्टी जनाधार बढ़ाने, खासतौर पर दलितों तथा वंचित वर्गों से संपर्क साधने के लिए ‘खरगे फैक्टर’ को भुनाने का प्रयास करेगी। क्योंकि मल्लिकार्जुन खरगे खुद दलित समुदाय से आते हैं। इसलिए कांग्रेस खरगे के बहाने दलित कार्ड भी खेलने पर विचार कर रही है। जिसके मुख्य किरदार में भी मल्लिकार्जुन खरगे ही रहने वाले हैं।

मल्लिकार्जुन खरगे के कंधों पर इतनी जिम्मेदारियां इसलिए भी हैं क्योंकि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ मल्लिकार्जुन खरगे प्रदेश की राजनीति का एक बड़ा चेहरा भी रहे हैं। साथ ही खरगे का नाम कभी किसी विवाद भी नहीं आता है। खरगे 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में गुलबर्गा संसदीय सीट से जीत हासिल सांसद भी रहे हैं। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि, उस वक्त उनकी हार भी काफी चर्चा में रही थी। और उस पर कुछ सवाल भी उठाए गए थे। वहीं इस बार उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के नाते और ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दलों के साथ समन्वय की जिम्मेदारियों के चलते चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और पार्टी ने उनके दामाद राधाकृष्ण डोड्डामणि को आगामी चुनाव में गुलबर्गा से उम्मीदवार बनाया है।

हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे खुद अपने गृह क्षेत्र गुलबर्गा से लड़ते तो पार्टी को निश्चित रूप से अच्छा वोट प्रतिशत हासिल करने में मदद मिलती। और वो एक बड़ी जीत हासिल करते।  वहीं कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार खरगे इस बार कर्नाटक में विधानसभा चुनाव की तरह चुनाव प्रचार नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उन्हें देशभर में पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना होगा और लंबी यात्राएं करनी होंगी,. इसके अलावा उन्हें विपक्षी गठबंधन के साथी दलों के साथ संयुक्त रैलियों को भी संबोधित करना होगा। हालांकि, यह भी साफ है कि कर्नाटक में लोकसभा उम्मीदवारों के चयन में खरगे ने अहम भूमिका अदा की है। बता दें कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे कर्नाटक से कांग्रेस के दूसरे अध्यक्ष हैं। इससे पहले पार्टी प्रमुख एस निजालिंगप्पा भी इसी राज्य से थे। मल्लिकार्जुन खरगे पार्टी अध्यक्ष के रूप में जगजीवन राम के बाद दलित समुदाय के दूसरे नेता हैं।

मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा जिस नेता पर कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत की जिम्मेदारी है, वो है कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार। विधानसभा चुनावों में मिली कांग्रेस को सफलात में डीके शिवकुमार की काफी अहम भूमिका रही थी। यही वजह है कि लोकसभा चुनावों में भी डीके शिवकुमार पर सबकी उम्मीदें टिकी हैं। इसीलिए डीके शिवकुमार अब चुनाव प्रचार में भी पूरी तरह से उतर पड़े हैं और लगातार मेहनत कर रहे हैं। इस बीच कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने आम आदमी पार्टी को पत्र लिखकर भाजपा का मुकाबला करने के लिए सभी 28 निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के अभियान में भागीदारी का अनुरोध किया है।

कर्नाटक कांग्रेस इकाई के मुखिया डीके शिवकुमार ने आप के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रू को पत्र लिखकर लोकतंत्र और संविधान को बचाने व कांग्रेस उम्मीदवारों की सफलता के लिए आप कार्यकर्ताओं और नेताओं को तैनात करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से आप सांप्रदायिक ताकतों को चुनौती देगी और धर्मनिरपेक्ष वोटों को एकजुट करेगी। वहीं चंद्रू ने अनुरोध पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए शिवकुमार को अभियान की रणनीति तैयार करने के लिए आप के नेताओं और पदाधिकारियों के साथ बैठक करने का सुझाव दिया। आप से समर्थन का अनुरोध उन कई रणनीतियों में से एक है जिसे कांग्रेस पिछले साल मई में विधानसभा चुनावों में मिली सफलता को दोहराने के लिए अपना रही है। पार्टी भाजपा का मुकाबला करने के लिए निर्वाचन क्षेत्र-वार रणनीति तैयार कर रही है, जिसने क्षेत्रीय पार्टी जद-एस के साथ मिलकर काम किया है।.

फिलहाल ये तय है कि कांग्रेस इस बार कर्नाटक में काफी ज्यादा मेहनत कर रही है और प्रदेश की अधिक से अधिक सीटों पर अपना कब्जा जमाने की रणनीति तैयार कर रही है। यही वजह है कि अबकी बार 400 पार के लक्ष्य को लेकर चल रही भाजपा की नीदें उड़ी हुई हैं। क्योंकि एक ओर जहां कांग्रेस कर्नाटक में काफी मजबूत दिखाई पड़ रही है। तो वहीं दूसरी ओर भाजपा के लिए प्रदेश में आए दिन मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। फिलहाल देखने ये है कि आगे क्या होता है।

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