बांग्लादेश की मंडी जनजाति: यहां पिता अपनी बेटी से ही रचाता है शादी

इक्कीसवीं सदी में भी जारी है ये अजीबो-गरीब कुप्रथा

दुनिया में जितने तरह के समुदाय हैं, उतने ही तरह की परंपराएं भी हैं। हर देश में अलग-अलग समुदाय-जनजातियों के लोग पाए जाते हैं, जो विभिन्न तरह के रीति रिवाजों का पालन करते हैं। इनमें से कुछ परंपराएं इतनी अजीबोगरीब होती है कि उनके बारे में जानकर बहुत हैरानी होती है। कुछ कुप्रथाएं आज भी जारी हैं। आज हम आपको एक ऐसी ही कुप्रथा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पालन बांग्लादेश की एक जनजाति के लोग पुराने समय से करते आ रहे हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि बांग्लादेश की मंडी जनजाति के लोग अपनी बेटी के जवान होते ही उससे शादी कर उसका पति बन जाते हैं। जी हां, यह सुनने में भले ही आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन यह सच है। यहां पिता और बेटी का रिश्ता पति-पत्नी के रिश्ते में बदल दिया जाता है।
रिपोर्ट्स की मानें तो बांग्लादेश की मंडी जनजाति से जुड़ी एक परंपरा कुप्रथा के समान हो चुकी है। दरअसल यहां के मर्द, कम उम्र में विधवा महिला से शादी करते हैं, लेकिन इस शादी के लिए शर्त ये होती है कि आगे चलकर वो उस महिला की बेटी से शादी कर लेगा।
यानी जिस लडक़ी के साथ पहले पिता का रिश्ता होता है आगे चलकर वही पति बन जाता है। हालांकि मर्द जिस लडक़ी से शादी करता है वह उसकी सगी बेटी नहीं होती है, बल्कि महिला की पहली शादी से हुई बेटी (सौतेली बेटी) होती है। आपको बता दें कि इस अजीबोगरीब कुप्रथा के पीछे एक कारण बताया जाता है। वह ये है कि जब कोई महिला कम उम्र में ही विधवा हो जाती है और उसकी एक बेटी होती है, तो वह किसी कम उम्र के लडक़े से शादी करती है। ऐसे में उस महिला को भी एक मर्द का सहारा मिल जाता है। साथ ही शर्त के मुताबिक आगे चलकर उसकी बेटी भी उसी व्यक्ति की पत्नी बन जाती है। बेटी के जवान होते ही मर्द उससे शादी कर लेता है, जिसके बाद बेटी पत्नी होने का हर धर्म निभाती है। माना जाता है कि इस तरह की परंपरा से मां और बेटी दोनों का भविष्य सुरक्षित हो सकता है। मर्द विधवा महिला की देखभाल के साथ उनकी बेटी का भी ख्याल रख सकता है।

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