मोदी-शाह के ऑपरेशन लोटस की खुल गई पोल, विपक्षी विधायकों ने की नीतीश कुमार से मुलाकात

बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। आज इनके साथ तो कल उनके साथ।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ भी कहा नहीं जा सकता है। आज इनके साथ तो कल उनके साथ।

अब देखिए बिहार चुनाव हुआ एनडीए की जीत हुई नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने लेकिन इसके बावजूद हर दिन बिहार से ऐसी खबरें आती रहती हैं जो बताती है कि सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी विधायकों के अपने-अपने संपर्क साधने की खबरें आती हैं तो कभी कभी ऐसे बयान सामने आ जाते हैं जो राजनीतिक भूचाल बनकर टूटते हैं।

अब ताजा बयान देख लीजिए मुकेश सहनी का। वही मुकेश सहनी जो ततीहार चुनाव में महागठबंधन के डिप्‍टी सीएम उम्‍मीदवार थे। VIP प्रमुख मुकेश सहनी लंबे समय बाद सार्वजन‍िक तौर पर दिखे तो उन्होंने सीधा मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भविष्‍यवाणी कर दी। और भविष्यवाणी ऐसी वैसी नहीं बल्कि ऐसी बात कह दी जो नीतीश बाबू सुने तो वो भी हैरान और परेशान हो जाएं। वहीं पर्दे के पीछे विपक्ष के विधायकों के साथ सत्तापक्ष की मुलाकात ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। तो क्या चल रहा है इस समय बिहार में सब बताएंगे आपको इस रिपोर्ट में।

बिहार की राजनीति पर पूरे देश की नजर रहती है और बिहार की राजनीति चलती है नेताओं के बयानों से। शुक्रवार को भी एक ऐसा बयान दिया गया जो आज हर अखबार की हडलाइन बन गया। यहां हम बात कर रहे हैं मुकेश सहनी की जिन्होंने पटना एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में कुछ कह दिया जिसको लेकर कई तरह की अटकलें और कयास लगाए जा रहे हैं। क्योंकि उन्‍होंने जो कहा उससे राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। दरअसल, सहनी ने एक तीर सो दो निशाने लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार कब तक मुख्‍यमंत्री रहेंगे, यह उनको भी नहीं पता। सहनी ने BJP का नाम ल‍िए बिना कहा कि नीतीश कुमार को हटाने का ऑपरेशन चल रहा है। समय आने पर सबकुछ पता चल जाएगा।

मुकेश सहनी के इसी बयान को लेकर बिहार की राजनीति में हलचल मची है। क्योंकि सब जानते हैं कि यहां मुकेश जिस ऑपरेशन की बात कर रहे हैं वो और कोई नहीं बल्कि मोदी-शाह का ऑपरेशन लोटस है। ये वही ऑपरेशन है जिससे मोदी शाह ने अपने कई साथियों को ठिकाने लगाया है और ऐसा लगता है कि अगला नंबर नीतीश कुमार का होने वाला है। और जिस तरीके से बिहार की राजनीति चल रही है उससे तो यही लगता है कि भले ही सीएम की कुर्सी पर नीतीश कुमार बैठ रहे हों लेकिन बिहार की पूरी कमान मोदी-शाह के हाथों में चली गई है।

अब यहां हम बात कर रहे हैं भाजपा के ऑपरेशन लोटस की तो आपको बता दें कि विपक्ष की तरफ से भी एक ऑपरेशन किया जा रहा है जो अब खुलकर तस्वीरों में सामने आ रहा है। आप इस तस्वीर को देखिए। तस्वीर में बैठे AIMIM के विधायक जेडीयू नेताओं से एक साथ मुलाकात करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर के वायरल होते ही चर्चा होने लगी की ओवैसी के पांच विधायकों को नीतीश अपनी पार्टी में शामिल करा रहे हैं ताकि उनकी पार्टी और मजबूत बन सके। वहीं दूसरी जोड़ने घटाने की बात होने लगी।

लोगों ने जोड़ा कि JDU के 85 विधायक हैं, AIMIM के 5 विधायकों के साथ आने पर JDU के 90 विधायक हो जाएँगे। और फिर सारा विपक्ष एकजुट हुआ तो बिहार में अबकी बार इंडिया गठबंधन की सरकार बनाई जा सकती है। अब आपको याद होगा कि बिहार के नतीजों के बाद जब नीतीश के फिर से मुख्यमंत्री बनने की अटकलें तेज थी उस वक्त भी ओवैसी ने नीतीश को अपना समर्थन का ऑफर दिया था कि वो उनको नीतीश को सपोर्ट करने के लिए तैयार हैं अगर वो इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते हैं तो। लेकिन नीतीश मोदी के पैरों में जा कर गिर गए। लेकिन अब लगता है कि नीतीश को अपनी गलती एहसास हो रहा है।

ओवैसी की पार्टी से नीतीश का प्रेम अब खुलकर सामने आने लगा है। 8 दिसम्बर को AIMIM के विधायकों ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश से मुलाकात की जिसके बाद से उनके तेवर ही बदल गए। AIMIM के विधायक अब खुलकर नीतीश के साथ खडे़ नजर आ रहे हैं। नीतीश कुमार से मिलकर AIMIM विधायक नीतीश की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं।AIMIM विधायक मुर्शीद आलम ने कहा कि, हम 2014 से 2024 तक JDU के साथ रहे, नीतीश जी ने मुझे एक प्लेटफॉर्म दिया, जोकीहाट से JDU के टिकट पर हम उपचुनाव लड़े थे, तो कहीं न कहीं बिहार में उन्होंने मुझे पहचान दी है, मैं हमेशा उनके कार्यों से प्रभावित रहा हूं, पांच बार मुखिया रहा हूं।अब देखिए बात हो रही है नेताओं और विधायकों के संपर्क में होने की तो एक दावा सत्तापक्ष की तरफ से भी किया गया है। जदयू नेता नीरज कुमार ने दावा किया है कि आरजेडी के 18 विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में हैं और बहुत जल्द आरजेडी में टूट होने वाली है।

विपक्ष ही नहीं सत्तापक्ष के नेता भी एक दूसरे की पार्टी के विधायकों से संपर्क साध कर पार्टी के तोड़ने की बात कर रहे है। वहीं मुुकेश सहनी की नीतीश कुमार की भविष्यवाणी से हड़कंप मचा दिया है। वहीं जब मुकेश सहनी से विधायकों के जदयू के संपर्क में रहने के दावे पर सवाल किया गया तो उन्‍होंने कहा क‍ि कौन विधायक, क‍िसके संपर्क में है, यह बात सभी जानते हैं। वहीं सहनी ने शिवानंद तिवारी की तेजस्‍वी यादव को नसीहत दिए जाने के सवाल पर कहा, पार्टी में सब तरह के लोग होते हैं।

महागठबंधन में सबको बोलने की आजादी है। चुनाव में कितना मेहनत क‍िए। अभी तो चुनाव हारे हैं, अभी बिहार में रहकर ही क्‍या करेंगे। सबकी निजी जिंदगी होती है। इसके साथ ही सहनी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि क‍ि उन्‍हें तीन महीने का समय दिया गया है, जो वादे किए, उन्‍हें पूरा करे। खासकर जीविका दीदियों को दो-दो लाख रुपये दे। यदि ऐसा नहीं किया तो हम लोग रोड पर आएंगे। अच्‍छे से तैयारी करके आएंगे।

कुल मिलाकर बिहार की राजनीति एक बार फिर उसी मोड़ पर खड़ी नजर आ रही है, जहां स्थिरता सिर्फ एक भ्रम लगती है और हर दिन कोई नया समीकरण जन्म लेता दिखता है। एक तरफ एनडीए की सरकार है और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं, लेकिन दूसरी तरफ सत्ता के भीतर और बाहर चल रही हलचलें यह साफ संकेत दे रही हैं कि सब कुछ सहज नहीं है। मुकेश सहनी का बयान केवल एक राजनीतिक टिप्पणी भर नहीं है, बल्कि वह उस असहजता को उजागर करता है जो लंबे समय से बिहार की राजनीति के अंदर सुलग रही है।भाजपा और जदयू के रिश्ते पहले भी कई बार टूटे-जुड़े हैं और इसलिए “ऑपरेशन” जैसे शब्द अपने आप में बड़े संकेत छोड़ जाते हैं। वहीं दूसरी ओर, AIMIM के विधायकों की नीतीश कुमार से नजदीकियां और तस्वीरों के जरिए सामने आए संदेश यह बताते हैं कि विपक्ष भी हाथ पर हाथ रखकर बैठा नहीं है।

हर पार्टी अपने-अपने हितों के अनुसार संभावनाओं के दरवाजे खुला रखना चाहती है, ताकि वक्त आने पर सत्ता का पलड़ा अपने पक्ष में झुकाया जा सके।आरजेडी और जदयू दोनों की तरफ से विधायकों के संपर्क में होने के दावे यह साबित करते हैं कि यह लड़ाई सिर्फ बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्दे के पीछे गंभीर राजनीतिक गणित चल रहा है। ऐसे माहौल में यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार की राजनीति फिलहाल भरोसे के नहीं, बल्कि शंकाओं और आशंकाओं के सहारे आगे बढ़ रही है.

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