मोदी का गुजरात में चुनावी स्टंट, देश को देंगे बड़ी सौगात

गुजरात के साबरमती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को ‘9000 हॉर्सपावर’ वाला पहला लोकोमोटिव इंजन समर्पित करेंगे...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 और 27 मई को अपने गृह राज्य गुजरात के दौरे पर हैं……. जहां वे दाहोद में देश के पहले 9000 हॉर्सपावर लोकोमोटिव इंजन का लोकार्पण करने जा रहे हैं…… यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ पहल का हिस्सा बताई जा रही है…….. जिसके तहत ₹20,000 करोड़ की लागत से दाहोद में एक अत्याधुनिक रेलवे प्रोडक्शन यूनिट स्थापित की गई है…… इस यूनिट से अगले 10 वर्षों में 1,200 इंजनों के निर्माण का दावा किया जा रहा है……. जो न केवल भारतीय रेलवे की क्षमता को बढ़ाएगा….. बल्कि रोजगार को बढ़ाने का वादा करता है….. लेकिन सवाल यह है कि क्या यह परियोजना वास्तव में भारतीय रेलवे और अर्थव्यवस्था के लिए गेम-चेंजर साबित होगी……. या यह सिर्फ एक और प्रचार-प्रसार का हथकंडा है…… जिसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपनी छवि चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रही है……

2014 में जब नरेंद्र मोदी ने ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की शुरुआत की थी……. तो इसे भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने का सुनहरा सपना बताया गया था……. दाहोद में 9000 HP लोकोमोटिव इंजन की फैक्ट्री को भी इसी अभियान के तहत एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है……. लेकिन विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का कहना है कि यह परियोजना समय से पहले प्रचारित हो रही है….. और इसके पीछे ठोस परिणामों की कमी साफ दिखाई देती है…..

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस परियोजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सरकार हर बार बड़े-बड़े वादों के साथ प्रचार करती है……. लेकिन धरातल पर नतीजे न के बराबर हैं……. दाहोद प्रोजेक्ट की घोषणा वर्षों पहले हो चुकी थी…… लेकिन इसे अब तक पूरा क्यों नहीं किया गया……. क्या यह सिर्फ चुनावी स्टंट है…… खड़गे का यह बयान उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाता है…….. जब हाल ही में पाहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठे हैं……

आपको बता दें कि दाहोद में इस लोकोमोटिव इंजन प्रोजेक्ट को मार्च 2025 तक पूरा करने का वादा किया गया था……. लेकिन इसमें देरी हुई……. यह पहली बार नहीं है जब मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में देरी की बात सामने आई हो……. बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट जिसका शिलान्यास 2017 में हुआ था…… आज भी अधर में लटका है…… गुजरात में ही साबरमती रिवरफ्रंट और अन्य परियोजनाओं के साथ भी यही कहानी दोहराई गई है……. विपक्ष का आरोप है कि सरकार केवल उद्घाटन और लोकार्पण के मौके तलाशती है…… ताकि जनता के बीच अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटा जा सके…..

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर तंज कसते हुए कहा कि मोदी जी को उद्घाटन और रिबन काटने का शौक है……. लेकिन क्या वे यह बता सकते हैं कि इस प्रोजेक्ट से कितने स्थानीय लोगों को रोजगार मिला……. कितने इंजन अब तक बनाए गए…… यह सिर्फ एक और जुमला है……

बता दें कि हाल ही में हुए पाहलगाम आतंकी हमले ने सरकार की सुरक्षा नीतियों को कठघरे में खड़ा किया है…… कांग्रेस ने दावा किया है कि हमले से तीन दिन पहले प्रधानमंत्री को खुफिया जानकारी मिली थी…… फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया……. इस हमले में 26 लोगों की जान गई…… और विपक्ष ने इसे सरकार की नाकामी करार दिया….. खड़गे ने पूछा कि जब सरकार को पहले से जानकारी थी……. तो सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं की गई…… क्या यह केवल प्रचार के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ढोंग रचा गया……

इस बीच बीजेपी ने विपक्ष के इन आरोपों को ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार देते हुए पलटवार किया…… बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस हमेशा देश को कमजोर करने की कोशिश करती है……. ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है……. लेकिन विपक्ष का कहना है कि आतंकवाद के खिलाफ कठोर रुख का दावा करने वाली सरकार दाहोद जैसे प्रोजेक्ट्स को प्रचार के लिए इस्तेमाल करती है…… ताकि जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाया जा सके……

दाहोद लोकोमोटिव प्रोजेक्ट को रोजगार देने का बड़ा माध्यम बताया जा रहा है……. सरकार का दावा है कि यह यूनिट हजारों प्रत्यक्ष….. और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करेगी…… लेकिन स्थानीय लोग और विपक्षी नेता इस दावे पर सवाल उठा रहे हैं……. दाहोद के एक स्थानीय कार्यकर्ता ने बताया कि यहां के युवाओं को अभी तक कोई बड़ा रोजगार नहीं मिला है…….. जो नौकरियां दी गई हैं…… वे ज्यादातर अस्थायी हैं…… बड़े-बड़े ठेकेदारों को फायदा हो रहा है…… लेकिन स्थानीय लोगों को सिर्फ आश्वासन मिले हैं…….

वहीं रोजगार के मुद्दे पर बीजेपी की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है……. सरकार ने यह नहीं बताया कि इस प्रोजेक्ट से कितने स्थायी रोजगार दिए गए हैं…… और कितने स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिला है……. वहीं यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है….. जब देश में बेरोजगारी की दर लगातार चिंता का विषय बनी हुई है…..

वहीं ‘मेक इन इंडिया’ के तहत दाहोद प्रोजेक्ट को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है…… लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह अभियान अब तक अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रहा है……. 2014 से अब तक विनिर्माण क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी वैश्विक स्तर पर ज्यादा नहीं बढ़ी है……. इसके अलावा कई परियोजनाएं या तो कागजों पर हैं…… या फिर देरी का शिकार हो रही हैं…… दाहोद प्रोजेक्ट भी इसकी एक मिसाल है……

आपको बता दें कि विपक्ष का यह भी आरोप है कि सरकार इस तरह की परियोजनाओं को केवल अपने गृह राज्य गुजरात में केंद्रित कर रही है……… ताकि वहां बीजेपी की राजनीतिक जमीन मजबूत हो……. कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने हाल ही में गुजरात में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि मोदी जी हर बार गुजरात को ही क्यों चुनते हैं…… क्या बाकी राज्यों में ऐसी परियोजनाओं की जरूरत नहीं है……

बीजेपी इस लोकोमोटिव इंजन के लोकार्पण को एक ऐतिहासिक कदम बता रही है……. लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह सिर्फ एक और प्रचार-प्रसार का मौका है……. पाहलगाम हमले के बाद सरकार पर दबाव बढ़ा है……. और ऐसे में यह लोकार्पण जनता का ध्यान बंटाने का एक जरिया हो सकता है…… कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि जब देश आतंकवाद से जूझ रहा है…… तब सरकार रिबन काटने में व्यस्त है……

इसके अलावा बीजेपी पर यह भी आरोप लग रहा है कि वह अपने विरोधियों को चुप कराने के लिए सोशल मीडिया…… और प्रचार तंत्र का दुरुपयोग कर रही है……. हाल ही में कांग्रेस के एक सोशल मीडिया पोस्टर……. जिसमें प्रधानमंत्री को ‘गायब’ बताया गया था……. उप पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी…… बीजेपी ने इसे ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार दिया…… लेकिन कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि यह सरकार की नाकामियों को उजागर करने का एक तरीका था……

दाहोद में 9000 HP लोकोमोटिव इंजन का लोकार्पण निश्चित रूप से भारतीय रेलवे के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है……. लेकिन इसके पीछे की सच्चाई को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता….. देरी रोजगार देने में अस्पष्टता…….. और प्रचार पर ज्यादा जोर देने की प्रवृत्ति इस परियोजना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती है…….. विपक्ष का कहना है कि सरकार को केवल उद्घाटन और लोकार्पण की राजनीति से हटकर ठोस परिणामों पर ध्यान देना चाहिए……

वहीं बीजेपी लगातार ‘विकास पुरुष’ की छवि को चमकाने की कोशिश में लगी है……. और इस प्रक्रिया में तकनीकी उपलब्धियों का इस्तेमाल एक राजनीतिक हथियार की तरह किया जा रहा है……. पर जनता अब यह सवाल कर रही है…….. विकास दिखता है….. लेकिन महसूस क्यों नहीं होता….. गुजरात एक बार फिर पीएम मोदी के लिए ‘विकास की प्रयोगशाला’ बना…….. यह वही राज्य है जहां से उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू हुई थी……. और अब भी बीजेपी की सबसे मजबूत राजनीतिक जड़ें वहीं हैं……. लेकिन जब प्रधानमंत्री एक राज्य विशेष को बार-बार प्राथमिकता देते हैं……. जबकि पूरे देश को समान रूप से प्रतिनिधित्व और संसाधनों की ज़रूरत है……. तब सवाल उठता है……. क्या देश चल रहा है या सिर्फ़ गुजरात केंद्रित ब्रांडिंग हो रही है……

देश की सबसे बड़ी समस्याओं में बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा, शिक्षा का गिरता स्तर…… ये सब ऐसे मुद्दे हैं जिन पर कोई ठोस योजना या कार्य नहीं दिख रहा…….. हर बार चुनाव से पहले हाई-प्रोफाइल उद्घाटन, AI और डिजिटल इंडिया की घोषणाएं, और बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास…… क्या ये सब असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की रणनीति बन चुकी है…… बता दें कि एक आम नागरिक जिसने रेलवे में टिकट नहीं लिया….. जो महंगाई से परेशान है….. जिसे अस्पताल में बेड नहीं मिलता…… उसके लिए ये 9000 HP क्या मायने रखता है……

वहीं विकास का मतलब सिर्फ़ इंजन की ताकत नहीं होता….. बल्कि एक आम आदमी की ज़िंदगी में फर्क लाना होता है….. क्या देश के किसान की आमदनी दोगुनी हुई…….. क्या ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की हालत सुधरी……. क्या छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है…… क्या हर युवा को नौकरी मिली…… अगर नहीं तो फिर इन घोषणाओं की कीमत किसके खून-पसीने से चुकाई जा रही है…….

9000 हॉर्सपावर वाला लोकोमोटिव तकनीकी रूप से सराहनीय कदम हो सकता है…… लेकिन अगर इसे चुनावी शोपीस बना दिया जाए तो यह लोकतंत्र की आत्मा के साथ मज़ाक है…… देश को ऐसे इंजन की नहीं…… बल्कि ऐसी नीतियों की ज़रूरत है…… जो हर नागरिक को सशक्त बनाए….. न्याय दे और विकास का हिस्सा बनाए….. वहीं जब हर प्रोजेक्ट को ‘इवेंट’ बना दिया जाए…… हर घोषणा को ‘शो’ और हर नेता को ‘ब्रांड’….. तब लोकतंत्र का मतलब खो जाता है….. भारत को सिर्फ़ पटरियों पर तेज़ दौड़ने वाला इंजन नहीं……. बल्कि समाज के हर तबके को समान गति से साथ लेकर चलने वाली सरकार चाहिए……

 

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