RSS और बीजेपी में ठनी ! भड़के मोहन भागवत ! ‘योगी को हटाया तो खैर नहीं’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर... गुजरात लॉबी और आरएसएस के बीच ठन गई है... दिल्ली में बैठकर मोदी के चाणक्य साहब

4पीएम न्यूज नेटवर्क: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर… गुजरात लॉबी और आरएसएस के बीच ठन गई है… दिल्ली में बैठकर मोदी के चाणक्य साहब… योगी को साइड करने की तैयारी में लगे हैं…. लेकिन जैसे ही अमित शाह की ये रणनीति लीक हुई…
संघ भड़क उठे… संघ ने अपना गुस्सा खुलाकर जाहिर किया है… आरएसएस की तरफ से दिल्ली दरबार को संदेश भेजा गया है कि अगर योगी पर सवाल उठाने की जुर्रत की… तो किसी की खैर नहीं होगी…और आरएसएस ने 2027 की कमान खुद संभालने की बात कह दी है… इधर आरएसएस का मैसेज मोदी-शाह तक पहुंचा… उधर यूपी में केशव प्रसाद के साथ धोखा हो गया.
अमित शाह यूपी पर अपना कंट्रोल चाहते हैं… वो चाहते हैं कि यूपी की कमान दिल्ली के हिसाब से चलें… इसलिए शाह अपने बेहद करीबी नेता… जो लगभग दिल्ली में विराजमान रहते हैं… उनको यूपी की कमान संभालने की जिम्मेदारी सौंपने जा रहे हैं… अब अगर ऐसा हो गया… तो खतरा योगी के लिए बढ़ जाएगा… कैसे.. और किसको यूपी की जिम्मेदारी देने की बात… दिल्ली दरबार में तय हुई है… बताएंगे… लेकिन उससे पहले दैनिक भास्कर की इस खबर पर गौर कीजिए…RSS का मैसेज-योगी पर सवाल उठाया तो बागी मानेंगे… हिंदुओं में एकता रखें… अनबन की खबरें कंट्रोल करें… RSS-BJP मीटिंग की इनसाइड स्टोरी
योगी आदित्यनाथ के काम काज… सरकार चलाने के तौर तरीके से भाजपा अलाकमान खुश नहीं है… योगी पर सवाल उठ रहा है… तभी तो आरएसएस भड़क हुआ है… और गुजरात लॉबी को मैसेज भेजा है… दरअसल 2 दिसंबर को लखनऊ में RSS दफ्तर में…. संघ और BJP की मीटिंग थी… मीटिंग करीब 3 घंटे तक हुई है… जिसमें संगठन मंत्री बीएल संतोष, सह सरकार्यवाह अरुण कुमार और BJP के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी मौजूद थे… इसके बाद एक बैठक BJP ऑफिस में हुई… इसमें CM योगी आदित्यनाथ और यूपी के दोनों डिप्टी CM शामिल हुए… ये मीटिंग करीब सवा घंटे चली…
RSS के सोर्स ने बताया है कि लखनऊ में हुई बैठक की कमान RSS के हाथ में ही थी… औऱ संघ ने मीटिंग में साफ कर दिया कि यूपी चुनाव की बागडोर पूरी तरह पार्टी के हाथों में नहीं दी जाएगी… यानी विधानसभा चुनाव में संघ की बड़ी भूमिका होगी… रणनीति से लेकर फैसलों तक… में आरएसएस की भूमिका रहेगी…
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ये संदेश BJP लीडरशिप के लिए बताया जा रहा है… क्योंकि भाजपा अलाकमान को ऐसा लगता है कि योगी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान ही होता है… 2022 के चुनाव में 2017 के मुकाबले सीटें घट गई थी… 2022 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने योगी के नेतृत्व में लड़ा था… पार्टी ने 2017 में 312 सीटें जीती थीं, जो 2022 में 255 रह गईं… मगर आरएसएस का मानना है कि उस वक्त कई नाम सीएम की रेस में आ गए थे…. इसलिए ऐसा रिजल्ट आया… लेकिन गुजरात लॉबी…. योगी पर कम भरोसा करना चाहती है…. क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव का रिज्लट क्या सामने आया था… आपने देखा था… एनडीए 36 सीटें ही जीत पाई थी… अकेले भाजपा की बात करें तो 33 सीटें ही भाजपा के खाते में आई थी… जोकि 2019 के मुकाबले 29 सीटें कम थी… इस पर योगी के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे…
इसलिए RSS ने विधानसभा चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले ही यूपी में नेतृत्व को लेकर किसी भी तरह का असमंजस पालने वालों को संदेश दे दिया है… RSS की तरफ से कहा गया है कि 2022 जैसी स्थिति दोबारा मंजूर नहीं है… योगी के नेतृत्व पर उंगली उठाने वाले को बागी समझा जाएगा।… पार्टी में जल्द ही बड़े बदलाव किए जाएंगे… ‘मतलब साफ है कि योगी के खिलाफ लॉबिंग करने वालों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और कुछ नए चेहरे शामिल होंगे…. ये भी कहा गया कि ये बातें सिर्फ बैठक तक सीमित न रहे… इसे आम लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंचाना है…
यही नहीं दोस्तों… RSS की तरफ से कहा गया कि BJP के राष्ट्रीय स्तर के नेता भी योगी पर कोई बयान न दें और न ही विवादित खबरों को हवा दें… लोगों और विपक्ष के बीच ये संदेश पूरी ताकत के साथ पहुंचाया जाए कि योगी और गृहमंत्री अमित शाह या PM मोदी में मनमुटाव की खबरों का कोई आधार नहीं है… संघ ने ये साफ कर दिया कि योगी ही उसकी पहली पसंद हैं… चाहे चुनावों में टिकटों का बंटवारा हो या नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव… योगी की राय लिए बिना कोई फैसला नहीं होगा…
यूपी के दोनों डिप्टी सीएम के साथ योगी की अनबन की खबरें किसी से छुपी नहीं है… कई मौकों पर हमने देखा था कि योगी की मीटिंग से दोनों डिप्टी सीएम गायब थे… इनफैक्ट अभी हाल ही में जब अयोध्या में दीपोत्सव था… तो पोस्टर में तस्वीर न होने की वजह से दोनों डिप्टी सीएम दीपोत्सव में शामिल नहीं हुए… कई बार देखा गया है कि छोटी छोटी सी बात पर योगी की शिकायत लेकर केशव प्रसाद दिल्ली पहुंचे थे…
अब इससे तो जनता के बीच यही संदेश जा रहा था कि जब पार्टी के लोग… योगी को पसंद नहीं करते हैं… तो प्रदेश की जनता कैसे पसंद कर सकती है… इसलिए संघ योगी के पक्ष में उतर आया… ऐसा तब हुआ है…जब पिछले महीने 24 नवंबर को योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत की अयोध्या में मुलाकात हुई… उसके बाद… लखनऊ में संघ ने मीटिंग की… और 27 चुनाव के हर फैसले में दखल देने की बात कही…
हालांकि सूत्रों का कहना है कि 2022 और 24 चुनाव को देखकर भाजपा अलाकमान… योगी आदित्यनाथ पर विश्वास जताकर 27 चुनाव में नुकसान नहीं उठाना चाहती है… इसलिए शाह अपने बेहद करीबी को यूपी की जिम्मेदारी सौंपने जा रहे है… उनका नाम है पकंज चौधरी… पंकज का नाम बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए तय हो गया है… बस ऐलान होना बाकी है… अमित शाह के करीबी चौधरी योगी के गढ़ गोरखपुर से आते हैं…. महाराजगंज से 7 बार के सांसद हैं… 2021 से मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं… चौधरी पीएम मोदी के भी खास हैं… इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दो साल पहले यानी 2023 में गोरखपुर दौरे के दौरान मोदी अचानक उनके घर पहुंच गए थे…. अब उन्हीं को भाजपा यूपी की कमान सौंपने जा रही है…
हालांकि बताया जा रहा है कि चौधरी के नाम से…. भाजपा का एक बड़ा धड़ा राजी नहीं था… ऐसे में 12 दिसंबर को रातभर उन्हें मनाने की मशक्कत होती रही…. भाजपा अलाकमान उनको ही प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती है… क्योंकि मौजूदा समय में वो केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री है…अब दोस्तों… पकंज चौधरी के पीछे शाह का खेल समझिए… एक तो वो केंद्रीय मंत्री है…मोदी और शाह के लाड़ले है… तो जाहिर सी बात है कि यूपी पर पूरा कंट्रोल दिल्ली दरबार का रहेगा… दूसरा योगी के गढ़ से आते हैं… यानी अब भाजपा को गोरखपुर का वोट बैंक साधने के लिए सिर्फ अकेले योगी का ही सहारा नहीं लेना पड़ेगा… उनके पास दूसरा हुकूम का इक्का रहेगा… कुलमिलाकर धीरे धीरे योगी को साइड ही किया जा रहा है… उनके गढ़ में ही सेंध लगाया जा रहा है…
तीसरा पकंज चौधरी ओबीसी के कुर्मी समाज से आते हैं… यूपी में कुर्मी समाज की आबादी यादवों के बाद सबसे ज्यादा है… कुर्मी समाज को बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है, लेकिन लोकसभा में इस समाज का एक हिस्सा PDA के नाम पर सपा के साथ गया था… इसे देखते हुए भाजपा ने दांव खेला है… लेकिन भाजपा प्रदेश के तौर पर पंकज चौधरी का नाम आगे आने से केशव प्रसाद मौर्य के साथ धोखा हुआ है… बीजेपी प्रदेश की रेस में उनका नाम भी था… केशव प्रसाद को लगता था कि 17 चुनाव… उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए लड़ा गया था… तो भाजपा की सरकार बनी है… 27 चुनाव केशव प्रसाद अपने नेतृत्व में लड़ना चाहते थे…
यही वजह थी कि वो कई मौकों पर… कह रहे थे कि 17 का इतिहास 27 में दोहराया जाएगा… 22 का उन्होंने कही जिक्र नहीं किया… क्योंकि वो खुद 2022 का चुनाव हार गए थे… हालांकि पकंज चौधरी का नाम सामने आने के बाद… केशव प्रसाद का ये सपना…. सपना ही रह गया… अगर पंकज चौधरी ही प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे… तो उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा.. इसके लिए हमें एक दिन का इतंजार करना होगा… 14 दिसंबर को सारी तस्वीर साफ हो जाएगी…



