तुर्की पर कुदरत का कहर, पहले तेज भूकंप और फिर बर्फबारी, सैकड़ों की मौत

 

नई दिल्ली। तुर्की, मिडिल ईस्ट का बेहद खूबसूरत देश। कहने को तो इस्लामिक कंट्री मगर आधुनिकताओं से सराबोर। ऊंची-ऊंची इमारतों के साथ ऐतिहासिक विरासत को संभाले हुए संस्कृति। भारत और तुर्की के समय में ढाई घंटे का फासला है। भारत का समय 2.5 घंटे आगे चलता है। तकरीबन चार बजे के आस-पास यहां भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। लोग गहरी नींद में सो रहे थे। किसी को मालूम चला मगर ज्यादातर लोग नींद के आगोश में भी सोते रह गए। रिएक्टर स्केल में 7.8 तीव्रता के भूकंप से चंद सेकंडों में सबकुछ तबाह कर दिया। रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच बर्फीले तूफान ने रही सही कसर भी पूरी कर दी। तेज तूफान के कारण एजेंसियां तेजी से काम नहीं कर पा रही।
तुर्की में भूकंप केंद्र के पास स्थित गाजियांटेप के निवासी ने मीडिया को बताया कि जिस वक्त भूकंप आया उस वक्त इमारतें पालने (जिसमें बच्चे को झूला झुलाया जाता है) की तरह हिल रहीं थीं। एर्डेम ने अपना सरनेम नहीं बताया। उसने कहा कि मैंने 40 वर्षों में ऐसा कभी महसूस नहीं किया है। वो कहता है कि भूकंप इतना तेज था कि पूरी इमारत झूले की तरह हिल रही थी। तीन बार भयंकर झटके लगे। लोग नींद में थे बाहर बहुत अंधेरा था।
जैसे ही झटके महसूस हुए लोग यहां वहां भागने लगे। तुरंत लोगों ने अपनी कार निकालीं और खुली जगह में भागने लगे। पूरे शहर में शायद एक भी आदमी अपने घर में नहीं रुका। सभी लोग जान बचाने के लिए भाग रहा था। इस भयंकर आपदा में सैकड़ों लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है। 150 से ज्यादा इमारतें ढह गई है। पहले भूकंप और फिर बर्फीले तूफान ने रेस्क्यू में रुकावट पैदा कर दी है।
इस्तांबुल और अंकारा से पूर्वी तुर्की के लिए उड़ानें इस्तांबुल में हवा, बारिश और हिमपात और अंकारा में भारी बर्फबारी के कारण रद्द कर दी गई हैं। अब आसानी से प्रभावित इलाकों तक नहीं पहुंचा सकता। पूर्वी तुर्की में, गजियांटेप में भी भीषण बर्फबारी हुई है। हिमपात हुआ है। वहीं कहारनमारस में बारिश हुई है। लोग इतना खौफजदा हैं कि वो डर के कारण घर के अंदर नहीं जा रहे। वो भारी बारिश और बर्फबारी के बीच बाहर ही रुके हुए हैं।

 

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