बजट से पहले सहयोगियों की मांग से बढ़ी एनडीए सरकार की टेंशन

  • पीएम मोदी व वित्त मंत्री सीतारमन पर बढ़ा दबाव
  • जदयू-टीडीपी ने बजट में मांगा अधिक धन
  • नीतीश की पार्टी ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग दोहराई
  • चंद्रबाबू नायडू ने भी कई योजनाओं के लिए मांगी मदद
  • वित्त मंत्री 23 जुलाई को पेश करेंगी बजट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। एनडीए सरकार अपने तीसरे कार्यकाल का पहला बजट लाने की तैयारी कर रही है। इसी के तहत प्रधानमंत्री से लेकर वित्त मंत्री तक इससे पहले विभिन्न संगठनों से बातचीत कर रहे हैं। इन सबके बीच सियासी पारा भी चढ़ा है। जहां विपक्ष आमजन से जुड़े कामों को बजट में तरजीह देने की मांग कर रहा है वहीं मोदी सरकार में शामिल सहयोगी दलों ने अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष मांग करके बीजेपी के माथे पर बल ला दिया है।
गौरतलब हो कि एनडीए सरकार को बिहार की जदयू व आंध्रप्रदेश की टीडीपी का समर्थन प्राप्त होने से ही ये सरकार चल रही है। ऐसे में चर्चा है इन दोनों पार्टियों की मांग को मानना सरकार के लिए मजबूरी है अन्यथा सरकार पर खतरा आ सकता है। पर उधर भाजपा ने कहा ऐसा कुछ नहीं है सब निपट जाएगा। सूत्र ने दावा किया कि पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व बैठक के दौरान अनुरोध किया गया था, साथ ही यह भी कहा कि केंद्र ने अभी तक आवंटन पर निर्णय नहीं लिया है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश करेंगी। इस बार आम बजट में उद्योग के साथ मध्य और निम्न मध्यवर्ग को बड़ी राहत मिलने की संभवना जताई जा रही है।

नायडू ने 12 अरब डॉलर से अधिक का किया अनुरोध

तेलुगु देशम पार्टी के एन चंद्रबाबू नायडू ने भी अगले कुछ वर्षों में आंध्र प्रदेश के लिए 12 अरब डॉलर से अधिक का अनुरोध किया है। चंद्र बाबू नायडू के अनुरोधों में आंध्र प्रदेश की राजधानी, अमरावती और पोलावरम सिंचाई परियोजना के विकास के लिए धन शामिल है। वह विजयवाड़ा, विशाखापत्तनम और अमरावती में मेट्रो परियोजनाओं, एक हल्की रेल परियोजना और विजयवाड़ा से मुंबई और नई दिल्ली के लिए वंदे भारत ट्रेन के लिए भी समर्थन चाहते हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने पिछड़े जिलों और रामायपट्टनम बंदरगाह और कडप्पा में एक एकीकृत इस्पात संयंत्र जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए अनुदान मांगा है।

नीतीश ने की बजट से 3.6 बिलियन डॉलर की मांग

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गठबंधन सरकार को एक महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उनके दूसरे सबसे बड़े सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार ने कथित तौर पर बिहार राज्य परियोजनाओं के लिए 23 जुलाई को पेश किए जाने वाले बजट से 3.6 बिलियन डॉलर की मांग की है।

प्रधानमंत्री ने प्रमुख अर्थशास्त्रियों से की चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को देश के प्रमुख अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बैठक कर आम बजट के संदर्भ में उनकी राय जानेंगे। इस बैठक के दौरान मुख्य रूप से आम बजट के प्रावधानों के जरिए विकसित भारत का रोडमैप तैयार करने, निवेश हासिल करने के लिए आर्थिक सुधार की रफ्तार तेज करने और मध्य-निम्न मध्यवर्ग को राहत देने के उपायों पर बातचीत होगी। वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बैठक में नीति अयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी और अन्य सदस्य, वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शिरकत करेंगे। दरअसल, सरकार की योजना अधिक से अधिक निवेश हासिल करने के लिए आर्थिक सुधारों की रफ्तार तेज करने की है। बैठक में पीएम विशेषज्ञों से यह जानना चाहेंगे कि किस क्षेत्र में किस स्तर पर सुधार की आवश्यकता है।

बिहार और आंध्र प्रदेश ने ज्यादा लाभ मांगा

बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों ही आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं और अपने विकासात्मक खर्च को सीमित कर रहे हैं। बिहार में, 40 प्रतितशत से अधिक राजस्व वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान में जाता है। 2023 वित्तीय वर्ष में लगभग 59,000 रुपये की प्रति व्यक्ति आय के साथ, बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार और आंध्र प्रदेश के संयुक्त अनुरोध सरकार के 22 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक खाद्य सब्सिडी बजट के आधे से अधिक हैं। केंद्रीय बैंक से रिकॉर्ड लाभांश और बढ़े हुए कर राजस्व ने इस वर्ष कुछ राजकोषीय छूट प्रदान की है। दोनों सहयोगी अपने राज्यों में अधिक उधार लेने की क्षमता पर जोर दे रहे हैं। बिहार बिना किसी शर्त के 1प्रतिशत अतिरिक्त उधार की गुंजाइश चाहता है, जबकि आंध्र प्रदेश ने कथित तौर पर 0.5प्रतिशत का अनुरोध किया है। बिहार के भी विशिष्ट अनुरोध हैं जिनमें नौ हवाई अड्डों, चार नई मेट्रो लाइनों और सात मेडिकल कॉलेजों के लिए पैसा मांगा।]

सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट पहुंची जांच रिपोर्ट

  • पेपर लीक मामले की सुनवाई 18 जुलाई को
  • सीबीआई ने दाखिल की रिपोर्ट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। नीट पेपर लीक मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जांच रिपोर्ट गुरुवार को दाखिल कर दी है। इस मामले की सुनवाई अब 18 जुलाई को होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में एनटीए ने भी अपना जवाब दाखिल किया था। शिक्षकों द्वारा सीबीआई पर सवाल उठाया जा रहा है कि जब कोई गड़बड़ी हुई ही नहीं है तो हजारी बाग में जला हुआ पेपर क्या है? बता दें कि शिक्षकों का यह सवाल उस रिपोर्ट पर आया है, जिसमें सीबीआई ने बताया है कि पेपर हजारीबाग से चोरी हुए थे।
सीबीआई ने स्थापित किया है कि एनईईटी यूजी घोटाले से संबंधित पेपर हजारी बाग के ओएसिस स्कूल द्वारा लीक किया गया था। वहां पहुंचे कागजात के दो सेट की सील टूटी हुई थी और स्कूल का स्टाफ मामले को जानकारी निर्धारित लोगों को देने की बजाय चुप्पी साधे रहा।

यूपी में पेपर लीक और भर्ती घोटाले में दो विधायकों समेत 8 लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

वहीं एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने पेपर लीक और भर्ती घोटाले से जुड़े एक मामले में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के विधायक बेदी राम और निषाद पार्टी के विधायक विपुल दुबे सहित 18 लोगों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट का आदेश दिया है। बेदी राम गाज़ीपुर के जखनिया निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि विपुल दुबे भदोही के ज्ञानपुर से विधायक हैं। विशेष न्यायाधीश पुष्कर उपाध्याय ने गैंगस्टर एक्ट के तहत 2006 के एक मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया। साथ ही कोर्ट ने इंस्पेक्टर कृष्णा नगर को 26 जुलाई को सभी आरोपियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने पाया कि रेलवे ग्रुप-डी परीक्षा का प्रश्न पत्र 25 फरवरी, 2006 को लीक हो गया था। एसटीएफ को भर्ती प्रक्रिया में शामिल कई उम्मीदवारों के मूल दस्तावेजों के साथ-साथ कई अन्य दस्तावेज भी मिले। सभी संदिग्धों के खिलाफ कृष्णा नगर थाने में गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाकिस्तान नहीं जाएगी भारतीय टीम!

  • बीसीसीआई वेन्यू बदलने के लिए आईसीसी से करेगा बात

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। चैंपियंस ट्रॉफी अगले साल 2025 में पाकिस्तान की मेजबानी में होनी है। इस इवेंट से पहले ही बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने ये कह दिया था कि भारत पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगा, लेकिन फिर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। बीसीसीआई के एक सूत्र ने बताया कि भारत पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगा और बीसीसीआई चैंपियंस ट्रॉफी के वेन्यू में बदलाव करने को लेकर आईसीसी से बात करेगा।
बीसीसीआई आईसीसी से ये मांग करेगा कि चैंपियंस ट्रॉफी के मैच दुबई या श्रीलंका में कराए जाए। हालांकि, भारत के पाकिस्तान नहीं जाने के फैसले को लेकर बीसीसीआई का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। बता दें कि साल 2008 के बाद से भारत ने पाकिस्तान का दौरा नहीं किया।

बीसीसीआई का ये अपना फैसला : उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारतीय टीम के पाकिस्तान न जाने की संभावनाओं के सवाल पर कहा कि यह बीसीसीआई का अपना फैसला है। उन्होंने कहा,काफी सालों से दोनों देशों ने द्विपक्षीय श्रृंखला नहीं खेली है, टूर्नामेंट के लिए न जाना बीसीसीआई का अपना फैसला है। मैंने हमेशा कहा है कि इन दोनों देशों में बेहतर रिश्ते कायम करना सिर्फ हमारे देश की जिम्मेदारी नहीं है, अगर बेहतर रिश्ते बनाने है तो इसमें पाकिस्तान की भी जिम्मेदारी बनती है।

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