कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न का स्वागत, पर जातिगत जनगणना से क्यों भाग रही मोदी सरकार: कांग्रेस
नई दिल्ली। दिग्गज समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के फैसले का कांग्रेस ने स्वागत किया है। हालांकि, पार्टी ने इसके एलान को जातिगत जनगणना के मुद्दे से जोड़ते हुए भाजपा पर तंज भी कसा। कांग्रेस ने कहा कि जाति आधारित जनगणना कराना ही ठाकुर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकारी इससे भाग रही है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भारत रत्न देने का मोदी सरकार का फैसला उसकी हताशा और पाखंड को भी दिखाता है, क्योंकि वह राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना से इनकार कर रही है।
गौरतलब है कि कर्पूरी ठाकुर का नाम मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए चुना गया है। राष्ट्रपति भवन ने मंगलवार को उनकी जन्म शताब्दी की पूर्वसंध्या पर यह घोषणा की। रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘सामाजिक न्याय के प्रणेता जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को ‘भारत रत्न’ दिया जाना भले ही मोदी सरकार की हताशा और पाखंड को दर्शाता है, फिर भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर्पूरी ठाकुर जी को मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करती है।’’
उन्होंने कहा कि भागीदारी न्याय भारत जोड़ो न्याय यात्रा के पांच स्तंभों में से एक है, इसके आरंभिक बिंदु के रूप में जातिगत जनगणना की जरूरत होगी। रमेश ने कहा, ‘‘राहुल गांधी लगातार इसकी वकालत करते रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011 के नतीजे जारी करने से भी इनकार कर दिया है और एक नई राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने से भी इनकार कर दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी वर्गों को भागीदारी देने के लिए जातिगत जनगणना कराना ही सही मायनों में जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को सबसे उचित श्रद्धांजलि होती, लेकिन मोदी सरकार इससे भाग रही है।’’ कर्पूरी ठाकुर की 24 जनवरी को 100वीं जयंती है। इससे एक दिन पहले केंद्र सरकार ने उन्हें यह सम्मान देने का एलान किया है।
कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे। वे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले बिहार के तीसरे व्यक्ति होंगे। उनसे पहले प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण को यह सम्मान दिया गया था। बिहार में जन्मे बिसमिल्लाह खां को भी भारत रत्न से नवाजा जा चुका है। हालांकि, उनकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश की वाराणसी रही। उनका परिवार आज भी काशी में रहता है।
करीब 68 साल पहले शुरू हुए इस सर्वोच्च सम्मान से अब तक 48 हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है। पहली बार साल 1954 में आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राज गोपालाचारी, वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन और सर्वपल्ली राधाकृष्णन को दिया गया था।