PMO ने कहा- पीएम केयर्स भारत सरकार का फंड नहीं
नई दिल्ली: कोरोनाकाल में केंद्र सरकार द्वारा लोगों की मदद के लिए एक ‘पीएम केयर्स फंड’ बनाया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गरीब, मजबूर और जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए सभी से पीएम केयर्स फंड में चंदा देने की अपील की गई थी। अब प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की ओर से कहा गया है कि पीएम केयर्स भारत सरकार का फंड नहीं है और न ही इसे पब्लिक अथॉरिटी माना जा सकता है। यह जानकारी पीएमओ ने दिल्ली हाईकोर्ट में दी है।
केंद्र या राज्य सरकार का नहीं कोई नियंत्रण
पीएमओ के अवर सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि PM CARES फंड को पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया गया है और यह भारत के संविधान, संसद या किसी राज्य विधानमंडल के कानून के तहत नहीं बनाया गया है। पीएमओ ने सम्यक गंगवाल की ओर से दायर याचिका का विरोध किया है, जिन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत पीएम केयर्स को सरकारी फंड घोषित करने की मांग की थी। हलफनामे में कहा गया है कि ट्रस्ट के कामकाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार या किसी भी राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। पीएमओ ने आगे कहा है कि पीएम केयर्स फंड केवल व्यक्तियों और संस्थानों की ओर से स्वैच्छिक दान स्वीकार करता है। ये किसी भी बजटीय प्रावधान या लोक उपक्रम के बैलेंस शीट से आने वाले पैसे को स्वीकार नहीं करता है।
पीएम केयर्स फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं
पीएम केयर्स फंड में किए गए योगदान को आयकर अधिनियम, 1961 के तहत छूट दी गई है, लेकिन यह अपने आप में इस निष्कर्ष को सही नहीं ठहराएगा कि यह एक पब्लिक अथॉरिटी है। आगे कहा गया कि फंड को सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं कहा जा सकता है क्योंकि जिस कारण से इसे बनाया गया था वह विशुद्ध रूप से धर्मार्थ है और न तो फंड का उपयोग किसी सरकारी परियोजना के लिए किया जाता है और न ही ट्रस्ट सरकार की किसी भी नीति से शासित होता है। इसलिए पीएम केयर्स को ‘पब्लिक अथॉरिटी’ के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता है।