कवियों ने रचनाओं से किया श्रोताओं को मंत्रमुग्ध
आचमन फाउंडेशन एवं संस्कृत संस्थान ने किया काव्य समारोह
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लखनऊ में आचमन कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में साहित्यक सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। आचमन फाउंडेशन एवं उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस काव्य समारोह में देश के दिग्गज कवि जुटे।
साहित्य और मंच की दूरी को कम करने का प्रयास,समृद्ध कविता का श्रवण-वाचन ,कम सुने गये लेकिन अच्छा लिखने वाले रचनाकारों को आमंत्रित करने का संकल्प आचमन 18 नवंबर को लखनऊ के संस्कृत संस्थान में आयोजित हुआ। इस वर्ष का तृतीय आचमन सम्मान ओज के सुप्रसिद्ध कवि डॉ. हरिओम पवार जी को प्रदान किया गया। इससे पूर्व हमें संतोषानंद, उदय प्रताप सिंह जी को सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक व उनकी पत्नी श्रीमती नम्रता पाठक उपस्थित रहीं। आचमन फाउंडेशन द्वारा उप्र संस्कृत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में प्रसिद्ध ओज कवि डॉ. हरिओम पवार को तृतीय आचमन सम्मान से मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, अपर मुख्य सचिव जितेंद्र कुमार,आईएसीसी के चेयरमैन मुकेश बहादुर सिंह,स्माइलमैन सर्वेश अस्थाना, निदेशक विनय श्रीवास्तव व विशाल रस्तोगी ने सम्मानित किया। आचमन फाउंडेशन की ट्रस्टी सोनरूपा विशाल के संचालन एवं संयोजन में हुए कवि सम्मेलन में डॉ. हरिओम पवार के अतिरिक्त विनोद श्रीवास्तव, इकबाल अशहर, चिराग जैन, चंद्रशेखर वर्मा, डॉ. उपदेश शंखधार, डॉ. भावना श्रीवास्तव, योगी योगेश शुक्ल, मनु वैशाली ने अत्यंत प्रभावी काव्यपाठ किया।
खूनी तालिबानों का इतिहास नही तो क्या गाऊँ …..
हरिओम पंवार ने अपनी ओजस्वी वाणी से कवि सम्मेलन में कवि धर्म को गान करते हुए आत्ममंथन की धारा प्रवाहित कर दी। उन्होंने कहा-पैरों में अंगारे बांधे, सीने में तूफान भरे, आंखों में दो सागर आंजे, कई हिमालय शीश धरे, मैं धरती के आंसू का, संत्रास नहीं तो क्या गाऊँ, खूनी तालिबानों का इतिहास नहीं तो क्या गाऊँ, इकबाल अशहर शायरी के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने अपनी जहीन आवाज में कहा-यही जुनून यही एक जवाब मेरा है वहाँ चराग जला दूँ जहाँ अंधेरा है, तेरी रजा भी तो शामिल थी मेरे बुझने में,मैं जल उठा हूँ तो ये भी कमाल तेरा है, आपसी सौहार्द और गंगा जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने वाले शायर विनोद श्रीवास्तव ने कहा-धर्म छोटे-बड़े नहीं होते, जानते तो लड़े नहीं होते । चोट तो फूल से भी लगती है, सिर्फ पत्थर कड़े नहीं होते । कवि सम्मेलन की प्रखर आवाज चिराग जैन ने बताया कि साहित्य में कवि और कविता का योगदान क्या है -हम हैं हिन्दी कविता की बुनियाद में गडऩे वाले लोग ।