भाजपा राज में पुलिस भी हुई नाकाम, अपराध रोकने में फेल, महिलाओं को दे रही सीख

ऐ रंगली, रात की पार्टी में जाने का नहीं, रेप हो सकता है... मोदी के महिला सुरक्षा के दावे की निकली हवा.... गुजरात में विवादित पोस्टर से मचा बवाल...    

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के अहमदाबाद शहर में लगे पोस्टरों ने तूफान खड़ा कर दिया है….. इन पोस्टरों में लिखा है….. कि ऐ रंगली, रात की पार्टी में जाने का नहीं, रेप हो सकता है…… और दोस्तों के साथ अंधेरे, सुनसान इलाकों में न जाएं, सामूहिक दुष्कर्म हो सकता है……. ये पोस्टर शहर के सोला, चाणक्यपुरी, और चंडलोडिया जैसे इलाकों में सड़क डिवाइडर और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए थे……. इन संदेशों ने न केवल सामाजिक और राजनीतिक हलकों में हंगामा मचाया…… बल्कि महिला सुरक्षा को लेकर गुजरात सरकार और अहमदाबाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए……..

आपको बता दें कि शुक्रवार सुबह अहमदाबाद की सड़कों पर ये पोस्टर अचानक नजर आए…….. इनमें से कुछ में लिखा था कि लेट नाइट पार्टी में जाना रेप या गैंगरेप को न्योता दे सकता है…….. और अंधेरे, सुनसान इलाकों में दोस्तों के साथ न जाएं……. आपके साथ रेप या गैंगरेप हो सकता है……. इन संदेशों की भाषा को कई लोगों ने आपत्तिजनक, महिला विरोधी और पीड़िता को दोषी ठहराने वाला बताया…….. खासकर “ऐ रंगली” जैसे शब्दों का इस्तेमाल स्थानीय गुजराती लहजे में महिलाओं को संबोधित करने का एक अनौपचारिक तरीका है……. जिसने लोगों की नाराजगी को और बढ़ाया…….

वहीं सोशल मीडिया पर इन पोस्टरों की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो गए……. स्थानीय निवासियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और महिला संगठनों ने इन संदेशों को मोरल पुलिसिंग और विक्टिम ब्लेमिंग करार दिया……. घाटलोडिया की रहने वाली भूमि पटेल ने कहा कि इस तरह के संदेश महिलाओं को दोषी ठहराते हैं….. जबकि असल जिम्मेदारी सिस्टम की है जो हमें सुरक्षित माहौल दे…… वही बोडकदेव की एक फिटनेस ट्रेनर ने इसे महिला सुरक्षा का मजाक बताया……

वहीं विवाद बढ़ने पर अहमदाबाद ट्रैफिक पुलिस ने तुरंत सफाई दी कि इन पोस्टरों का शहर पुलिस से कोई संबंध नहीं है…… डीसीपी (ट्रैफिक वेस्ट) नीता देसाई और डीसीपी सफीन हसन ने स्पष्ट किया कि ये पोस्टर सतर्कता ग्रुप नामक एक गैर-सरकारी संगठन ने लगाए थे…… पुलिस के अनुसार इस एनजीओ को केवल ट्रैफिक नियमों और सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की अनुमति दी गई थी……. हालांकि, एनजीओ ने बिना अनुमति के महिला सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर ये विवादित संदेश छापे और शहर में लगाए…..

नीता देसाई ने कहा कि एनजीओ ने हमसे संपर्क किया था और ट्रैफिक जागरूकता के लिए पोस्टर लगाने की बात कही थी…… हमें इन विवादित पोस्टरों की जानकारी नहीं थी…….. और जैसे ही हमें पता चला, हमने उन्हें तुरंत हटवा दिया….. पुलिस ने यह भी बताया कि सोला पुलिस थाने में इस मामले में एक प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज की गई है…… और जांच शुरू कर दी गई है……

वहीं इस घटना ने गुजरात की बीजेपी सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया…… आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. करण बारोट ने सवाल उठाया कि जब अहमदाबाद को देश का सबसे सुरक्षित शहर माना जाता है……. तो ऐसे पोस्टर लगाने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या सरकार यह मान रही है कि वह महिलाओं को सुरक्षा देने में नाकाम रही है…… आप ने एक बयान में कहा कि पिछले तीन वर्षों में गुजरात में 6,500 से अधिक बलात्कार…… और 36 सामूहिक बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं…… जो औसतन प्रतिदिन पांच से अधिक बलात्कार के मामले दर्शाता है…….

गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने सोशल मीडिया पर ट्वीट किया कि शर्म आनी चाहिए……. देर रात तक गरबा खेलने और बेखौफ घर आने पर गर्व करने वाली गुजरात सरकार अब ऐसे पोस्टर लगवा रही है जो कहते हैं कि बेटियों की सुरक्षा नहीं है….. और उन्होंने सरकार की महिला सशक्तीकरण की नीतियों पर सवाल उठाए…… वहीं विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी सरकार की महिला सुरक्षा के दावों की हवा निकालने वाला बताया……. उनका कहना था कि यह पोस्टर महिलाओं को डराने……. और उनकी आजादी को सीमित करने की कोशिश है……. जबकि अपराधियों पर नकेल कसने की जिम्मेदारी सरकार की है……

आपको बता दें कि महिला संगठनों ने इन पोस्टरों को पित्रसत्तात्मक मानसिकता का प्रतीक बताया……. नेहरू नगर की एक महिला निवासी ने कहा कि ये पोस्टर हमारी मानसिकता को दर्शाते हैं जो पीड़िता को दोष देती है….. और सुरक्षा में चूक के लिए जिम्मेदार संस्थाओं को बचा लेती है…… कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की कि सरकार को ऐसी घटनाओं की जवाबदेही तय करनी चाहिए और महिला सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए……

विवाद के बाद पोस्टरों को तुरंत हटा लिया गया…… लेकिन इसने एक बार फिर गुजरात में महिला सुरक्षा के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया…….. खासकर नवरात्रि के नजदीक होने के कारण, जब गरबा जैसे आयोजनों में महिलाएं देर रात तक बाहर रहती हैं…… इस घटना ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया…….

आपको बता दें कि 2025 के Numbeo Crime Index के अनुसार, अहमदाबाद को भारत का सबसे सुरक्षित शहर माना गया था……. हालांकि, इस घटना ने इस दावे पर सवाल उठा दिए……. आप के बयान के अनुसार, गुजरात में पिछले तीन वर्षों में बलात्कार के 6,500 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं…… यह आंकड़ा सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है……

जिसको लेकर पुलिस ने भरोसा दिलाया कि नवरात्रि के दौरान रातभर गश्त की जाएगी…….. ताकि महिलाएं सुरक्षित रूप से गरबा और अन्य आयोजनों में हिस्सा ले सकें……. लेकिन पोस्टर विवाद ने प्रशासन की सोच और कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया……

 

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