राम के बाद शिव पर राजनीतिक तांडव
- महाराष्ट्र, से भगवान शिव तक को छीनना चाहती है भाजपा
- असम सरकार के छठे ज्योतिर्लिंग के दावे पर भडक़ी कांग्रेस, एनसीपी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। अभी रामचरित मानस विवाद थमा भी नही कि अब शिव को लेकर राजनीतिक गलियारे में नेताओं की भौंहे तन गई। सबसे बड़ी बात यह है कि इसबार विपक्ष की इसमें भूमिका नही हैं। ये विवाद बीजेपी व उसकी समर्थक पार्टी की सरकारों के बीच उत्पन्न हो गया। मामला महाराष्ट्रा व असम के बीच है। विवाद की जड़ में है शिव के छठे ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर। दरअसल असम ने एक विज्ञापन जारी किया है जिसमें उसने भीमाशंकर को असम के पहाड़ी पर स्थित बताया है और लोगों से शिवरात्रि में आने की अपील की है जबकि महाराष्ट्रा के पुणे में भीमाशंकर पर तो श्रद्धालु वर्षों से जल चढ़ाते रहे हैं।
ज्ञात हो कि महाराष्ट्र में असम सरकार के एक विज्ञापन को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। विज्ञापन में दावा किया गया है कि भारत का छठा ज्योतिर्लिंग पूर्वोत्तर राज्य में डाकिनी पहाडिय़ों में कामरूप में स्थित है। असम सरकार ने मंगलवार को विज्ञापन जारी किया जिसमें मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की तस्वीर है, वो इसमें महा शिवरात्रि (18 फरवरी) की लोगों को बधाई दे रहे हैं और असम आने का न्योता दे रहे हैं। भारत के छठे ज्योतिर्लिंग में आपका स्वागत है, मीडिया विज्ञापन में ये बात कही गई है, जिसमें देश के सभी 12 ज्योतिर्लिंग के नाम दिए गए हैं, छठे ज्योतिर्लिंग के रूप में भीमाशंकर (डाकिनी) के रूप में दिखाया गया है, एक शिवलिंग, एक त्रिशूल और डमरू के साथ, हिंदू ग्रंथों के अनुसार, पूरे भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिसमें से एक महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमाशंकर पहाड़ी के जंगलों में है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु जाते हैं। इन दावों पर विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने तुरंत असम और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ बालासाहेबंची शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी शासन पर हमला बोला। कांग्रेस के महासचिव सचिन सावंत ने हमला करते हुए कहा, उद्योगों को छोड़ दें, बीजेपी महाराष्ट्र से भगवान शिव तक को छीनना चाहती है,अब असम सरकार का दावा है कि भीमाशंकर का छठा ज्योतिर्लिंग असम में है, पुणे में नही, हम इस बेतुके दावे की कड़ी निंदा करते हैं।
अब महाराष्ट्र, के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाने को लुटा रहे शिंदे गुट- बीजेपी सरकार : सुप्रिया सुले
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने भी असम सरकार की आलोचना की और मांग की कि क्या बीजेपी ने अब अपने उद्योगों और नौकरियों के साथ महाराष्ट, के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक खजाने को भी देने का फैसला किया है, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से इस मामले पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, असम में बीजेपी सरकार जो कर रही है वह बिल्कुल अस्वीकार्य है और वह बिना किसी आधार के है। असम सरकार की आलोचना करते हुए शिवसेना (यूबीटी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता किशोर तिवारी ने कहा कि यह तो शुरूआत है, बीजेपी अब महाराष्ट्र के अन्य महत्वपूर्ण देवी-देवताओं को अपने साथ ले जाएगी। नाराज तिवारी ने कहा, ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है, कल, वे उनके पुत्र भगवान गणेश पर भी दावा ठोंक देंगे, जो महाराष्ट्र में सबसे अधिक पूजनीय हैं, जहां वार्षिक गणेशोत्सव उत्सव 130 साल पहले शुरू हुआ था।
पुणे में भीमाशंकर 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है
सुले ने श्रीमद आदि शंकराचार्य के बृहद रत्नाकर श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि डाकिनी के जंगलों में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भीमा नदी का स्रोत है, इसलिए पुणे में भीमाशंकर 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है, कोई अन्य नहीं, सुले ने कहा, अब और किसकी गवाही देने की जरूरत है? बीजेपी शासित असम ने गुवाहाटी के पास परनोही में शिवलिंग को छठे ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया है, यह बहुत ही शरारती और झूठा प्रचार है। सुले, तिवारी और सावंत ने शिंदे-फडणवीस सरकार से अपना रुख साफ करने को कहा, साथ ही ये भी कहा कि असम की बीजेपी सरकार की ईशनिंदा की आलोचना करें जिसने न केवल हिंदुओं, बल्कि महाराष्ट्रा के 12 करोड़ लोगों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाई है।
सावंत गुमराह कांग्रेसी : रामकदम
सावंत पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता राम कदम ने केंद्र के पर्यटन विभाग की दिसंबर 2021 की एक प्रेस रिलीज दिखाई। इसमें सभी ज्योतिलिंर्गों और भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का भी उल्लेख किया गया है। सावंत को गुमराह कांग्रेसी करार देते हुए बीजेपी नेता ने कहा कि सरकार की तरफ से सब कुछ साफ है, सावंत ने राम कदम से पहले मुद्दे को समझने और फिर बात करने को कहा, यह इंगित करते हुए कि उनकी चिंता 14 फरवरी के असम सरकार के विज्ञापन से संबंधित है जिसमें उल्लेख किया गया है कि छठा ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में नहीं बल्कि असम में है। सावंत ने कदम पर कटाक्ष करते हुए कहा, यहां तक कि नाम भी बदल दिया गया है, इसने आपको परेशान नहीं किया? हमेशा की तरह आपको मुद्दा समझ में नहीं आया।
उस्मानाबाद को धाराशिव नाम देने पर कोई आपत्ति नहीं
महाराष्ट्र में भी अब शहरों के नाम बदलने की चर्चा शुरू हो गई है। उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखने में कोई हर्ज नहीं है। हालांकि, केंद्र सरकार ने बताया है कि औरंगाबाद का नामकरण सांबाजीनगर करने की प्रक्रिया अभी विचाराधीन है। नाम बदलने के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जानकारी दी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाम रखने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है। जुलाई 2022 में औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के राज्य सरकार के फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है, यह याचिका मोहम्मद अहमद, अन्नासाहेब खंडारे और राजेश मोरे नाम के तीन लोगों ने दायर की है। इससे पहले औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने की कोशिश की गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी सरकार ने अवैध रूप से राजनीतिक लाभ के लिए अपने मंत्रिमंडल की अंतिम बैठकों में इन दोनों शहरों के नाम का प्रस्ताव पेश किया। फिर 16 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार ने इस नामकरण पर मुहर लगा दी। लेकिन राज्य सरकार का यह फैसला संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन है। साथ ही याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि यह फैसला दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश है।