मुख्य चुनाव आयुक्तकी नियुक्ति को लेकर गरमाई सियासत
ज्ञानेश कुमार संभालेंगे जिम्मेदारी कार्यकाल के दौरान 22 राज्यों में चुनाव कराने की परीक्षा से होगा गुजरना
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4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर ज्ञानेश के नाम पर मुहर लग गई है। ज्ञानेश मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की जगह लेंगे। इसके साथ हरियाणा के मुख्य सचिव विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त बनाया गया है। उनकी नियुक्ति पर सियासी बवाल भी शुरू हो गया है। कांग्रेस ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह चुनाव अयोग पर कब्जा करना चाहती है।कांग्रेस ने नियुक्ति को संविधान की भावना के खिलाफ और चुनाव प्रक्रिया को नष्ट करने वाला बताया।
बता दें मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर ज्ञानेश कुमार का कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा। ऐसे में उनकी पहली पहली परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव में होगी। इसी साल आखिर में बिहार में चुनाव होने हैं, ज्ञानेश का कार्यकाल काफी अहम होने वाला है। मुख्य चुनाव आयुक्त पद रहते हुए उनके चार साल के कार्यकाल में 22 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने का जिम्मेदारी होगी। यही नहीं राष्टï्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव का जिम्मा भी उनके ही कंधों पर होगा।
फैसला संविधान विरोधी : केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस सांसद और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सत्तारूढ़ शासन देश की चुनाव प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है। कांग्रेस सांसद ने एक्स पर लिखा कि आधी रात को जल्दबाजी में सरकार ने नए केंद्रीय चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। यह हमारे संविधान की भावना के खिलाफ है। इसे सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में दोहराया है कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता के लिए, मुख्य चुनाव आयुक्त को निष्पक्ष हितधारक होना चाहिए। संशोधित कानून ने मुख्य न्यायाधीश को मुख्य चुनाव आयुक्त चयन पैनल से हटा दिया है। सरकार को मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने से पहले 19 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई तक इंतजार करना चाहिए था। उन्होंने लिखा कि जल्दबाजी में बैठक आयोजित करने और नए चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने का उनका फैसला दिखाता है कि वे सर्वोच्च न्यायालय की जांच को दरकिनार करने और स्पष्ट आदेश आने से पहले नियुक्ति करवाना चाहते हैं। ऐसा घिनौना व्यवहार केवल उन संदेहों की पुष्टि करता है जो कई लोगों ने व्यक्त किए हैं कि कैसे सत्तारूढ़ शासन चुनावी प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है और अपने लाभ के लिए नियमों को तोड़-मरोड़ रहा है। चाहे वह फर्जी मतदाता सूचियां हों, भाजपा के पक्ष में कार्यक्रम हों, या ईवीएम हैकिंग की चिंताएं हों, सरकार और उसके द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त ऐसी घटनाओं के कारण गहरे संदेह के घेरे में हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि विपक्ष के नेता ने सही कहा, इस निर्णय को तब तक स्थगित रखा जाना चाहिए था जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय संविधान के अनुरूप इस मुद्दे पर निर्णय नहीं ले लेता।
चार राज्यों में कराने होंगे चुनाव
ज्ञानेश कुमार की मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में पहली परीक्षा बिहार में होनी है. इसके बाद साल 2026 में केरल, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और असम में विधानसभा कराने होंगे। फिर 2027 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, गोवा, हिमाचल प्रदेश और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं। साल 2028 में भी कई राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें मेघालय, नागालैंड, तेलंगाना, त्रिपुरा और कर्नाटक में विधानसभा होंगे. इसके आलावा साल 2029 में मध्य प्रदेश, मिजोरम, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे. इस तरह से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के कार्यकाल में देश के 22 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराया जाना है।
सुप्रीम कोर्ट ने रणवीर अल्लाहबादिया को लगाई फटकार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कॉमेडी शो इंडियाज गॉट लैटेंट पर यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया की टिप्पणियों को आपत्तिजनक, घृणित और गंदा बताया। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने इलाहाबादिया को फटकार लगाते हुए कहा, किसी को भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर समाज के मानदंडों के खिलाफ कुछ भी बोलने का लाइसेंस नहीं है।
अदालत ने बाद में पूछताछ के दौरान उनसे पूछा, क्या आपको अपनी गंदी मानसिकता को बाहर निकालने के लिए कुछ भी कहने का लाइसेंस है? आप गुवाहाटी जाकर अपना बचाव क्यों नहीं करते? पीठ ने अत्यधिक असहमति जताते हुए कहा, आपने (अल्लाहबादिया ) जो शब्द चुने हैं, वे आपके भ्रष्ट दिमाग को दिखाते हैं और हर माता-पिता, बहन और मां के साथ-साथ बच्चों को भी शर्मिंदा करेंगे। जैसा कि न्यायालय ने कहा, सोशल मीडिया पर आपको दी गई ये धमकियाँ केवल सस्ते प्रति-प्रचार की तलाश के लिए हैं, इसने अल्लाहबादिया के खिलाफ कथित धमकियों के बारे में चिंताओं को खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने वादा किया कि अल्लाहबादिया के वकील अभिनव चंद्रचूड़ द्वारा शुक्रवार को तत्काल सुनवाई का अनुरोध करने के बाद मामले को दो से तीन दिनों में एक पीठ के समक्ष निर्धारित किया जाएगा। महाराष्ट्र साइबर विभाग, गुवाहाटी पुलिस और जयपुर पुलिस द्वारा कई एफआईआर दर्ज किए जाने के बावजूद, अल्लाहबादिया मुंबई और गुवाहाटी पुलिस के एक संयुक्त बयान के अनुसार पहुंच से बाहर है। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने इंडियाज गॉट लेटेंट टिप्पणी मामले में अल्लाहबादिया को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की है।
राहुल गांधी परिवार से मिलकर गदगद हुए रामचेत, हाथ से बनी चप्पलें भी की भेंट
सोनिया-प्रियंका भी रहीं मौजूद, परिजन भी थे साथ
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
सुलतानपुर। दिल्ली में एक खास मुलाकात ने सोशल मीडिया पर सबका ध्यान खींचा जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सुल्तानपुर के मोची रामचेत और उनके परिवार से मुलाकात की। सोमवार शाम को हुई इस मुलाकात का वीडियो राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर साझा किया।
एक मिनट 28 सेकंड के इस वीडियो में दिखाई देता है कि रामचेत के कमरे में प्रवेश करते ही राहुल गांधी ने उन्हें गले लगाया। इस दौरान प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं। कुछ देर बाद सोनिया गांधी भी वहां पहुंचीं और हाथ जोडक़र अभिवादन किया। रामचेत ने सोनिया गांधी का आशीर्वाद लिया और अपने पोते का परिचय भी करवाया। मुलाकात के दौरान रामचेत ने बताया कि राहुल गांधी द्वारा दी गई मशीन से वे अब चप्पल बना रहे हैं। उन्होंने सोनिया और प्रियंका गांधी को अपने हाथों से बनाई चप्पलें भी भेंट कीं। रामचेत ने खुशी जताई कि अब उनकी दो दुकानें हो गई हैं।
मोची समाज ज्ञानवान पर सम्मान नहीं : राहुल गांधी
राहुल गांधी ने मोची समुदाय के हुनर की सराहना करते हुए कहा कि उनमें बहुत ज्ञान है लेकिन समाज में उस ज्ञान को पर्याप्त सम्मान नहीं मिल रहा है। इसके बाद प्रियंका ने कहा सबसे ज्यादा महंगे जो जूते होते हैं वो हाथ से बने होते हैं। राहुल ने कहा आपका जो हुनर है उसमें थोड़ी पॉलिश लगानी होगी। तो ये मैं आपके साथ करूंगा। ठीक है। राहुल ने मशीन के उपयोग, उच्च गुणवत्ता के जूते बनाने की प्रक्रिया और बिक्री के तरीकों के बारे में भी चर्चा की। यह मुलाकात मोची समुदाय के उत्थान और पारंपरिक कौशल को आधुनिक तकनीक से जोडऩे के प्रयास का एक उदाहरण बन गई।
शेयर बाजार का नहीं हो पा रहा मंगल
पिछले मंगल से इस मंगलवार तक बाजार में नकारात्मकता छायी
स्टार्टअप कंपनियों की राह नहीं है आसान
23 फीसदी तक गिरे शेयर ओला पहुंचा 60 रुपये पर
पेटीएम के शेयरों में लगभग 10 फीसदी की गिरावट
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। शेयर बाजार में एतिहासिक गिरावट जारी है। पिछले मंगल से इस मंगलवार तक के समय में बाजार में नकारात्मकता छायी रही। इस दौरान निवेशकों के साथ—साथ सबसे ज्यादा बुरा हाल भारतीय स्टार्टअप कंपनियों का रहा। लांग टर्म और स्टेबलिश कंपनियों की सेहत पर उतना असर नहीं पड़ा है जितना असर स्टार्टअप कंपनियों का है। इन कंपनियों के शेयरों में 23 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है।
न्यू एज टेक कंपनियों में फिनटेक शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है। बीते हफ्ते फिनो पेमेंट्स बैंक का शेयर 22.66 प्रतिशत फिसलकर 226.10 रुपये पर बंद हुआ। वहीं, वीफिन सॉल्यूशंस के शेयर में 22.92 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 402.35 रुपये पर बंद हुआ। पेटीएम के शेयर में 9.79 प्रतिशत की गिरावट हुई है और यह शुक्रवार को 719.90 रुपये पर बंद हुआ।
इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार का भी बुरा हाल
बीते हफ्ते ओला इलेक्ट्रिक का शेयर 13 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60.87 रुपये पर बंद हुआ। पिछले हफ्ते निफ्टी में 2.8 प्रतिशत की गिरावट हुई है और गिरावट के लिहाज से यह इस साल का सबसे खराब हफ्ता था। निफ्टी रियल्टी इंडेक्स ने इस गिरावट का नेतृत्व किया और यह हफ्ते में 9 प्रतिशत से अधिक फिसल गया।
ई-कॉमर्स में भी गिरवट
इसके अलावा ई-कॉमर्स कंपनी यूनिकॉमर्स ईसॉल्यूशंस के शेयर में बीते हफ्ते में 20.98 प्रतिशत की गिरावट हुई और यह 118 रुपये पर बंद हुआ। वहीं, जैगल प्रीपेड ओशियन सर्विसेज का शेयर 18 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है और यह 347.15 रुपये पर बंद हुआ। 10 फरवरी से 14 फरवरी तक के कारोबारी सत्र में फूड डिलीवरी कंपनी स्विगी और जौमेटो के शेयर में क्रमश: 5.41 प्रतिशत और 6.36 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 341.60 रुपये और 216.44 रुपये पर बंद हुए।
स्मालकैप में भी नुकसान
निफ्टी ऑयल एंड गैस इंडेक्स में 6 प्रतिशत की गिरावट हुई। इसके अलावा निफ्टी मिडकैप 150 इंडेक्स में कोरोना के बाद अब तक की सबसे बड़ी गिरावट हुई है। वहीं, निफ्टी स्मॉलकैप 250 इंडेक्स हफ्ते के दौरान 9.5 प्रतिशत फिसल गया, जो कि कोविड-19 के बाद अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। इस दौरान बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स 2.59 प्रतिशत और 3.24 प्रतिशत गिरकर बंद हुए।
सीपीसीबी की रिपोर्ट, नहाने लायक नहीं है संगम का पानी
प्रयागराज महाकुंभ: एनजीटी को दी गई सूचना, अपशिष्ट जल संदूषण कासूचक ‘फेकल कोलीफॉर्म’ बढ़ा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट के माध्यम से राष्टï्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सूचित किया गया कि प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का स्तर स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं है। सीपीसीबी के अनुसार, अपशिष्ट जल संदूषण के सूचक ‘फेकल कोलीफॉर्म’ की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 एमएल है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अपशिष्ट जल के बहाव को रोकने के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।
पीठ ने कहा कि सीपीसीबी ने तीन फरवरी को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें कुछ गैर-अनुपालन या उल्लंघनों की ओर इशारा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया है, नदी के पानी की गुणवत्ता विभिन्न अवसरों पर सभी निगरानी स्थानों पर अपशिष्ट जल ‘फेकल कोलीफॉर्म’ के संबंध में स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता के अनुरूप नहीं थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान करते हैं, जिसमें अपशिष्ट जल की सांद्रता में वृद्धि होती है। पीठ ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने समग्र कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के एनजीटी के पूर्व के निर्देश का अनुपालन नहीं किया है। एनजीटी ने कहा कि यूपीपीसीबी ने केवल कुछ जल परीक्षण रिपोर्टों के साथ एक पत्र दाखिल किया।
एनजीटी ने दिया एक दिन का समय
पीठ ने कहा, यूपीपीसीबी की केंद्रीय प्रयोगशाला के प्रभारी द्वारा भेजे गए 28 जनवरी के पत्र के साथ संलग्न दस्तावेजों की समीक्षा करने पर भी यह पता चलता है कि विभिन्न स्थानों पर अपशिष्ट जल का उच्च स्तर पाया गया है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश राज्य के वकील को रिपोर्ट पर गौर करने और जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय दिया। पीठ ने कहा, सदस्य सचिव, यूपीपीसीबी और प्रयागराज में गंगा नदी में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जिम्मेदार संबंधित राज्य प्राधिकारी को 19 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई में डिजिटल तरीके से उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।