कर्नाटक में जारी है BJP में बगावत, अब ये नेता छोड़ने जा रहा पार्टी
बेंगलुरु। लोकसभा चुनावों में अब ज्यादा वक्त बाकी नहीं रह गया है। आज से पूरे 30 दिन बाद लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की वोटिंग होनी है। यानी 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है। इसलिए पूरे देश में अब चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सभी दल अपनी-अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। और अब लगातार प्रत्याशियों का ऐलान भी किया जा रहा है। इस बीच लगातार तीसरी बार देश की सत्ता पर राज करने की फिराक में लगी भारतीय जनता पार्टी इस बार 400 पार के अपने लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है। भाजपा न सिर्फ सत्ता में तीसरी बार कब्जा जमाना चाहती है बल्कि अपनी इस जीत को ऐतिहासिक बनाना चाहती है। इसके लिए पार्टी ने इस बार एनडीए गठबंधन के 400 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए पार्टी लगातार मेहनत भी कर रही है और साम दाम दंड भेद चारों अपना रही है।
खुद पीएम मोदी लगातार चुनावी सभाओं में इस बात का जिक्र कर रहे हैं और नारा लगवा रहे हैं कि अबकी बार 400 पार। यानी साफ है कि भाजपा ने इस लक्ष्य को साधने का पूरा प्लान बना लिया है। हालांकि, पार्टी के लिए 400 पार का लक्ष्य पाना इतना आसान नहीं है। क्योंकि उत्तर भारत में भाजपा अभी ही प्रचंड स्तर पर है। ऐसे में 400 का आंकड़ा पार करने के लिए पार्टी को कुछ एक्स्ट्रा ऑर्डनरी करना पड़ेगा। यानी कि कुछ ऐतिहासिक करके ही दिखाना होगा। ये बात खुद भाजपा व पीएम मोदी भी जानते हैं। इसलिए भाजपा ने इस बार साउथ पर ज्यादा जोर देना शुरू कर दिया है। क्योंकि दक्षिण भारत ऐसा क्षेत्र है जहां पर अभी भी भाजपा को खुद को खड़ा करना बाकी है। पिछले चुनाव में सिर्फ कर्नाटक और तेलंगाना में भाजपा का खाता खुला था। जिसमें कर्नाटक में अपनी ही सरकार होने का पार्टी को फायदा मिला था। और बीजेपी ने प्रदेश की 28 लोकसभा सीटों में से 25 पर शानदार तरीके से जीत हासिल की थी। इसके अलावा पार्टी ने 4 सीटें तेलंगाना में हासिल की थीं। लेकिन इस बार भाजपा के लिए इन दोनों ही राज्यों में भी राह इतनी आसान नहीं है। क्योंकि इस बार कर्नाटक में सरकार भाजपा की नहीं बल्कि कांग्रेस की है।
तो वहीं तेलंगाना में भी सत्ता में कांग्रेस ही है। ऐसे में जाहिर है कि प्रदेश में सत्ता में होने का लाभ कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में भी मिल सकता है। और यहां भाजपा को तगड़ा झटका लग सकता है।कहीं न कहीं इस बात से खुद भारतीय जनता पार्टी और पीएम मोदी भी भली भांति वाकिफ हैं। इसीलिए बीजेपी इस बार साउथ पर ज्यादा ही जोर दे रही है। खुद पीएम मोदी लगातार दक्षिण भारत में दौरा व रैलियां कर रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से पीएम मोदी लगातार कर्नाटक, तेलंगाना तमिलनाडु और केरल को साधने का प्रयास कर रहे हैं। वो इन राज्यों में चुनावी सभाएं भी कर रहे हैं और कांग्रेस व विपक्ष पर जमकर निशाना भी साध रहे हैं। पीएम इन राज्यों के लोगों को भी ये समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि अबकी बार 400 पार।
लेकिन सबसे बड़ी बात कि एक ओर जहां पीएम लगातार कर्नाटक व तेलंगाना और केरल को साधने का प्रयास कर रहे हैं और रैलियां कर रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर कर्नाटक में भाजपा के अंदर मची बगावत व अंदरूनी कलह रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। उम्मीद थी कि पीएम मोदी के कर्नाटक दौरे के बाद प्रदेश में पार्टी के अंदर मची बगावत व अंदरूनी कलह कुछ कम होगी। और पीएम नाराज पार्टी नेताओं को मनाने में सफल हो पाएंगे., लेकिन फिलहाल तो ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि जबसे भाजपा ने प्रदेश में उम्मीदवारों का ऐलान किया है और अपने 9 सांसदों का टिकट काटा है। तबसे ही पार्टी के अंदर लगातार विरोध शुरू हो गया है।
और अब तो आलम ये है कि पार्टी के कई बड़े नेता सीधे बगावत पर उतर आए हैं। इन नेताओं के बगावती सुर थमने की बजाय दिन पर दिन तेज होते जा रहे हैं। जो आए दिन भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्य में भाजपा को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले केएस ईश्वरप्पा के बगावती सुर अपनाने और शिमोगा से भाजपा के विरुद्ध ही लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद अब भाजपा के एक और दिग्गज नेता और मोदी सरकार में पूर्व केंद्री मंत्री सदानंद गौड़ा भी पूरी तरह से बगावत पर उतर आए हैं। चर्चाएं तो ये भी जोर पकड़ रही हैं कि सदानंद गौड़ा जल्द ही भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं।
सूत्रों के हवाले से लगातार ऐसी चर्चाएं सामने आ रही हैं कि बीजेपी के दिग्गज नेता, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले अलविदा कह सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस ने सदानंद गौड़ा से पार्टी में शामिल होने के लिए संपर्क किया है और उन्हें मैसूर या बेंगलुरु उत्तर से टिकट देने का आश्वासन दिया है। दरअसल, जिस बेंगलुरु उत्तर से गौड़ा सांसद हैं, वहां से भाजपा ने इस बार उन्हें टिकट न देकर, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे को अपना उम्मीदवार बनाया है। जिससे गौड़ा नाराज बताए जा रहे हैं।
यही वजह है कि जैसे ही गौड़ा के पार्टी छोड़ने की खबरें सामने आईं। वैसे ही भाजपा की ओर से उन्हें मनाने के प्रयास किए जाने लगे। यही वजह रही कि भाजपा नेता उन्हें मनाने के लिए उनके घर पहुंचे। लेकिन फिर भी बात बनती नजर नहीं आ रही है। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि गौड़ा जल्द ही इस बारे में कोई बड़ा फैसला भी ले सकते हैं। ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि गौड़ा मैसूर लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार वाईसीके वाडियार के खिलाफ चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं और कांग्रेस नेता उनके संपर्क में हैं। गौर करने वाली बात यह है कि गौड़ा ने पिछले साल नवंबर में चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करते हुए कहा था कि पार्टी ने उन्हें सब कुछ दिया है।
लेकिन अब वह बेंगलुरु उत्तर से टिकट नहीं दिए जाने से नाराज हैं। गौड़ा की बात करें तो वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गौड़ा मोदी सरकार में कानून और न्याय और सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन जैसे मंत्रालयों में कैबिनेट मिनिस्टर की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस मैसूर सीट से वोक्कालिगा चेहरे की तलाश कर रही थी और कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और अन्य नेता गौड़ा के संपर्क में हैं।
वहीं इस पूरे मामले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री और बैंगलुरू उत्तर से मौजूदा सांसद डी.वी. सदानंद गौड़ा ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसा कहने के लिए अब कुछ नहीं बचा है कि बीजेपी कर्नाटक में अन्य दलों से हटकर है। गौड़ा ने कहा कि यह सच है कि मुझसे अन्य लोगों ने संपर्क किया है। यह भी सच है कि हमारी पार्टी के नेताओं ने भी मुझसे संपर्क किया और चर्चा की। उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही अपना फैसला बताऊंगा। गौड़ा पिछले साल ऐलान कर चुके थे कि वह राजनीति से सन्यास ले रहे हैं लेकिन अब उन्होंने कहा कि उनके समर्थकों के कहने पर वह चुनाव लड़ने को तैयार थे और पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया।
ऐसे में अगर गौड़ा कांग्रेस में जाते हैं और कांग्रेस उन्हें प्रत्याशी बनाती है तो निश्चित ही इससे भाजपा को प्रदेश में बड़ा नुकसान हो सकता है। और पहले ही मुश्किलों में घिरी बीजेपी के लिए राज्य में आगे की राह और भी कठिन हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री व राज्य में भाजपा के दिग्गज नेता केएस ईश्वरप्पा भी लगातार पार्टी से नाराज चल रहे हैं। ईश्वरप्पा लगातार पूर्व सीएम व पार्टी के दिग्गज बीएस येदियुरप्पा पर हमला बोल रहे हैं और उन पर निशाना साध रहे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री ईश्वरप्पा ने आरोप लगाया कि बीजेपी संसदीय बोर्ड के सदस्य येदियुरप्पा ने उनके बेटे को टिकट का आश्वासन और उनके लिए चुनाव प्रचार का वादा किया था। लेकिन येदियुरप्पा ने उन्हें धोखा दिया है। ईश्वरप्पा ने कहा कि उनके समर्थक और शुभचिंतक उन पर शिवमोगा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ने का दबाव बना रहे हैं।
बीजेपी ने येदियुरप्पा के बेटे और मौजूदा सांसद बी वाई राघवेंद्र को फिर से शिवमोगा से फिर से उम्मीदवार बनाया है। वहीं हावेरी सीट से बीजेपी ने मौजूदा सांसद शिवकुमार उदासी की जगह यहां से पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई को टिकट दिया है। पिछले साल ही उदासी ने ऐलान कर दिया था कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसे में बीजेपी के सीनियर नेता और पूर्व डिप्टी सीएम के.एस.ईश्वरप्पा इस सीट से अपने बेटे के. ई. कांतेश के लिए टिकट मांग रहे थे। लेकिन टिकट नहीं दिए जाने के लिए ईश्वरप्पा पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा को जिम्मेदार ठहरे रहे हैं।
प्रदेश में लगातार पार्टी नेताओं की नाराजगी और बगावत ने अब भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में अब बीजेपी फायर फाइटिंग में जुटी है और टिकटों के ऐलान के बाद नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी ने कर्नाटक में अब तक 9 सांसदों को बदला है। टिकट बंटवारे से कुछ सीनियर नेता नाराज हैं। पार्टी के सीनियर नेताओं की नाराजगी पर बीजेपी कर्नाटक अध्यक्ष व येदियुरप्पा के बेटे बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिलने पर उम्मीदवारों का नाराज होना स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों का फैसला पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने किया है और यह उनका फैसला नहीं था। विजयेंद्र ने कहा कि ईश्वरप्पा एक वरिष्ठ नेता हैं। कुछ सवालों के जवाब हमें उचित समय पर मिलेंगे। ईश्वरप्पा के निर्दलीय चुनाव लड़ने के बारे में विजयेंद्र ने कहा कि सब कुछ सुलझा लिया जाएगा।
फिलहा भाजपा की ओर से भले कहा जा रहा हो कि सबकुछ जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। लेकिन वास्तविकता ये है कि उम्मीदवारों के ऐलान के बाद से कर्नाटक में भाजपा के लिए सबकुछ उलझता ही जा रहा है। इन दिग्गज नेताओं की नाराजगी व बगावत के बाद प्रदेश में भाजपा के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिससे अबकी बार 400 पार के उसके लक्ष्य की उम्मीदें भी कम होती जा रही हैं।