33 साल में 100 मेडल का रिकॉर्ड, देखिये दुबई के शूटिंग मेंटर की धमाकेदार कहानी
दोस्तों दुबई, जो आधुनिकता और नवाचार का प्रतीक है, वहां की पुलिस फोर्स न केवल अपराध नियंत्रण में अपनी मजबूती के लिए जानी जाती है, बल्कि अपने अधिकारियों की बेहरीन प्रतिभा के लिए भी अपना लोहा मानवती है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: नमस्कार दोस्तों 4PM मिडिल ईस्ट में आपका इस्तकबाल है। 4PM के इस चैनल पर हम आपके लिए लेकर आते हैं खाड़ी देशों से जुड़ी जरूरी जानकारी और रोचक कहानियां।
साथ ही यहां हम दुनिया तमाम बड़ी खबरों को आपके समाने पेश करते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपके सामने बात करने वाले हैं एक ऐसे शख्स की जिनकी चर्चा ने सिर्फ UAE में बल्कि पूरी दुनिया में हो रही है। दोस्तों दुबई, जो आधुनिकता और नवाचार का प्रतीक है, वहां की पुलिस फोर्स न केवल अपराध नियंत्रण में अपनी मजबूती के लिए जानी जाती है, बल्कि अपने अधिकारियों की बेहरीन प्रतिभा के लिए भी अपना लोहा मानवती है। ऐसे ही एक अधिकारी हैं लेफ्टिनेंट कर्नल जासिम मोहम्मद फयरोज, जिन्होंने दुबई पुलिस में 33 वर्षों की अपनी सेवा के दौरान 100 से ज्यादा gold और silver medals जीते हैं।
इतना ही नहीं उन्हें ‘शूटिंग मेंटर’ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने न केवल खुद शूटिंग में बेहतरीन प्रदर्शन किया, बल्कि दुबई पुलिस के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को एक नई ऊंचाई दी। उनकी कहानी संघर्ष, समर्पण और नवाचार की मिसाल है। इस वीडियो में हम उन्ही के बारे में बात करेंगे जो न केवल युवाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि सुरक्षा बलों के प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर भी। तो बिना देर किये चलिए दोस्तों वीडियो को शुरू करते हैं।
आपको बता दें कि जासिम मोहम्मद फयरोज का जन्म संयुक्त अरब अमीरात में हुआ, सामने आई जानकारी के मुताबिक उन्होंने बचपन से ही शारीरिक फिटनेस और खेलों में रुचि दिखाई। 1990 के दशक में, जब वे दुबई पुलिस में शामिल हुए, तब तक वे पहले से ही एक प्रतिभाशाली एथलीट के रूप में उभर चुके थे। उनकी खेल यात्रा का प्रारंभ बिल्कुल सामान्य नहीं था; यह एक ऐसी यात्रा थी जो राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाने वाली साबित हुई।
1990 में खेलों में सक्रिय रूप से प्रवेश करने वाले जासिम ने जल्द ही एथलेटिक्स में अपनी छाप छोड़ी। वे यूएई के राष्ट्रीय एथलेटिक्स टीम का हिस्सा बने और खाड़ी सहयोग परिषद यानी जीसीसी स्तर की प्रतियोगिताओं में शीर्ष स्थान हासिल किया। उनकी विशेषज्ञता जेवलिन थ्रो और डिस्कस थ्रो में थी। 1996 में, उन्होंने भाला फेंक में 56 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड स्थापित किया, जो कई वर्षों तक अटूट रहा। इस उपलब्धि ने उन्हें ‘नेशनल चैंपियन’ का खिताब दिलाया। दोस्तों यह रिकॉर्ड न केवल उनकी शारीरिक शक्ति का प्रमाण था, बल्कि उनकी तकनीकी दक्षता का भी। डिस्कस थ्रो में भी उन्होंने खाड़ी स्तर पर विजय प्राप्त की, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।
आपको बता दें कि जासिम की खेल यात्रा केवल एथलेटिक्स तक सीमित नहीं रही। 1996 में, आंतरिक मंत्रालय द्वारा आयोजित स्थानीय चैंपियनशिप में प्रथम स्थान हासिल करने के बाद, उन्हें यूएई की मॉडर्न पेंटाथलॉन टीम में चुना गया। मॉडर्न पेंटाथलॉन एक मुश्किल भरा खेल माना है, जिसमें फेंसिंग, स्विमिंग, Equestrian, शूटिंग और रनिंग शामिल होती है। यह चुनौतीपूर्ण अनुशासन जासिम के लिए एक नया आयाम खोल गया। उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता हंगरी में यूएई मिलिट्री टीम के साथ हुई, जहां उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व किया।
यह अनुभव उनके लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला। वहीं 1990 से 2010 तक की उनकी खेल अवधि में, उन्होंने विभिन्न खेलों में 100 से अधिक पदक जीते। ये पदक न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियां थे, बल्कि दुबई पुलिस टीम के लिए भी बेहद गर्व भरे पल थे। वहीं चोट के कारण 2010 में उन्होंने सक्रिय खेल से संन्यास ले लिया, लेकिन उनकी ऊर्जा खेल प्रशिक्षण की ओर मोड़ दी गई। यह मोड़ उनकी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण अध्याय था, जहां एथलीट से मेंटर बनने की यात्रा शुरू हुई।
दोस्तों आपको बता दें कि जासिम का करियर केवल प्रशासनिक भूमिकाओं तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने 184 प्रस्ताव प्रस्तुत किए, जिनमें से 42 को लागू किया गया। इनके लिए उन्हें 240 प्रोत्साहन, 42 पुरस्कार और कई प्रशस्तियां मिलीं। वे यूएई स्वाट चैलेंज कमिटी के सदस्य हैं और विभिन्न टास्क फोर्स का हिस्सा रहे हैं। उनकी बौद्धिक योगदान, जैसे विभिन्न बौद्धिक कार्य, दुबई पुलिस को मजबूत बनाने में सहायक सिद्ध हुए। जासिम को ‘शूटिंग मेंटर’ कहने का कारण उनकी शूटिंग में महारत और प्रशिक्षण नवाचार हैं।
शुरुवाती शूटिंग प्रशिक्षण, जो स्थिर लक्ष्यों पर केंद्रित होता था, को उन्होंने गतिशील आधारित बना दिया। 2010 में लौटने के बाद, उन्होंने चलते हुए लक्ष्यों, वाहन-आधारित फायरिंग और वास्तविक दुनिया के संलग्न रणनीतियों पर जोर दिया। यह बदलाव सुरक्षा कर्मियों के लिए व्यावहारिक था, क्योंकि वास्तविक परिस्थितियां कभी स्थिर नहीं होतीं। उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि दुबई पुलिस का पहला हॉर्सबैक शूटिंग कोर्स शुरू करना था।
यह कोर्स दुनिया के सबसे चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षणों में से एक है, जहां घोड़े पर सवार होकर सटीक निशाना लगाना पड़ता है। जासिम ने खुद इस कोर्स को डिजाइन किया, जिसमें संतुलन, गति और एकाग्रता का परीक्षण होता है। इसके अलावा, उन्होंने नावों और मोटरसाइकिलों से शूटिंग के अभ्यास पेश किए। ऊंचाई के विभिन्न कोणों से शूटिंग यानी नीचे से ऊपर या ऊपर से नीचे, जैसे तकनीकों ने प्रशिक्षण को और वास्तविक बनाया।
ये नयापन महज तकनीकी नहीं थे, वे जासिम की नजरिये पर आधारित थे कि प्रशिक्षण को वास्तविक खतरों से जोड़ा जाए। उन्होंने विविध हथियारों को शामिल किया, ताकि अधिकारी हर स्थिति के लिए तैयार रहें। जिसका रिजल्ट यह रहा कि दुबई पुलिस की टीमें विभिन्न प्रतियोगिताओं में शीर्ष पर पहुंचीं। ‘गोल्ड मेडल स्नाइपर’ का उपनाम जासिम को उनकी स्नाइपर-स्तरीय सटीकता के लिए मिला, जो पिस्टल शूटिंग में उनकी टीम की लगातार जीतों से जुड़ा है। जासिम का प्रशिक्षण दृष्टिकोण समग्र था।
उन्होंने फिजिकल फिटनेस को शूटिंग से जोड़ा, क्योंकि एक थका हुआ शरीर सटीक निशाना नहीं लगा सकता। अल रुवैयाह ट्रेनिंग सिटी के विस्तार में उनकी भूमिका ने इसे एक विश्व-स्तरीय सुविधा बना दिया। वनीकरण परियोजना, जो पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी है, दर्शाती है कि जासिम केवल योद्धा नहीं, बल्कि जिम्मेदार नेता भी हैं। माउंटेन बाइकिंग ट्रैक परियोजना क्षेत्र में पहली है, जो दुबई को प्रशिक्षण innovation का केंद्र बनाएगी।
तो दोस्तों 33 वर्षों में 100 से अधिक मेडल यह संख्या जासिम की कड़ी मेहनत का नतीजा है। लेकिन ये पदक केवल खेलों के नहीं वे दुबई पुलिस के गौरव का प्रतीक हैं। स्वर्ण और रजत बैज, 42 पुरस्कार, 240 प्रोत्साहन, ये सभी उनकी समर्पण की कहानी कहते हैं। जीसीसी चैंपियनशिप से लेकर अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स तक, जासिम ने यूएई का झंडा ऊंचा किया। उनकी बौद्धिक योगदान भी कम नहीं।
184 प्रस्तावों में से 42 लागू होना दर्शाता है कि जासिम विचारक भी हैं। स्वाट चैलेंज कमिटी में उनकी सदस्यता ने यूएई को वैश्विक स्तर पर मजबूत किया। लेकिन सबसे बड़ा प्रभाव उनका मेंटरशिप है। उन्होंने सैकड़ों अधिकारियों को प्रशिक्षित किया, जो आज दुबई की सड़कों पर सेवा दे रहे हैं। उनकी यह कहानी बताती है कि एक व्यक्ति कैसे एक संस्था को बदल सकता है।
हालांकि सार्वजनिक स्रोतों में जासिम के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कम जानकारी है, लेकिन उनकी यात्रा से स्पष्ट है कि चोट ने उन्हें रोका नहीं। 2010 में संन्यास के बाद, उन्होंने ऊर्जा को प्रशिक्षण में लगाया। यह परिवर्तन दर्शाता है कि असफलता अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत है। जासिम की कोई प्रत्यक्ष उद्धरण उपलब्ध नहीं, लेकिन उनकी उपलब्धियां खुद बोलती हैं: “समर्पण से असंभव संभव होता है।”उनकी कहानी युवाओं को सिखाती है कि खेल और पेशेवर जीवन को जोड़ा जा सकता है।
दुबई जैसे शहर में, जहां दबाव अधिक है, जासिम का संतुलन प्रेरणादायक है। लेफ्टिनेंट कर्नल जासिम मोहम्मद फयरोज दुबई पुलिस के गौरव हैं। भविष्य में, माउंटेन बाइकिंग ट्रैक जैसी परियोजनाएं दुबई को वैश्विक नेता बनाएंगी। जासिम की कहानी साबित करती है कि एक शख्स की लगन और मेहनत समाज को बदल सकती है। वे न केवल एथलीट, मेंटर, बल्कि प्रेरणा स्रोत हैं। दुबई पुलिस जैसे संगठन ऐसे ही व्यक्तियों से मजबूत होते हैं। उनकी इस यात्रा से हमे भी बहुत कुछ सीखने को मिल सकता सकता है।



