ओएसडी हटाने से नहीं चलेगा काम बर्खास्तगी होनी चाहिये मंत्री की
पीडब्ल्यूडी के तबादलों के खेल में करोड़ों का गोलमाल
- जिस ओएसडी अनिल कुमार पांडेय पर है भ्रष्टाचार का आरोप, उसे प्रतिनियुक्ति पर लाए थे जितिन प्रसाद
- जांच में मिली धांधली के बाद प्रदेश सरकार ने हटाया, विजिलेंस जांच भी बैठायी
- यूपीए सरकार में मंत्री रहने के दौरान भी अनिल कुमार पांडेय थे जितिन के दाहिने हाथ
- विपक्ष बोला, बिना मंत्री के इशारे पर इतने व्यापक पैमाने पर नहीं हो सकता भ्रष्टाचार
- कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद को मिला है पीडब्ल्यूडी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। प्रदेश के पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) में तबादला घोटाले ने अब तूल पकड़ लिया है। तबादले में करोड़ों के वारे-न्यारे करने के आरोप में भले ही प्रदेश सरकार विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी और अन्य पांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन इस घोटाले ने न केवल विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद बल्कि सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। वहीं विपक्ष का कहना है कि बिना मंत्री की संस्तुति के ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं हो सकती लिहाजा सरकार विभागीय मंत्री जितिन प्रसाद को बर्खास्त करे और उनके खिलाफ भी जांच बिठाए।
पिछले दिनों पीडब्ल्यूडी में व्यापक पैमाने पर किए गए तबादलों में भ्रष्टाचार का मामला सामने आने पर योगी सरकार ने जांच बैठाई थी। धांधली का खुलासा होने के बाद सीएम ने मंत्री जितिन प्रसाद के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय को हटा दिया था। प्रतिनियुक्ति पर आए अनिल पांडेय के खिलाफ विजिलेंस जांच और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति भी की गई है। इस खुलासे के बाद जितिन के ओएसडी अनिल कुमार पांडेय से करीबी होने की भी चर्चा तेज हो गयी है। सूत्रों के मुताबिक यूपीए सरकार में जब जितिन प्रसाद ने पेट्रोलियम, स्टील और एचआरडी मंत्रालय संभाला था तब भी अनिल कुमार पांडेय उनके दाहिने हाथ थे। अब जब वे कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए और योगी-2 की सरकार में मंत्री बनाए गए तो उन्होंने फिर अनिल कुमार पांडेय को दिल्ली से प्रतिनियुक्ति पर बुलाकर अपना ओएसडी बनाया था। चर्चा है कि सीएम योगी जितिन को पसंद नहीं करते हैं। अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद उन्हें प्रदेश का इतना बड़ा विभाग सौंपा गया। बड़ा सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री जितिन प्रसाद को बर्खास्त करेंगे या उनका इस्तीफा लेंगे।
ईमानदारी से काम करें मंत्री, गड़बड़ी पर बख्शा नहीं जाएगा: सीएम
लखनऊ। लोक निर्माण विभाग में तबादलों में भ्रष्टाचार पर अफसरों पर गाज गिरने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों को नसीहत दी है कि वे अपने दफ्तर और निजी स्टाफ पर आंख मूंद कर भरोसा न करें। उन्होंने कहा कि अपने दफ्तर और घर के स्टाफ पर नजर रखें। मंत्री ध्यान रखें कि उनका स्टाफ क्या कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री ईमानदारी और पारदर्शिता से काम करें। भ्रष्टाचार और अनियमितता की एक भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की समझिए क्रॉनॉलॉजी: अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार और कुशासन को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार पर जमकर हमला किया है। उन्होंने ट्वीट किया, उप्र भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार और कुशासन की क्रॉनॉलॉजी समझिए। पहले लोक निर्माण विभाग के मंत्रालय में विद्रोह, फिर स्वास्थ्य मंत्रालय में विद्रोह, अब जल शक्ति मंत्रालय में विद्रोह। जनता पूछ रही है, उप्र की भाजपा सरकार ईमानदारी से बताए, अब अगली बारी किसकी है?
भाजपा सरकार में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार है। बिना मंत्री की संस्तुति के ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं हो सकती। मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और ऐसा न करने पर सरकार को उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए।
कपीश श्रीवास्तव , राष्ट्रीय प्रवक्ता, सपायोगी वन सरकार में भी मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे लेकिन उसे दबा दिया गया। अब यह सतह पर आ गया है। मंत्रियों और अफसरों के गठजोड़ से भ्रष्टाचार चल रहा है। यह मध्य प्रदेश में हुए व्यापं घोटाले की तरह है। सरकार एसआईटी गठित कर जांच कराए और श्वेत पत्र जारी करे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो कांग्रेस दागी मंत्रियों और अफसरों को हटाने के लिए बड़ा आंदोलन करेगी।
दीपक सिंह, कांग्रेस नेताभाजपा घोटालों की पार्टी है। प्रदेश सरकार में मंत्री और अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार चल रहा है। सरकार को तत्काल मंत्री को बर्खास्त कर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। रोहित श्रीवास्तव, जिला उपाध्यक्ष, आम आदमी पार्टी
भाजपा सरकार के मंत्री भ्रष्टाचार उद्योग चला रहे हैं। जिस मंत्री के विभाग में ट्रांसफर और पोस्टिंग का यह घोटाला हुआ है वह इसके पहले से मास्टर रहे हैं। सरकार तत्काल मंत्री को बर्खास्त करे और उनके खिलाफ मुकदमा दायर करे। जब तक बड़े लोगों पर कार्रवाई नहीं होगी भ्रष्टाचार का यह उद्योग फलता-फूलता रहेगा।
अनुपम मिश्रा, राष्ट्रीय संयोजक टीम आरएलडी
ये है मामला
पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) में अभियंताओं के तबादले में घोर अनियमितता और भ्रष्टाचार का मामला उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी जांच के लिए कृषि उत्पादन आयुक्तमनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति में अपर मुख्य सचिव गन्ना विकास संजय भूसरेड्डी और अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक देवेश चतुर्वेदी भी शामिल थे। जांच समिति ने इस मामले की प्रांरभिक जांच पूरी करके 16 जुलाई को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इसी आधार पर ही अब स्थानांतरण घोटाले में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। सूत्रों के मुताबिक जांच रिपोर्ट में विभाग के कई और दिग्गजों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की सिफारिश की गई है।
इनको किया गया निलंबित
लोक निर्माण विभाग में तबादलों में धांधली पर विभागाध्यक्ष मनोज कुमार गुप्ता समेत पांच को निलंबित कर दिया। निलंबित किए जाने वालों में मनोज गुप्ता के अलावा प्रमुख अभियंता (परियोजना एवं नियोजन) राकेश सक्सेना, वरिष्ठ स्टाफ अफसर शैलेंद्र यादव, प्रशासनिक अधिकारी व्यवस्थापन पंकज दीक्षित और प्रधान सहायक व्यवस्थापन संजय चौरसिया हैं। निलंबन के बाद मनोज और राकेश को जहां प्रमुख सचिव लोनिवि के कार्यालय से संबद्ध किया गया है, वहीं शैलेन्द्र यादव को प्रमुख अभियंता (ग्रामीण सडक़) के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में निलंबित अभियंताओं के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही करने और सचिव स्तर से अधिकारी से जांच कराने की भी सिफारिश की गई है।