राहुल गांधी की राह पर सचिन पायलट

राजस्थान के गांव-गांव में कर रहे दौरे

  • अपनी सियासी ताकत बढ़ाने की जुगत में लगे

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राहुल गांधी पूरे देश को भारत जोड़ो यात्रा के तहत मथ रहे तो वहीं राजस्थान के दिग्गज नेता सचिन पायलट पूरे राज्य में दौरे कर रहे। इस दौरे के जरिये वह कांग्रेस की सत्ता को प्रदेश में बरकरार रखना चाहते हैं। अपनी यात्रा के दौरान वह मोदी सरकार को घेर रहे साथ ही कांगेस के हाथ को मजबूत करने में भी जुटे हें। गौरतलब हो कि राजस्थान में सचिन पायलट की लगातार अनदेखी की जा रही है। कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को बार-बार आश्वासन दे रहा है कि उन्हें उचित मान सम्मान मिलेगा। प्रदेश की राजनीति में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मगर कांग्रेस आलाकमान द्वारा पायलट को ताकतवर बनाने की दिशा में अभी तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हो पाई है। इससे सचिन पायलट का भी धीरज जवाब देने लगा है। इसीलिए वह एक बार फिर मुखर होकर बयान देने लगे हैं।
कुछ दिनों पूर्व सचिन पायलट भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पंजाब में राहुल गांधी से मिलकर राजनीतिक चर्चा की थी। उसके बाद लौटकर उन्होंने राजस्थान में जाट बहुल नागौर, हनुमानगढ़, झुंझुनू, पाली व जयपुर में बड़ी-बड़ी जनसभाएं कर अप्रत्यक्ष रूप से गहलोत सरकार पर निशाना साध रहें हैं। पायलट की मीटिंगो में हजारों की संख्या में लोग शामिल हो रहें हैं। हर जगह पायलट ने बेरोजगारों, युवाओं, किसानों, दलितों व पीडि़तों के पक्ष में बातें रखकर गहलोत सरकार को घेरने का काम किया है। सचिन पायलट की जनसभाओं में उमड़ रही भीड़ को देखकर गहलोत के हाथ पांव फूल गए। उन्होने अपने मंत्रियों को तुरंत प्रदेश के दौरे पर रवाना कर जन समस्याओं को सुलझाने के निर्देश दिए है।
पायलट को यह बात अच्छी तरह समझ में आ चुकी है कि गहलोत के सामने कांग्रेस आलाकमान बेबस हो रहा है, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी चाहे पायलट के धैर्य की कितनी भी तारीफ करें। गहलोत के मुख्यमंत्री रहते उनको कुछ भी मिलने वाला नहीं है, पायलट जान चुके हैं कि फिलहाल गांधी परिवार उन्हें सिर्फ दिलासा के अलावा और कुछ नहीं दे सकता हैं, मुख्यमंत्री गहलोत पायलट को बार-बार कांग्रेस से बगावत करने वाले नेता के तौर पर कठघरे में खड़ा करते रहते हैं। मगर गहलोत द्वारा स्वयं ही पार्टी आलाकमान के निर्देशों को नहीं मानकर खुलेआम बगावत करने की घटना को गहलोत मात्र एक छोटी सी भूल बताकर उस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहते हैं।
गहलोत समर्थक विधायकों द्वारा 25 सितंबर 2022 को जयपुर में कांग्रेस पर्यवेक्षक मलिकार्जुन खरगे व अजय माकन की उपस्थिति में कांग्रेस विधायक दल के समानांतर कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के घर पर अलग से विधायकों की मीटिंग आयोजित कर विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपने की घटना को गहलोत सिर्फ माफी मांग कर समाप्त कर देना चाहते हैं। उस घटना के बाद गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांग कर अपने को पाक साफ कर लिया था। जबकि सचिन पायलट को गहलोत अभी तक भी गुनाहगार मानते आ रहे हैं। सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान से इस बात को लेकर भी गहरी नाराजगी है कि कांग्रेस पर्यवेक्षकों के सामने समानांतर मीटिंग बुलाने के दोषी कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी व पर्यटन निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को कांग्रेस अनुशासन समिति द्वारा कारण बताओ नोटिस दिए हुए करीबन साढ़े तीन माह बीत जाने के बाद भी अभी तक उनके खिलाफ किसी तरह की कार्यवाही नहीं की गई है। इतना ही नहीं उस घटना के दोषी तीनों ही नेता पार्टी के हर कार्यक्रम में बढ़-चढक़र भाग लेते हैं। पायलट कई बार कारण बताओ नोटिस देने वाले नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग कर चुके हैं। उसके उपरांत भी अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। इससे पायलट को लगता है कि मुख्यमंत्री गहलोत के दबाव में कांग्रेस आलाकमान इन तीनों नेताओं के खिलाफ किसी भी तरह की कार्यवाही को टाल रहा है। जबकि सचिन पायलट ने जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कार्यशैली के खिलाफ बगावत की थी तब उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व उपमुख्यमंत्री के पद से तथा उनके समर्थक तीन मंत्रियों महाराजा विश्वेंद्र सिंह, रमेश मीणा, मुरारी लाल मीणा को तत्काल पद से बर्खास्त कर दिया गया था. पायलट की नजरों में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।

 

 

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