चंद्रशेखर के विवादित बयान पर भडक़े संत
अयोध्या। तुलसीदास रचित रामचरित मानस पर बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर की विवादित टिप्पणी के बाद से बवाल मच गया है। अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने इसे सनातनियों का अपमान बताया है। परमहंस आचार्य ने चंद्रशेखर की जीभ काटकर लाने वाले को 10 करोड़ का ईनाम देने का विवादित ऐलान भी कर दिया है। उन्होंने कहा कि एक हफ्ते के भीतर मंत्री को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए। परमहंस आचार्य ने चंद्रशेखर को उनके पद से बर्खास्त करने की भी मांग की है।
उन्होंने कहा, बिहार के शिक्षा मंत्री (चंद्रशेखर) ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाली किताब बताया है, उससे पूरा देश आहत है। यह सभी सनातनियों का अपमान है और मैं इस बयान पर कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूं। उन्हें पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक हफ्ते के भीतर मंत्रीजी को माफी मांगनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करता हूं। परमहंस आचार्य ने कहा कि ऐसे बयानों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रामचरितमानस जोडऩे वाला ग्रंथ है, तोडऩे वाला नहीं। रामचरितमानस मानवता की स्थापना करने वाला ग्रंथ है। यह भारतीय संस्कृति का स्वरूप है। यह हमारे देश का गौरव है। रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
बिहार सरकार के मंत्री के मानस पर दिए गए विवादित बयान पर संत समुदाय ने कड़ा आक्रोश जताया है। एक अन्य पुजारी ने चंद्रशेखर को असभ्य करार दिया और कहा, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर एक अशिक्षित और असभ्य व्यक्ति हैं, जो रामचरितमानस के बारे में कुछ नहीं जानते। रामचरितमानस पूरे समाज को जोडऩे के लिए है। राम सबके हैं। राम हर भारतीय की आत्मा हैं। उन्होंने बिहार सरकार से मांग की कि शिक्षा मंत्री को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए। संत ने कहा कि वे बहुसंख्यक समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इस पर हम सभी को आपत्ति है। भगवान राम मर्यादा के शिखर हैं। उन्होंने पूरी दुनिया को मर्यादा, मानवता और जीवन का पाठ पढ़ाया है।
बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि रामायण पर आधारित महाकाव्य और हिंदू धार्मिक पुस्तक रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाती है। नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने रामचरितमानस और मनुस्मृति को समाज को विभाजित करने वाली पुस्तकें बताया। राजद विधायक चंद्रशेखर ने कहा कि मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया। फिर उसके बाद रामचरित मानस ने समाज में नफरत पैदा की। आज के समय में गुरु गोलवलकर की विचारधारा समाज में नफरत फैला रही है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति को बाबा साहब अंबेडकर ने इसलिए जलाया था क्योंकि वह दलित और वंचितों के हक छीनने की बात करती है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स हैं। यह ग्रंथ नफरत फैलाने वाले ग्रंथ हैं। नफरत देश को महान नहीं बनाएगा, देश को मोहब्बत महान बनाएगा।