संघ को सता रहा यूपी में भाजपा की हार का डर

  • पार्टी में मची अंतरकलह व उठापटक पर आरएसएस ने जताई चिंता
  • अब खुद संघ ने संभाला यूपी का मोर्चा, जल्द करेगा बैठक

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लोकसभा चुनावों में आए निराशाजनक नतीजों के बाद से प्रदेश में भाजपा के अंदर के लगातार उठापटक मची हुई है। पार्टी के अंदर सरकार और संघठन के बीच रैंच मची हुई है। प्रदेश के शीर्ष पार्टी नेताओं द्वारा लगातार दिल्ली के चक्कर भी काटे जा रहे हैं। संभावनाएं ये भी बताई जा रही हैं कि आने वाले दिनों में योगी के मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव देखने को मिल सकती है। यही वजह है कि भाजपा के अंदरखाने में मची रार से पार्टी नेतृत्व तो पेशोपेश में है ही, लेकिन इससे सबसे अधिक चिंता संघ परिवार को हो रही है।
संघ परिवार को अब इस बात की चिंता सताने लगी है कि भाजपा नेताओं का यही हाल रहा तो कई दशकों की मेहनत पानी तो फिरेगा ही, साथ ही हिंदुत्व की अलग जगाने के अभियान को भी झटका लग सकता है। सूत्रों की माने तो संघ परिवार की पहल पर जल्द ही बैठक होगी, जिसमें भाजपा नेताओं के बीच चल रहे शीतयुद्ध पर विराम लगाने को लेकर फैसले किए जाएंगे। सबसे पहले तो संघ के किसी बड़े पदाधिकारी यूपी सरकार और संगठन के बड़े नेताओं के साथ बैठक करके स्थिति व वजहों पर मंथन करेंगे। इसके बाद दिल्ली या किसी और शहर में बैठक होगी, जिसमें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से जुडे नेता भी शामिल हो सकते हैं।

संघठन की आड़ में निजी स्वार्थ पूरे कर रहे नेता

सूत्रों की माने तो संघ परिवार का यह भी मानना है कि सरकार से बड़ा संगठन की आड़ लेकर अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए लड़ाई लड़ रहे अतिमहत्वाकांक्षी भाजपा नेताओं की वजह से कहीं यूपी हाथ से न निकल जाए। यहां यह भी ध्यान रखना होगा कि भाजपा और संघ के एजेंडे के लिहाज से यूपी का एक अलग ही स्थान है। गौर करने वाली बात यह भी है कि भाजपा, आरएसस व विश्व हिंदू परिषद अपने धार्मिक एजेंडे को परवान चढ़ाने के लिए यूपी को हिंदुत्व का एक मजबूत प्रयोगशाला मानते रहे हैं। संघ ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को यह संकेत दे दिया है कि यदि अपनी ही सरकार के खिलाफ हो रहे मोर्चेबंदी होती रही तो 2027 के चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान तो उठाना पड़ सकता है। साथ ही पार्टी के राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने का सपा भी धूल-धूसरित हो जाएगा।

संघ नरेंद्र मोदी के बाद योगी को मान रहा हिंदुत्व का बड़ा चेहरा

संघ से जुड़े सूत्रों का कहना है संघ परिवार की नजर में पीएम नरेंद्र मोदी के बाद मुख्यमंत्री योगी की हिंदुत्व का ऐसा चेहरा है, जिन्होंने प्रदेश में ही नहीं बल्कि, देशभर में हिंदुओं को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगर हिंदुत्व के बड़े चेहरे की छवि धूमिल करने की कोशिश पर लगाम नहीं लगाया गया तो इससे हिंदुत्व जैसे भाजपा के कोर एंजेडा को झटका लगेगा और हिंदू समाज के विभाजन को रोक पाना मुश्किल होगा।

एकजुट नहीं हुए तो पार्टी को भुगतना होगा खामियाजा

संघ प्रत्यक्ष तौर पर भले ही अब तक भाजपा नेताओं के अहम की लड़ाई से दूरी बनाए हुए है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही संघ की तरफ से सियासी उठापठक को शांत करने की पहल की जाएगी। इसके लिए संघ में भी अंदरखाने मंथन किया जा रहा है। दरअसल संघ की सबसे बड़ी चिंता यह है कि विकास के साथ ही राम मंदिर और काशी विश्वनाथ जैसे लोकप्रिय धार्मिक एजेंडे पर बेहतर काम करने के बावजूद लोकसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा का ग्राफ तेजी से गिरा है उससे पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। यह स्थिति न तो भाजपा के लिए मुफीद और न ही संघ के लिए। ऐसे में संघ को यह चिंता सता रही है कि अगर भाजपा के नेताओं द्वारा इसी तरह से अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा करने को लेकर होड़ जारी रही तो इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ सकता है। इसका असर सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करने के अभियान पर पड़ सकता है।

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