पूर्वांचल दौरे से लोक सभा चुनाव के लक्ष्य को भी साध गए शाह

पूरी ताकत से योगी के साथ खड़े होने का दिया संदेश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पूर्वांचल दौरे से इस इलाके में भाजपा की सियासी बाजी सजा गए। उनकी एक-एक गतिविधि और एक-एक शब्द में भाजपा के सियासी अमोघ अस्त्रों को धार देने की कोशिश का हिस्सा दिखा। शाह राजनीतिक संदेश देने के साथ अपनी भूमिका को लेकर चल रहे कयासों पर विराम लगाने की भी कोशिश करते दिखे। इस दौरे में गृह मंत्री ने 2022 के जरिए 2024 की चुनावी जमीन भी पुख्ता बनाने के समीकरण साधे। शाह ने बाबा विश्वनाथ की धरती और पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के संसदीय इलाके से यह संदेश देने की कोशिश की कि वह पूरी ताकत से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके निर्णयों के साथ खड़े हैं।

राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि राजनीति में किसी नेतृत्व पर भरोसा न सिर्फ उस राज्य के लोगों को सरकार की स्थिरता का संदेश देता है बल्कि असमंजस खत्म करने के साथ अनावश्यक चर्चाओं पर भी विराम लगाता है, जिसका संबंधित पार्टी को काफी दूरगामी लाभ मिलता है क्योंकि सियासी असमंजस खत्म होने से उस पार्टी को जन समर्थन बढ़ता है।

भाजपा पदाधिकारी कहते हैं कि 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव की दृष्टि से यूपी का 2022 का विधान सभा चुनाव काफी अहम है। यह चुनाव सिर्फ जीत-हार ही नहीं तय करने जा रहा है बल्कि यूपी का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। लोकसभा में यूपी की 80 सीटें 2022 के विधान सभा चुनाव के नतीजों से सीधे प्रभावित होंगी। भाजपा के लिए 2022 सिर्फ यूपी में सरकार बनाने के लिए महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि 2024 का चुनाव जीतने का माहौल बनाकर देश के राजनीतिक पटल पर अपनी भूमिका को अपराजेय बनाने का संदेश देने का भी मौका है।

राजनीतिक गणित भी है अहम

पूरे पूर्वांचल की बात करें तो यहां लोक सभा की 22 और विधानसभा की 124 सीटें हैं। वर्ष 2019 में भाजपा को 2014 के मुकाबले लोक सभा चुनाव में कम सीटें मिलीं। ऊपर से आजमगढ़ भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी सपा का ऐसा गढ़ है जहां 2014 हो या 2017 अथवा 2019, भाजपा को वैसी सफलता नहीं मिली जैसी पूर्वांचल के अन्य स्थानों पर मिली। आजमगढ़ मंडल में आजमगढ़, मऊ और बलिया को मिलाकर विधान सभा की 21 सीटें हैं। इनमें 2017 में भाजपा को नौ सीटें मिली थीं। मंडल की 21 सीटों में सिर्फ आजमगढ़ में ही विधानसभा की 10 सीटें हैं। इनमें 2017 में पांच पर सपा और चार पर बसपा का कब्जा हुआ था। भाजपा को मात्र एक सीट पर जीत मिली थी। आजमगढ़ से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सांसद होने से यह एक तरह पूर्वांचल में सपा की साख का भी प्रतीक है इसीलिए भाजपा के लिए सपा के इस गढ़ पर फतह का अर्थ कई समीकरण साधता है।

मच्छर व माफिया के पीछे भी है संदेश

शाह ने योगी को प्रदेश को दंगामुक्त कराने वाला और मच्छर व माफिया से मुक्त कराने वाला बताकर न सिर्फ यह समझाने की कोशिश की कि कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर भाजपा सरकार ने किस तरह काम किया है, बल्कि यह संदेश देने की भी कोशिश की कि योगी परिपक्व और कठोर प्रशासक हैं। शाह ने आजमगढ़ को सरस्वती धाम तथा योगी ने आर्यमगढ़ कहकर एक तरह से इस इलाके की कट्टरवादी पहचान को भी बदलने के संकेत दिए। जिस तरह आजमगढ़ की छवि आतंकवादियों के गढ़ की रही है, उसको देखते हुए शाह और योगी की बातों के दूरगामी निहितार्थ काफी अहम हैं।

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