’एकसाथ चुनाव से बढ़ेगी केंद्रीकृत तानाशाही‘

एक जुट होकर इस अलोक तांत्रिक प्रस्ताव का विरोध करें सभी राजनीतिक दल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मार्क्सवादी  कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश के अनुसार देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि यह केंद्रीकृत तानाशाही राजनीतिक व्यवस्था की शुरुआत करेगा।
वामपंथी पार्टी के पोलित ब्यूरो ने एक बयान में सभी लोकतांत्रिक संगठनों और नागरिकों से एकजुट होकर इस अलोकतांत्रिक प्रस्ताव का विरोध करने की भी अपील की। माकपा ने दावा किया कि समिति की रिपोर्ट में संविधान और अन्य कानूनों में 18 संशोधन प्रस्तावित हैं और यह संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर करने तथा केंद्र को और अधिक शक्तिशाली बनाने के समान होगा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च-स्तरीय समिति ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की तथा इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की बृहस्पतिवार को सिफारिश की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई 18000 से ज्यादा पृष्ठों की रिपोर्ट में कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने कहा कि एक साथ चुनाव कराए जाने से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और इंडिया जो कि भारत हैै की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।

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