बिहार-यूपी में छोटे दलों ने छेड़ी सियासी तान

मांझी-राजभर व निषाद ने बढ़ाई हलचल

  • मांझी करेंगे एनडीए की चुनावी नाव की सवारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उत्तर भारत के दो अहम राज्य यूपी व बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है। जहां बिहार में जदयू नेता व सीएम नीतीश कुमार भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता में जुटे हैं तो यूपी में कुछ छोटे दल भाजपा ये गलबहियां करने को लालायित हैं। इसबीच रुठने-मनाने, आने-जाने का भी दौर जारी है। जहां हम के जीतनराम मंाझी, उपेन्द्र कुशवाहा जैसे नेता जदयू को छोड़ गए तो, भाजपा ओम प्रकाश राजभर व अन्य छोटी पार्टी के नेताओं को अपने कुनबे जोडऩे के फिराक में लगी है। किसको कितना लाभ मिलेगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
उधर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने भविष्य के विकल्पों पर विचार-विमर्श के लिए कसरत शुरू कर दिया है। अगले कुछ दिनों तक दिल्ली में रहेंगे और उस दौरान वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं से मिलने की कोशिश करेंगे। बिहार विधानसभा में ‘हम के मांझी सहित चार विधायक हैं जबकि बिहार विधान परिषद के सदस्य सुमन ने इस्तीफा दे दिया था, और आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार उनकी पार्टी का जनता दल (यू) में विलय करने का दबाव डाल रहे थे। सत्तारूढ़ महागठबंधन के पास लगभग 160 विधायक हैं। इस गठबंधन में जदयू, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और तीन वाम दल शामिल हैं। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 विधायकों की जरूरत होती है।

भाजपा पर दबाव बना रहे निषाद

भाजपा में सुभासपा की बढ़ती अहमियत को देखते हुए अब निषाद पार्टी के अध्यक्ष व सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद भी दबाव बनाने में जुट गए हैं। इसके लिए वह लखनऊ से दिल्ली तक भाजपा नेताओं से लगातार मिलकर अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लगे हैं। निषाद चाहते हैं कि इस बार लोकसभा चुनाव में उनकी सीटें बढ़ें, पर सुभासपा से गठबंधन होने की स्थिति में उनकी अहमियत भी कम न हो। सूत्रों की मानें तो संजय निषाद भाजपा नेतृत्व के सामने प्रदेश के 38 से अधिक लोकसभा सीटों पर निषाद जाति के प्रभाव का आंकड़ा पेश कर चुके हैं।

राहुल-शाह से भी करेंगे मुलाकात

मांझी ने कहा कि हम नए परिदृश्य पर चर्चा करने के लिए राजनीतिक नेताओं से मिलने की भी कोशिश करेंगे। मैं गृह मंत्री से मुलाकात का समय मांगूगा, मैं राजग के अन्य नेताओं से भी संपर्क करने की कोशिश करुंगा। इससे पहले ‘हम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक बैठक में सुमन को पार्टी की ओर से सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया था और उन्होंने समर्थन वापस लेने के निर्णय की घोषणा की थी। वहीं नीतीश कुमार ने मांझी को 23 जून की विपक्ष की बैठक से बाहर रखने के फैसले का बचाव करते हुए दावा किया था कि वह सब कुछ भाजपा को ‘लीक कर देते। मांझी और सुमन ने कहा है कि हालांकि वे राजग में लौटने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वे तीसरे मोर्चे सहित अन्य संभावनाएं भी तलाश रहे हैं, राजभवन के बाहर जब मांझी से पत्रकारों ने पूछा कि क्या वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात करेंगे तो उन्होंने कहा कि मैं उनसे मिलने की कोशिश करूंगा,मैं बसपा प्रमुख मायावती से भी मिलने की कोशिश करूंगा।

राजभर की नजदीकी से बढ़ी चिंता

दरअसल सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर में भाजपा की बढ़ती दिलचस्पी को देखकर संजय निषाद को गठबंधन में अपनी अहमियत की चिंता सताने लगी है। यही वजह है कि उन्होंने लखनऊ के बजाय दिल्ली में भाजपा नेताओं से मेलजोल बढ़ा दिया है और गाहे-बगाहे ओम प्रकाश राजभर पर सियासी तंज कसने से भी नहीं चूक रहे हैं। हाल ही में कई जिलों में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलनों में निषाद राजभर पर जमकर निशाना साधते रहे हैं। निषाद राजभर को भाजपा गठबंधन का स्थायी पार्टनर भी नहीं मानते हैं। कार्यकर्ताओं के बीच वह इस बात का भी संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि गठबंधन की राजनीति में जिस तरह धैर्य, तटस्थता और मर्यादा का ध्यान रखना पड़ता है, वह हुनर राजभर में नहीं है। सूत्रों की मानें तो भाजपा नेताओं से होने वाली हर मुलाकात में संजय निषाद यूपी खासकर पूर्वांचल में राजभर जाति की संख्या को लेकर ओमप्रकाश के दावे को खारिज करते रहे हैं। दरअसल निषाद इस कोशिश में जुटे हैं कि राजभर से गठबंधन होने की स्थिति में उनकी सियासी हैसियत में किसी प्रकार का डेंट न लगने पाए। उनकी यह भी कोशिश है कि इस बार लोकसभा चुनाव में उनकी भागीदारी बढ़े, जिससे प्रदेश के साथ ही केंद्र में भी सरकार बनने पर उनको प्रतिनिधित्व मिल सके।

 

 

 

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