तो असलियत खुलने के डर से सरकार ने बिल पर नहीं करायी चर्चा!

पिछले सात सालों में किसी भी मुद्दे पर नहीं करायी गयी बहस

4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल
किसानों की मौत पर एक शब्द नहीं बोले पीएम मोदी
 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। कृषि कानूनों की वापसी हो चुकी है। संसद ने इस पर मुहर लगा दी है। हालांकि विपक्ष बारबार बिल पर चर्चा कराने की मांग कर रहा था लेकिन सरकार ने चर्चा नहीं करायी। क्या सरकार को इस बात का डर सता रहा था कि अगर चर्चा हुई तो बिल की कई बातें यूपी और पंजाब चुनाव पर असर डालेंगी? ऐसे कई सवाल उठे वरिष्ठï पत्रकार श्रवण गर्ग, अशोक वानखेड़े, उमाकांत लखेड़ा, राजेश बादल, किसान नेता हरपाल चौधरी और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के बीच चली लंबी परिचर्चा में।
उमाकांत लखेड़ा ने कहा, यह बिल हड़बड़ी में पास किया था। उनके पास कहने को कुछ नहीं था। दिल्ली में रहते हुए पीएम सर्वदलीय बैठक में शामिल नहीं हुए। सरकार बहस कराने के मूड में नहीं थी। एमएसपी समेत कई मुद्दों पर चर्चा होती, इससे सरकार बच रही थी।
अशोक वानखेड़े ने कहा, पीएम मोदी ने कहा कि हम चाहते हैं चर्चा हो लेकिन जैसे ही वे लोक सभा में पहुंचते है तो चर्चा नहीं होती। यह सरकार की नाकामी थी। किसानों की मौत पर भी सवाल उठते। श्रवण गर्ग ने कहा, जो सरकार राज्य सभा में बिल लाते समय चर्चा नहीं कराती है तो बिल वापस लेते समय क्यों कराएगी। सरकार ने संसद में किसी मुद्दे पर बहस नहीं करवायी। राजेश बादल ने कहा, लोकतंत्र का मंदिर संसद पिछले सात सालों में कमजोर हुई है। चर्चा होती तो किसानों की मौत पर सवाल उठते। इस अपराध के लिए सरकार जिम्मेदार है। हरपाल चौधरी ने कहा, किसानों ने बहुत संघर्ष किया। सात सौ किसान शहीद हो गए लेकिन प्रधानमंत्री ने एक शब्द नहीं कहा। ये बिल पूंजीपतियों के लिए लाए गए थे।

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