कर्नाटक: भाजपा में मची ‘भगदड़’ बिगाड़ेगी चुनाव में पार्टी का खेल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
बंगलुरु। कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में अब एक महीने से भी कम का समय रह गया है। लेकिन प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के लिए ज्यों-ज्यों चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, उतनी ही मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। क्योंकि एक ओर ‘40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार’ के आरोप, तो दूसरी ओर सत्ताधारी दल में मची नेताओं की भगदड़। ये दोनों ही मुद्दे पार्टी के लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं।
दरअसल, 224 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में भाजपा अब तक अपनी दो सूचियों में कुल 212 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। भाजपा के लिए उसके उम्मीदवारों की घोषणा ही अब उसका सबसे बड़ा सिरदर्द बन गई है। क्योंकि अपनी इन दोनों ही सूचियों में पार्टी ने अपने कई सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए हैं। टिकट कटने वालों में प्रदेश के पूर्व सीएम और डिप्टी सीएम के नाम भी शामिल हैं। यही वजह है कि प्रत्याशियों का ऐलान होने के बाद से भाजपा में बगावत लगातार जारी है और चुनाव से पहले आए दिन सत्ता दल को झटके पर झटका लग रहा है। इस बीच आज पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा जब भाजपा के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने भाजपा का दामन पूरी तरह से छोड़ कर कांग्रेस का ‘हाथ’ थाम लिया। गौरतलब है कि लक्ष्मण सावदी ने उम्मीदवारों की पहली सूची में नाम न शामिल होने पर ही विधान परिषद सदस्य और भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। सावदी को बेलागवी में अथानी निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा द्वारा टिकट से वंचित कर दिया गया था। उनकी जगह ऑपरेशन लोटस के जरिए बीजेपी में शामिल हुए महेश कुमातल्ली को टिकट दिया गया है। टिकट न मिलने पर लक्ष्मण सावदी ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि मैंने अपना फैसला कर लिया है। मैं भीख का कटोरा लेकर घूमने वालों में से नहीं हूं। मैं एक स्वाभिमानी राजनेता हूं। मैं किसी के बहकावे में आकर काम नहीं कर रहा हूं। सावदी ने दावा किया था कि पार्टी ने उनके साथ अन्याय किया है और यह भी कहा कि नई दिल्ली के किसी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया। इसके बाद से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि लक्ष्मण सावदी कांग्रेस या फिर किसी अन्य पार्टी का दामन थाम सकते हैं। अंतत: उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार से मुलाकात के बाद कांग्रेस का दामन थाम लिया। लक्ष्मण सावदी का जाना भाजपा के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। क्योंकि सावदी प्रदेश में अपनी अच्छी पकड़ रखते हैं और यही वजह है कि वो भाजपा सरकार में राज्य के उपमुख्यमंत्री भी रहे हैं।
भाजपा अपने सिद्धांतों से भटक गई: सावदी
लक्ष्मण सावदी ने कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार और रणदीप सुरजेवाला की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन की। कांग्रेस में शामिल होने के बाद लक्ष्मण सावदी ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी अपने सिद्धांतों का पालन नहीं कर रही है। वहां केवल सत्ता की राजनीति है। पुरानी बीजेपी तो कहीं दिखती ही नहीं है। वे किसी भी कीमत पर सत्ता में रहना चाहते हैं। हमें अब कांग्रेस पार्टी को मजबूत करना है। मेरा बीजेपी के साथ हो गया। सावदी ने यहां तक कहा कि मेरे मरने के बाद भी मेरे शव को बीजेपी ऑफिस के सामने से नहीं लेकर जाया जाए। इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने लक्ष्मण सावदी के बारे में कहा था कि वह बहुत वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें भाजपा में अपमानित किया गया है और ऐसे नेता को कांग्रेस पार्टी में लेना हमारा कर्तव्य है। शिवकुमार के अलावा कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि सावदी ने एक ही शर्त रखी है कि उनके साथ उचित व्यवहार हो। सावदी को अथानी का टिकट दिया जाएगा। वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे और मुझे उम्मीद है कि वह जीत कर आएंगे। जाहिर है कि लक्ष्मण सावदी के भाजपा से कांग्रेस में जाने से भाजपा को तगड़ा झटका लगा है। आगामी चुनाव में कांग्रेस को इसका काफी फायदा मिल सकता है। वहीं लक्ष्मण सावदी के जरिए कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार बेलागवी से अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी भाजपा नेता रमेश जारकीहोली को झटका देने के अवसर का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं। इस घटनाक्रम से 18 सीटों वाले बेलागवी जिले में कांग्रेस के मजबूत होने की संभावना अब और भी बढ़ गई है।
मुरझाने वाला है ‘कमल’!
कर्नाटक में भाजपा अब तक विधानसभा चुनाव में कभी भी बहुमत के आंकड़े को पार नहीं कर पाई है। हालांकि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। ऐसे में इस बार टिकट बंटवारे के बाद से करीब 30 सीटों पर बगावत का सामना कर रही सत्ताधारी भाजपा को लगभग 10 सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं अभी तक टिकट न मिलने पर नाराज चल रहे पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, दिग्गज नेता के एस ईश्वरप्पा, पूर्व मत्स्य और बंदरगाह मंत्री एस अंगारा और उडुपी से तीन बार के विधायक रघुपति भट को मनाने के लिए भाजपा ने अब पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को जिम्मेदारी सौंपी है। जिसके बाद येदियुरप्पा ने पूर्व सीएम शेट्टार को 99 प्रतिशत टिकट मिलने की बात भी कही थी। हालांकि, अभी तक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन इतना तो साफ है कि चुनाव से पहले पार्टी में मची इस तरह की भगदड़ से भाजपा को चुनाव में भारी नुकसान होने वाला है। वहीं कहीं न कहीं पार्टी में इस तरह से नेताओं का पलायन करना ये भी दर्शाता है कि इन नेताओं को ये अंदेशा हो गया है कि आगामी चुनाव में भाजपा का ‘कमल’ मुरझाने वाला है। इसलिए समय रहते कोई सुरक्षित स्थान डूंढ लिया जाए, ताकि सत्ता परिवर्तन के बाद किसी तरह का जोखिम न रहे। एक ओर साहेब लगातार कर्नाटक की दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर पार्टी से नेताओं को रवानगी लगातार जारी है।
भ्रष्टाचार का मुुुुद्दा भाजपा सरकार के लिए मुसीबत
फिलहाल चुनाव से ऐन वक्त पहले सत्ताधारी भाजपा अब पूरी तरह से मुश्किलों में घिरी नजर आ रही है। एक तो पार्टी से विधायकों व नेताओं का पलायन मुसीबत बना हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष 40 प्रतिशत कमीशन के आरोप लगाकर भाजपा सरकार को घेर रही है। दरअसल, प्रदेश की बोम्मई सरकार पर पूरे कार्यकाल के दौरान ही भ्रष्टाचार के तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं। अब इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस इस बार के चुनावी मैदान में उतरी है। कांग्रेस भाजपा को 40 प्रतीशत कमीशन लेने के मामले पर घेर रही है। दरअसल, कांग्रेस लगातार ये आरोप लगाती रही है कि भाजपा सरकार ठेकेदारों, गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों और यहां तक कि कुछ धार्मिक संस्थानों को मिलने वाले अनुदान पर 40 प्रतिशत कमीशन वसूलती है। वहीं जब भाजपा विधायक के घर से करोड़ों रुपए रिश्वत के रूप में बरामद हुए थे, तब इन आरोपों की काफी हद तक पुष्टि भी हुई थी। वैसे भी कांग्रेस ने ये आरोप लगाने तब शुरू किए थे जब प्रदेश के कुछ ठेकेदारों ने बोम्मई सरकार पर 40 प्रतीशत कमीशन लेने के आरोप लगाए थे। अब इन्हीं आरोपों को लेकर प्रदेश में भाजपा मुसीबतों में घिरती जा रही है। क्योंकि जनता भी इन आरोपों से इत्तेफाक रख रही है। कहीं न कहीं 40 प्रतीशत कमीशन के मसले को अगर समय रहते पार्टी द्वारा हल कर लिया गया होता, तो शायद चुनाव से पहले भाजपा कुछ बेहतर स्थिति में नजर आती है। एक ओर प्रधानमंत्री मोदी देश से भ्रष्टाचार को मिटाने की बात कहते फिर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में उनकी ही सरकार पर पिछले चार साल से लगातार भ्रष्टाचार के तमाम तरह के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में एक सवाल तो ये भी उठता है कि आखिर साहेब हर जगह देश से भ्रष्टाचार मिटाने का दंभ भरते रहते हैं, तो फिर अपनी ही सत्ता वाले राज्य में उनका ये जुमला कहां गया। फिलहाल प्रदेश के मौजूदा हालात और भाजपा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इतना तो साफ लग रहा है कि राज्य की जनता ने इस बार चुनाव में भाजपा की भ्रष्ट सरकार को हटाने का फैसला कर लिया है। अब देखना है कि साहेब लगातार कर्नाटक की दौड़ लगाकर वहां के माहौल और परिस्थिति में कितना परिवर्तन कर पाते हैं। इसके लिए हमें 13 मई को चुनाव परिणाम आने का इंतजार करना पड़ेगा।
नाराज विधायक लगातार छोड़ रहे भाजपा
वैसे सिर्फ लक्ष्मण सावदी ही नहीं, टिकट न मिलने पर पूरी पार्टी में भगदड़ मच गई है। और उसके कई बड़े नेता व विधायक पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं। चुनाव से ठीक पहले पार्टी में इस तरह की भगदड़ मचना और मौजूदा विधायकों का पार्टी छोडऩा भाजपा को चुनाव में काफी बड़ा झटका दे सकता है। कर्नाटक में बीजेपी को अपने नेताओं से भावनात्मक रूप से आरोपित विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। लक्ष्मण सावदी के अलावा, एमपी कुमारस्वामी और नेहरू ओलेकर जैसे कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं। पार्टी छोडऩे वाले हर नेता ने पार्टी में वफादारी के बदले धोखा मिलने का आरोप भी लगाया। वहीं एमपी कुमारस्वामी ने अपने टिकट कटने का आरोप सीटी रवि पर लगाया तो वहीं अनुसुचित समुदाय से आने वाले 65 वर्षीय विधायक नेहरू ओलेकर ने टिकट न मिलने के लिए सीएम बोम्मई को जिम्मेदार बताया और उन पर कई तरह के आरोप भी लगाए।