गर्मी का कहर जारी: 2025 के शुरुआती 5 महीनों में ही रिकॉर्ड तोड़ गर्मी, हीटवेव से बेहाल देश
हल साल देश में बढ़ती गर्मी चिंता का कारण बनती जा रही है। वर्ष 2024 को अब तक का सबसे गर्म साल माना गया था, लेकिन 2025 को केवल पांच महीनों में ही तापमान ने लोगों को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः हल साल देश में बढ़ती गर्मी चिंता का कारण बनती जा रही है। वर्ष 2024 को अब तक का सबसे गर्म साल माना गया था, लेकिन 2025 को केवल पांच महीनों में ही तापमान ने लोगों को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दिया है। एक हालिया अध्ययन के अनुसार, पिछले 40 वर्षों यानी 1981-2022 के दौरान भारत में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है। हैरानी की बात यह है कि बीते दशक में रात के तापमान में दिन की अपेक्षा वृद्धि हुई है।
साल 2025 की शुरूआत से ही देश के विभिन्न हिस्से भीषण गर्मी की चपेट में हैं। अप्रैल तक 10 से अधिक राज्य भीषण हीटवेव का सामना कर चुके हैं। लोग घरों से बाहर निकलने से बच रहे है।, और सरकारी चेतावनी का पालन कर रहे है। 2024 में गर्मी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे और इसे वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया था। 2010 के बाद 2024 में देश ने सबसे लंबी गर्मी की अवधि देखी, जब कई राज्यों में पूरे महीने तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना रहा। इसका असर लोगों की सेहत पर भी पड़ा—हीटस्ट्रोक के 44,000 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
एक अध्ययन की मानें तो बढ़ती गर्मी का भारत की अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। अनुमान है कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो 2030 तक देश में लगभग 3.5 करोड़ नौकरियों पर खतरा मंडरा सकता है और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 4.5 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर तापमान नियंत्रण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में यह स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
जोखिम की स्थिति में 76 प्रतिशत आबादी
स्टडी में आगे कहा गया है कि भारत के लगभग 57 प्रतिशत जिले, जिनमें देश की 76 प्रतिशत आबादी रहती है, इस समय अत्यधिक गर्मी के कारण जोखिम की स्थिति में हैं. सबसे अधिक खतरे वाले शीर्ष दस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं.
पिछले 40 वर्षों (1981-2022) में भारत में गर्मी बढ़ी है. हालांकि, पिछले दशक में दिन की तुलना में रात में गर्मी बढ़ी है. लगभग 70 प्रतिशत जिलों में मार्च से जून में रातें बहुत गर्म रही हैं, जबकि केवल 28 प्रतिशत जिलों में बहुत गर्म दिनों में समान वृद्धि देखी गई. गर्म रातें विशेष रूप से चिंताजनक हैं, क्योंकि वे शरीर को ठंडा होने और दिन की गर्मी से उबरने में मुश्किल बनाती हैं.
घनी आबादी वाले जिलों में ज्यादा गर्मी
बहुत गर्म रातों में वृद्धि सबसे ज़्यादा घनी आबादी वाले जिलों में देखी गई है. उदाहरण के लिए पिछले दशक में मुंबई में हर गर्मी में 15 रातें बहुत ज़्यादा गर्म रहीं, बेंगलुरु में 11, भोपाल और जयपुर में 7-7, दिल्ली में 6 और चेन्नई में ये 4 रही. गर्मी में उमस का महत्वपूर्ण योगदान होता है. पिछले दशक में उत्तर भारत और सिंधु-गंगा के मैदान में ये 10 प्रतिशत तक बढ़ गई है.
दिल्ली, चंडीगढ़, कानपुर, जयपुर और वाराणसी जैसे पारंपरिक रूप से शुष्क शहरों में अब उच्च आर्द्रता का स्तर देखा जा रहा है. मुंबई, दिल्ली और सिंधु-गंगा के मैदान के कई हिस्से ऐसे हैं जो अत्यधिक गर्मी का सबसे अधिक सामना करते हैं. 2005 से 2023 के बीच पुणे, थूथुकुडी, कोल्हापुर, मैसूर, कोझिकोड, अजमेर, गुरुग्राम और गुवाहाटी जैसे शहरों में धड़ल्ले से इमारतें बनी हैं. इन शहरों में कंक्रीट वाली सतहें दिन के समय गर्मी को रोकती हैं और रात में इसे छोड़ती हैं, जिससे रात की गर्मी और भी बढ़ जाती है.