बिलकिस के गुनहगारों की रिहाई पर गुजरात सरकार को ‘सुप्रीम’ नोटिस, दोषियों को पार्टी बनाने का आदेश
शीर्ष अदालत ने मांगा जवाब, कहा, देखना होगा रिहाई में दिमाग का प्रयोग किया गया या नहीं
- दोषियों को रिहा करने पर देश भर में हुआ था विरोध, याचिका पर दो हफ्ते बाद होगी सुनवाई
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है, साथ ही सभी दोषियों को भी पार्टी बनाने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि दोषियों की रिहाई के फैसले में दिमाग का इस्तेमाल किया गया या नहीं। इस अदालत ने दोषियों की रिहाई का आदेश नहीं दिया था। सरकार को सिर्फ अपनी रिहाई नीति के आधार पर विचार करने को कहा था। कोर्ट ने इस मामले में रिहा 11 दोषियों को भी पार्टी बनाने को कहा है। शीर्ष अदालत के रुख से साफ है कि बिलकिस बानो के रेप के दोषियों की रिहाई पर वह कोई सख्त फैसला ले सकता है। केस की सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने अदालत से गुजारिश की थी कि पहले उनके तर्कों को सुना जाए कि यह याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई के खिलाफ सीपीएम की नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और एक्टिविस्ट रूप रेखा रानी ने अर्जी दाखिल की थी। गुजरात सरकार ने बीते सप्ताह बिलकिस बानो से रेप के 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। इस पर गुजरात समेत देश भर में सवाल उठे और विरोध प्रदर्शन किए गए थे।
सुनाई गयी थी उम्रकैद की सजा
मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को हत्या और सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सभी 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा। सभी दोषी 15 साल से अधिक समय तक जेल में रहे, जिसके बाद उनमें से एक ने अपनी समयपूर्व रिहाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस पर शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार को उसकी सजा की छूट के मुद्दे को 1992 की नीति के अनुसार उसकी दोषसिद्धि की तारीख के आधार पर देखने का निर्देश दिया था। इसके बाद गुजरात सरकार ने एक समिति का गठन किया था और सभी दोषियों को जेल से समय से पहले रिहा करने का आदेश जारी किया था।
एक औरत को दिए गए न्याय का कैसे हो सकता है अंत: बिलकिस बानो
बिलकिस बानो ने कहा कि जब मैंने सुना कि 11 अपराधी जिन्होंने मेरे परिवार और मेरे जीवन को तबाह कर दिया और मेरी तीन साल की बेटी को मुझसे छीन लिया, वे मुक्त हो गए तो मैं पूरी तरह से नि:शब्द हो गई थी। मैं अभी भी स्तब्ध हूं। आज मैं बस इतना ही कह सकती हूं कि किसी भी महिला के लिए न्याय इस तरह कैसे खत्म हो सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च अदालतों पर भरोसा था। मुझे सिस्टम पर भरोसा था और मैं धीरे-धीरे अपने आघात के साथ जीना सीख रही थी। इन दोषियों की रिहाई ने मेरी शांति छीन ली है और न्याय में मेरे विश्वास को हिला दिया है। मेरा दुख और मेरा डगमगाता विश्वास सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि हर उस महिला के लिए है जो अदालतों में न्याय के लिए संघर्ष कर रही है।
क्या है पूरा मामला
गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे भडक़ गए थे और इसी दंगे के दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था। बिलकिस बानो, जो उस समय पांच महीने की गर्भवती थी, के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसके परिवार के सात सदस्यों की दंगाइयों ने निर्मम हत्या कर दी थी।
विधायकों संग राजघाट पहुंचे केजरीवाल बोले, फेल हो गया ऑपरेशन लोटस
- आवास पर विधायकों के साथ की बैठक, भाजपा पर साधा निशाना
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आबकारी नीति में कथित अनियमितता मामले में सीबीआई छापे को लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी में मचे घमासान के बीच आज दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने आवास पर पार्टी विधायकों संग बैठक की। बैठक के बाद केजरीवाल के नेतृत्व में आप विधायक महात्मा गांधी के स्मारक राजघाट पहुंचे और कहा कि दिल्ली में भाजपा का ऑपरेशन लोटस फेल हो गया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी के सभी विधायक हमारे साथ हैं। ऑपरेशन लोटस फेल हो गया है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ऑपरेशन लोटस के जरिए उनकी सरकार गिराने की कोशिश की गई। भाजपा ने 40 विधायकों को तोडऩे की कोशिश की है, 20-20 करोड़ रुपए का ऑफर किया गया। भाजपा ने 800 करोड़ रुपए तैयार रखे हैं । उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह पैसा पीएम केयर्स से आया है या दोस्तों ने दिया है।
यूपी भाजपा के नए अध्यक्ष बने भूपेन्द्र सिंह
- शीर्ष नेतृत्व ने लगायी मुहर योगी सरकार में हैं पंचायतीराज मंत्री
- राममंदिर आंदोलन के दौरान जुड़े थे भाजपा से
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। आखिरकार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आज उत्तर प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति कर दी। योगी सरकार में पंचायतीराज मंत्री भूपेन्द्र सिंह चौधरी को भाजपा उत्तर प्रदेश का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज भूपेन्द्र सिंह चौधरी को भाजपा उत्तर प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया है। भूपेन्द्र सिंह चौधरी को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार को दिल्ली बुलाया था। इसके बाद से ही उनके इस पद पर नियुक्त होने की अटकलें लगने लगी थीं। भूपेंद्र सिंह चौधरी का जन्म मुरादाबाद की कांठ तहसील के गांव महेंद्री सिकंदरपुर में तीन जून, 1967 को किसान परिवार में हुआ था। राम मंदिर आंदोलन के दौरान वे भाजपा से जुड़े। इस दौरान कई बार जेल भी गए। 2016 में उन्हें विधान परिषद भेजा गया। छह जुलाई, 2022 को कार्यकाल पूरा होने पर वे दोबारा विधान परिषद में निर्वाचित हुए। 2017 के चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया था। योगी सरकार बनने पर उन्हें पंचायतीराज राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया। 2019 में वे इसी विभाग के कैबिनेट मंत्री बने। मौजूदा सरकार में भी वह पंचायती राज मंत्री हैं। भूपेंद्र सिंह चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने बड़ा दांव चला है। इसके जरिए पार्टी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने से लोक सभा चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन से संभावित नुकसान को कम किया जा सकेगा।