इसरो से कई गुना ज्यादा है अन्य देशों का बजट
भारत का स्पेस सेक्टर (Space Sector) तेजी से विकसित हो रहा है.
4pm न्यूज़ : भारत ने अंतरिक्ष में कई उपलब्धियों हासिल की हैं. हमारी इसरो जैसी संस्थाओं ने बेहद कम बजट में कमाल का प्रदर्शन करके दिखाया है. भारत के मंगलयान और चंद्रयान की सफलता को पूरी दुनिया ने सलाम किया है. अब हमारे वैज्ञानिक सूर्य तक पहुंचने के लिए आदित्य प्रोजेक्ट में जुटे हुए हैं. इस साल भारत अंतरिक्ष की दुनिया में कितने कारनामे करता है, यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर निर्भर करता है. वित्त मंत्री 23 जुलाई को बजट पेश करने वाले हैं. भारत की निगाहें उन पर टिकी हैं कि वो स्पेस प्रोग्राम के लिए अपनी तिजोरी में से क्या-क्या देती हैं.
अंतरिम बजट में स्पेस सेक्टर को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 13,042.75 करोड़ रुपये मिले थे. यह पिछले वित्त वर्ष वर्ष के 12,545 करोड़ रुपये से 4 फीसदी ज्यादा है.
इसरो से कई गुना ज्यादा है अन्य देशों का बजट
द प्लैनेटरी सोसाइटी के अनुसार, अमेरिका ने नासा (NASA) को वित्त वर्ष 2023 में लगभग 2,12,000 करोड़ रुपये (25.4 अरब डॉलर) दिए थे. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन के स्पेस प्रोग्राम को लगभग 1,18,000 करोड़ रुपये (11 बिलियन डॉलर) मिले थे. उधर, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) को पिछले साल लगभग 63,700 करोड़ रुपये (7.6 बिलियन डॉलर) का बजट मिला था. यह इसरो के बजट से कई गुना ज्यादा है.
कम बजट से पिछड़ सकते हैं कार्यक्रम
कई लोग चिंता जताते रहे हैं कि इसरो का कम बजट गगनयान और मंगलयान 2 समेत कई तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम को लेट कर सकता है. इससे ग्लोबल स्पेस प्रोग्राम में दबदबा बनाने की भारत की योजनाएं भी प्रभावित होती हैं. कृषि और जलवायु जैसे क्षेत्रों में भारत की तैयारी भी पिछड़ रही है. इसरो ने नासा के साथ मिलकर पृथ्वी में हो रहे बदलावों के बारे में भी महत्वपूर्ण योजना बनाई है. इस साल एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में भी भेजा जाना है.
स्पेस टूरिज्म में हो रहा इजाफा
हाल ही में जानकारी सामने आई थी कि उद्यमी और पायलट गोपी थोटाकुरा ब्लू ओरिजिन के एनएस-25 मिशन पर एक पर्यटक के रूप में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बनने वाले हैं. यदि मिशन सफल रहा तो थोटाकुरा अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय होंगे. इससे पहले विंग कमांडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष पर जा चुके हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2023 में स्पेस टूरिज्म मार्केट 848.28 मिलियन डॉलर का था. 2032 तक इसके बढ़कर 27,861.99 मिलियन डॉलर होने की उम्मीद है.