15 सालों से जमे नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी का 4PM में खबर छपने के बाद तबादला

अलीगढ़ किया गया ट्रांसफर, प्रदेश शासन ने दिया आदेश

  • अशोक सिंह पर गिरी गाज
  • विवादों से था पुराना नाता

मो. शारिक/4पीएम न्यूज़

लखनऊ। आखिरकार अंगद की तरह नगर निगम में डेढ़ दशक से पैर जमाए मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के पांव 4 पीएम की खबरों की मुहिम ने उखाड़ ही दिए। लगभग 15 सालों से नगर निगम को दीमक की तरह खोखला करे रह है इस रसूखदार अधिकारी को शासन ने अलीगढ़ भेज दिया है। गौरतलब हो कि अशोक सिंह के खिलाफ कई सालों से शिकायतें मिल रही थी पर उसका कोई भी बाल भी बांका नहीं कर पा रहा था। उसकी पहुंच इतनी ऊपर तक थी कि जनहित की योजनाओं में वह घपले करता था पर आला अधिकारी संज्ञान तक नहीं लेते थे।
अशोक सिंह के साथ कुछ चहेतों पर भी गाज गिरी है। हालांकि अशोक सिंह के ओएस दिनेश कुमार का तबादला अभी भी नहीं हुआ है। वह भी कई सालों से वहां जमा हुआ है। गौरतलब हो कि नगर निगम के निर्वतमान मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह लगातार विवादों में बने हुए थे। आलम यह था कि अशोक सिंह के लिए कभी नियम कायदे भी कोई मायने नहीं रखते थे। वो जो चाहते हैं, करते हैं। यही वजह है कि वो जोनल और जोन 3 के जोनल भी रह चुके हैं। इस अधिकारी का रुतबा ऐस था कि कई सालों से अपर नगर आयुक्त का कमरा तक कब्जाए हुए था। जबकि खुद अपर नगर आयुक्त के पद पर तैनात हुए अनूप बाजपेई बैठने के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे थे। इतना ही नहीं अशोक सिंह ने अपनी सेवाकाल के अधिकांश वर्ष नगर निगम लखनऊ में ही बिताए। ये इनके प्रभाव का ही असर है कि इनका लखनऊ से इतर कहीं ट्रांसफर भी नहीं किया जाता था। जबकि खुद नगर निगम कर्मचारियों के ट्रांसफर में बड़े खेल करते हैं और अपने चहीतों को मनचाही जगहों पे भेज देते थे।

होर्डिंग और यूनीपोल में भी किया था बड़ा घोटाला

शासन में अपनी पहुंच के चलते कई नगर निगमों के बदल जाने के बावजूद अशोक सिंह अपनी जगह से नहीं हिलता था। वहीं अपने करीबियों को फायदे के पदों पर बिठाकर उनसे लाभ कमा रहे थे। अपने करीबी पंकज अवस्थी को प्रचार का काम थमा कर होर्डिंग और यूनीपोल में भी बड़ा घोटाला किया। अशोक सिंह की साठ गांठ के चलते ही कई बड़ी एजेंसियों के बकाया का भी पता नहीं चल पाता था। अभी गत महीने इकाना स्टेडियम का योनिपोल गिरने के मामले में भी इनका नाम उछला था। ऐसी न जाने और कितनी कंपनियां हैं, जो अशोक सिंह और पंकज अवस्थी की सांठ-गांठ से नगर निगम को चुना लगा रही थी। इतना ही नहीं ऐसे भ्रष्ठ कर्मचारी टैक्स वसूली में भी सालों से घोटाला कर रहे हैं और ट्रांसफर व पोस्टिंग में भी बड़ा खेला कर रहे थे। इस बाबत मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के स्थानांतरण की नीति निर्गत की थी। इस नीति के तहत जो अधिकारी अपने सेवाकाल में सम्बंधित जनपद में कुल 3 वर्ष पूरे कर चुके हों, उनको उक्त जनपदों में स्थानांतरित कर दिया जाए।

15 वर्षों से थी तैनाती, कर्मियों में था आक्रोश

लखनऊ नगर निगम में तैनात मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह पिछले लगभग 15 वर्षों से यहां तैनात थे। कई इनके खिलाफ छोटे अधिकारी दबी जुबान से सवाल खड़े करते रहे। छोटे अधिकारी तो यह तक कहते थे कि अगर हमारे 3 साल हो जाते तत्काल प्रभाव से हमें स्थानांतरित कर दिया जाता था लेकिन अशोक ङ्क्षसह का कुछ नहीं बिगड़ता था। साथी तो आपस में ये तकचर्चा करते थे कि ऐसी क्या वजह है कि मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह पर नगर निगम शासन प्रशासन की कोई नीति लागू नहीं होती। कर्मचारी ये भी बताते थे कि जो 7 वर्ष पूर्ण कर चुके हों उनको मंडल से स्थानांतरण हेतु उक्त निर्धारित अवधि में नहीं गिना जाएगा। मंडलीय कार्यालयों में तैनाती की अधिकतम अवधि 3 वर्ष होगी। लेकिन सवाल ये ही है जब ये नीति लागू थी तो फिर अब तक अशोक सिंह कैसे अब तक इस नीति के दायरे से बचे हुए थे? आखिर क्या वजह है कि अशोक सिंह पिछले कई वर्षों से यहीं पर जमे हुए थे।

बिहार में शिक्षक अभ्यर्थियों ने किया प्रदर्शन

  • सरकार से मांग-डोमिसाइल नीति लागू करे

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। नई शिक्षक नियमावली के विरोध में शिक्षक अभ्यर्थी शनिवार को पटना की सडक़ पर उतर गए और जमकर प्रदर्शन करने लगे। राजभवन मार्च के लिए शिक्षक अभ्यर्थी पहले गांधी मैदान में जमा हुए। करीब 2000 से अधिक शिक्षक अभ्यर्थी हाथों में तिरंगा लेकर राजभवन की ओर बढ़ रहे थे कि जेपी गोलंबर के पास पुलिस ने उन्हें रोक लिया गया।
अभ्यर्थी आगे न जा पाए इसके लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी। अभ्यर्थी बिहार सरकार के विरोध में नारेबाजी करने लगे। उनका कहना है कि बिहार सरकार जल्द से जल्द डोमिसाइल नीति लागू करें। इससे रोड पर अफरातफरी मच गई।

आचार संहिता के तरह कार्रवाई की जाएगी : शिक्षा विभाग

शिक्षा विभाग ने पहले ही अभ्यर्थियों के प्रदर्शन को देखते हुए एक आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि नई शिक्षा नियमावली का विरोध करने वालों के खिलाफ आचार संहिता के तरह कार्रवाई की जाएगी। इसके पहले शिक्षक अभ्यर्थियों ने बिहार सरकार को डोमिसाइल नीति लागू करने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटल दिया था।

बस पलटने से लगी आग, 26 लोग जिंदा जले

  • बुलढाणा में समृद्धि महामार्ग एक्सप्रेसवे पर हुआ हादसा
  • मृतकों में 3 बच्चों भी शामिल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। महाराष्ट्र में शनिवार की भोर भीषण हादसा हो गया। यहां बुलढाणा में नागपुर से पुणे जा रही एक बस हादसे का शिकार हो गई। जानकारी के मुताबिक, बस जब समृद्धि महामार्ग एक्सप्रेसवे पर बुलढाणा के पास थी तभी बस पलट गई और उसमें भीषण आग लग गई। बुलढाणा पुलिस के डिप्टी एसपी बाबूराव महामुनि के मुताबिक, बस में 33 लोग सवार थे। जिनमें से 26 लोगों की जलकर मौत हो गई। वहीं, अन्य लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उधर बुलढाणा जिला कलेक्टर ने कहा कि शवों की डीएनए जांच की जाएगी, जिसके बाद सभी शवों कों परिजनों को सौंप दिए जाएंगे।
बुलढाणा पुलिस के डिप्टी एसपी बाबूराव महामुनि ने इसके बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि यह घटना शुक्रवार रात करीब दो बजे की है। बस से 25 शव निकाले गए हैं। बस में कुल 33 लोग सवार थे। मृतकों में तीन बच्चे भी शामिल हैं। बुलढाना बस हादसे के बाद पीएमओ ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने लिखा कि महाराष्ट्र के बुलढाना में दर्दनाक बस दुर्घटना के बाद बहुत दुखी हूं. मेरी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं। इसके साथ ही उन्होंने घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।

बस ड्राइवर का दावा- फट गया था टायर

इस हादसे में छह से आठ लोग घायल हैं। फिलहाल हादसे की सही वजहों का पता नहीं चल पाया है। घायलों को बुलढाणा सिविल अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। बस का ड्राइवर भी बच गया और उसने कहा कि टायर फटने के बाद बस पलट गई, जिससे बस में आग लग गई।

रक्षा मंत्री ने खेद जताया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा कि महाराष्ट्र के बुलढाना जिले में हुए बस हादसे की खबर से मुझे अत्यंत दुख पहुंचा है। इस दुर्घटना में कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। मैं उनके परिवार वालों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से कामना करता हूं।

मृतकों के परिवारों को 5 लाख की सहायता

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस हादसे में मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। घायलों के इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। हम जिले के साथ-साथ पुलिस प्रशासन के भी संपर्क में हैं और हर तरह की मदद तुरंत मुहैया करायी जा रही है।

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