केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम का बड़ा दावा, कहा- देश में जनजातियों के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी

केद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम-जनमन एक परिवर्तनकारी नीति स्तरीय पहल है जिसका उद्देश्य 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेशों में 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के समग्र विकास को बढ़ावा देना है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम ने दावा किया है कि देश में जनजातियों के विकास के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि उनका मंत्रालय देश में तमाम जनजातियों के विकास के क्षेत्र में अंतर को पाटने के लिए चौतरफा पहल कर रहा है. केंद्र सरकार ने 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाने की मंजूरी दी है.

उन्होंने कहा है कि जनजातीय कार्य मंत्रालय ने राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से देशभर में जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) के जरिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करने के साथ एक साल तक चलने वाले प्रोग्राम की रूपरेखा तैयार की है. यए वार्षिक उत्सव देश के स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्र निर्माण में आदिवासी नेताओं व समुदायों के योगदान का सम्मान करता है.

केद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएम-जनमन एक परिवर्तनकारी नीति स्तरीय पहल है जिसका उद्देश्य 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेशों में 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के समग्र विकास को बढ़ावा देना है. उन्होंने बताया कि 24104 करोड़ रुपए के बजट के साथ पीएम-जनमन को पीवीटीजी समुदायों के लिए जरूरी सेवाओं तक समान पहुंच प्रदान करने, उनके रहने की स्थिति में सुधार करने और उनकी सामाजिक-आर्थिक प्रगति को सुविधाजनक बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. मुख्य उद्देश्यों में तीन वर्षों के भीतर सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पोषण, सड़क संपर्क, बिजली और स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना शामिल है. इसमें जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री दुर्गा दास उइके ने भाग लिया.

मिशन-मोड पर काम कर रही सरकार
18 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 75 PVTGs को लक्षित किया गया है, जिसके लिए 24,104 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है.

लाभार्थी-केंद्रित हस्तक्षेप
4.35 लाख घरों को स्वीकृति मिली है. 1.04 लाख घर पूरे हो चुके हैं, जिससे पीवीटीजी समुदायों के 19 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिला है. 1.42 लाख घरों के विद्युतीकरण को स्वीकृति मिली है (100%) . 1.05 लाख घरों का विद्युतीकरण हो चुका है.

सामुदायिक-आधारित हस्तक्षेप
511 वन धन विकास केंद्र स्थापित किए गए, जिनसे 44,050 पीवीटीजी सदस्य जुड़े. 349 व्यावसायिक

प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए, जिनसे लगभग 25000 लोगों को प्रशिक्षित किया गया. 687 मोबाइल

मेडिकल यूनिट्स (मोबाइल चिकित्सा इकाइयाँ) को चालू किया गया, जो 8200 से अधिक गांवों को

कवर कर रही हैं. 1000 बहुउद्देशीय केंद्रों (बहुउद्देश्यीय केंद्र) को स्वीकृति मिली (100% लक्ष्य). इनमें से 612 निर्माणधीन हैं. 5718 किलोमीटर सड़कों को स्वीकृति मिली, जिससे 2374 पीवीटीजी गांवों को लाभ होगा. 7202 गांवों में पाइप से पेयजल उपलब्ध कराया गया है. 2,139 आंगनवाड़ी केंद्रों को स्वीकृति मिली है.

संतृप्ति मॉडल
596 गांवों को विभिन्न हस्तक्षेपों से संतृप्त किया गया है.

आंगनवाड़ी सेवाएं: बिहार, केरल और मणिपुर में पूरी तरह संतृप्त.

विद्युतीकरण: तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात और महाराष्ट्र में हासिल.

स्वास्थ्य सेवाएं: राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संतृप्त.

पेयजल तक पहुंच: गुजरात और तेलंगाना में हासिल.

जागरूकता अभियान
आपको बता दें,कि राज्य सरकारों के सहयोग से 18,000 से अधिक जागरूकता और लाभ संतृप्ति अभियान आयोजित किए गए हैं, ताकि 28 लाख से अधिक पीवीटीजी व्यक्तियों को प्रमुख दस्तावेजों और लाभों तक पहुंच सुनिश्चित की जा सके. इनमें आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, जन धन खाते और पीएम-किसान, आयुष्मान भारत, मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ शामिल है.

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