आधा जानवर तो आधा पौधा है ये जीव देखकर नहीं होगा आंखों पर यकीन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
क्या कोई ऐसा भी जीव है जो जानवरों को खाता है या क्या कोई जानवर केवल वनस्पति खा कर खुद पौधे की तरह काम करने लग सकता है। महासागर में एक इस तरह का जीव पाया गया है। समुद्री स्लग या घोंघा वैसे तो जानवर ही है, लेकिन यह अपने अंदर बहुत ही रोचक तरीके से ऐसी क्षमता विकसित कर लेता है जिससे वह पौधों की तरह खाना बनाने लगता है। समुद्री घोंगा या स्लग के शरीर के अंदर ही क्लोरोफिल होता है। इसका उपयोग वे सूर्य की रोशनी के जरिए अपना खाना बनाने के लिए करते हैं। ये बिलकुल पौधों के जैसे फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। इनमें पैदा होने के साथ ही क्लोरोफिल नहीं होता है। वे क्लोरोफिल अपने जीवन में बहुत सारी वनस्पति खा खा कर हासिल करते हैं। इस वजह से उन्हें सैकोग्लासन या सैप चूसने वाले समुद्री स्लग कहा जाता है इसके लिए वे काई के तंतुओं का उपयोग स्ट्रॉ की तरह करते हैं। लेकिन वे खाने को जानवरों की तरह पचाते हैं। इसके बाद उन्हें केवल सूर्य की रोशनी की जरूरत होती है। इस पूरी प्रक्रिया को क्लेप्टोप्लास्टी कहते हैं। और इस क्षमता की वजह से ही इन सैकोग्लोसैन जीवों को सौर ऊर्जा वाले समुद्री स्लग नाम मिला हुआ है। पर क्या क्लोरोप्लास्ट चुराने से ही ये जानवर इस तरह से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कर सकते हैं? वैज्ञानिक जानते थे कि यह संभव नहीं है। इसीलिए उन्होंने इसकी तह तक जाने का फैसला किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि इलिसिया क्लोरोटिका ना केवल काई से क्लोरोप्लास्ट चुराते हैं, बल्कि उनसे उनकी जीन्स को भी लेते हैं और अपने डीएनए में मिला लिया करते हैं। यह जीन ट्रांसफर की बहुत ही अनोखी और शानदार मिसाल है। ये सबसे ज्यादा अमेरिका और कनाडा के पूर्वी तटों के नमकीन दलदल, तलाबों आदि में पाए जाते हैं। ये 2 से 3 सेमी के जीव 6 सेमी तक लंबे हो सकते हैं। युवा इलिसिया क्लोरोटिका लाल या फिर स्लेटी रंग के होते हैं और एक बार जब इनमे क्लोरोप्लास्ट आने लगता है, तो इनका रंग चमकीला हरा होने लगता है। हरे रंग से ये शिकारी जानवरों को भी धोखा में रखने में सफल रहते हैं। ये प्रकाश संश्लेषण के जरिए एक साल तक बिना खाए पिए रह सकते हैं।

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