वजूद में आने से पहले ही विवादों में उलझा यह धर्म

नई दिल्ली। अरब देशों में एक नया धर्म फल-फूल रहा है। हालांकि इस धर्म की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन इब्राहीम धर्म की इन दिनों काफी चर्चा हो रही है। फैमली हाउस की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर धार्मिक एकता के लिए मिस्र के अभियान ने धर्म के बारे में अपनी टिप्पणी के बाद बहुत आलोचना को आकर्षित किया है। गौरतलब है कि अब तक इब्राहीम धर्म की कोई नींव नहीं रखी गई है और न ही इसका कोई अनुयायी है। इतना ही नहीं इसमें कोई धार्मिक ग्रंथ भी नहीं है। इसके बावजूद इस धर्म की चर्चा तेज हो गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अब्राहमिक धर्म को एक धार्मिक परियोजना माना जा सकता है। इस योजना के तहत इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म में समानता को ध्यान में रखते हुए पैगम्बर अब्राहम के नाम से एक नया धर्म बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य तीनों धर्मों के बीच के मतभेदों को दूर करना है। अरब देशों में पिछले एक साल से लगातार अब्राहम धर्म की चर्चा हो रही है। इसको लेकर विवाद जारी है।
मिस्र के फैमिली हाउस की दसवीं वर्षगांठ के अवसर पर, अल-अजहर के सर्वोच्च इमाम, अहमद अल तैयब ने धर्म की आलोचना की। उनका कहना है कि जो लोग ईसाई, यहूदी और इस्लाम के एकीकरण का आह्वान करेंगे, वे कहेंगे कि उन्हें सभी बुराईयों से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन दूसरे धर्मों का सम्मान करना और उनका पालन करना दो अलग चीजें हैं। उनका कहना है कि सभी धर्मों को एक साथ लाना संभव नहीं है। मिस्र के पादरियों ने भी अब्राहमिक धर्म के अस्तित्व को नकारा है। वे कहते हैं कि यह धर्म धोखे और शोषण की आड़ में एक राजनीतिक आह्वान है।

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