गुजरात में बुलडोजर कार्रवाई के बाद हजारों लोग बेघर, सरकार नहीं ले रही सुध

पहलगाम हमले के ठीक दो दिन बाद गुजरात में बंग्लादेशियों की तलाश में उतरी पुलिस से हजारों मुसलमानों को बेघर कर दिया...  

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भयानक आतंकी हमला हुआ…. जिसमें 26 लोग मारे गए….. इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया…. सरकार ने इसे पाकिस्तान से जुड़ा माना और सख्त कदम उठाए….. लेकिन इस घटना का असर सिर्फ़ सीमा पर ही नहीं…… बल्कि देश के कई हिस्सों में भी दिखा….. पहलगाम हमले के ठीक एक हफ़्ते बाद 28 अप्रैल को अहमदाबाद पुलिस ने चंदोला झील के पास की झुग्गी बस्तियों में छापेमारी शुरू की…… पुलिस का कहना था कि वे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की तलाश कर रहे हैं……. इस अभियान में सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया….. मई 2025 तक चंदोला झील के आसपास की झुग्गी बस्तियों को पूरी तरह से तोड़ दिया गया….. लगभग 12,500 गरीब परिवारों के घर और दुकानें बुलडोज़र से ध्वस्त कर दी गईं……. इनमें ज़्यादातर मुस्लिम परिवार थे……

इस कार्रवाई में लोगों को न तो पहले से कोई नोटिस दिया गया…… न ही उन्हें अपना सामान बचाने का मौक़ा मिला……. और न ही उनके लिए कोई पुनर्वास योजना बनाई गई…… यह सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों का उल्लंघन था…… जो कहते हैं कि बस्तियों को तोड़ने से पहले लोगों को उचित नोटिस और पुनर्वास का इंतज़ाम करना ज़रूरी है….. इसके बाद हज़ारों लोग बेघर हो गए…… कुछ लोग तिरपालों के नीचे रहने को मजबूर हैं…… कुछ सरकारी आश्रय गृहों में गए…… और कुछ रिश्तेदारों के पास चले गए……. भारी बारिश में कई परिवार ऑटोरिक्शा में रातें बिता रहे हैं……. बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है…….. और परिवारों को गुज़ारा करने के लिए कर्ज़ लेना पड़ रहा है……

अहमदाबाद में चंदोला झील के आसपास की बस्तियाँ दशकों से मज़दूरों, छोटे दुकानदारों और मेहनतकश परिवारों का घर थीं……. यहां ज़्यादातर लोग मज़दूरी, छोटे-मोटे काम, या ऑटोरिक्शा चलाकर अपनी रोज़ी-रोटी कमाते थे……. इन बस्तियों में मुस्लिम परिवारों की संख्या ज़्यादा थी……. लेकिन हिंदू और अन्य समुदाय के लोग भी रहते थे…… लोग यहां मेहनत करके अपने बच्चों को पढ़ाने और बेहतर ज़िंदगी देने की कोशिश में थे…… इन झुग्गियों में छोटे-छोटे घर थे….. जिनमें परिवार अपने सीमित साधनों में खुश रहते थे…… बच्चे पास के स्कूलों में पढ़ने जाते थे…… और महिलाएं घर चलाने के साथ-साथ छोटे-मोटे काम करती थीं……. यह बस्ती भले ही गरीब थी, लेकिन यहाँ एक समुदाय था…… जहां लोग एक-दूसरे की मदद करते थे…….. दुकानें, छोटे-मोटे कारोबार और मेहनत की ज़िंदगी इस बस्ती की पहचान थी…….

आपको बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने पूरे देश में सुरक्षा को लेकर सख्ती बरतनी शुरू की…….. गुजरात पुलिस ने दावा किया कि चंदोला झील की बस्तियों में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए रह रहे हैं……. जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं…….. वहीं इस दावे के आधार पर 28 अप्रैल को पुलिस ने बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू की……. पुलिस ने रात के समय बस्तियों में घुसकर लोगों को उनके घरों से निकाला…… कई लोग उस समय सिर्फ़ रात के कपड़ों में थे…… पुरुषों, महिलाओं, और यहां तक कि बच्चों को भी हिरासत में लिया गया…… पुलिस ने कहा कि वे उन लोगों की जांच कर रहे हैं…….. जिनके पास भारतीय नागरिकता के दस्तावेज़ नहीं हैं…… लेकिन इस अभियान में कई ऐसे लोग भी पकड़े गए……. जिनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य दस्तावेज़ थे……. कुछ लोगों का कहना था कि वे महाराष्ट्र, बिहार, या अन्य राज्यों से आए थे……. लेकिन पुलिस ने उन्हें बांग्लादेशी मानकर हिरासत में ले लिया……

आपको बता दें कि 28 और 29 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ यह अभियान मई तक चला……. 20 मई 2025 को अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने चंदोला झील के पास की बस्तियों को पूरी तरह से तोड़ दिया……. बुलडोज़रों ने लगभग 12,500 घरों और दुकानों को तहस-नहस कर दिया….. बता दें इस कार्रवाई में लोगों को पहले से कोई चेतावनी नहीं दी गई कि उनके घर तोड़े जाएंगे…… कई लोग रात को सो रहे थे, जब बुलडोज़र आए…… परिवारों को अपना सामान, जैसे कपड़े, बर्तन, या ज़रूरी दस्तावेज़ निकालने का समय नहीं दिया गया……. कई लोगों के कीमती सामान, पैसे और दस्तावेज़ मलबे में दब गए….. सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा है कि अगर किसी बस्ती को तोड़ा जाता है….. तो वहां रहने वालों को दूसरी जगह बसाने का इंतज़ाम करना ज़रूरी है……. लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ…… लोग बेघर हो गए और उन्हें सड़कों पर छोड़ दिया गया…….

आपको बता दें कि इस कार्रवाई में हज़ारों लोग बेघर हो गए….. कुछ लोग तिरपालों के नीचे रहने लगे……. कुछ सरकारी आश्रय गृहों में गए……. और कुछ अपने रिश्तेदारों के पास चले गए…… लेकिन ज़्यादातर लोगों के पास कोई ठिकाना नहीं था…… बस्ती टूटने के बाद हज़ारों लोग सड़कों पर आ गए……. उनकी ज़िंदगी पूरी तरह से बदल गई….. कई परिवार लकड़ी के डंडों और तिरपालों से बने अस्थायी घरों में रह रहे हैं……. ये घर बारिश, गर्मी, या ठंड से कोई सुरक्षा नहीं देते…… बच्चे और बूढ़े लोग बीमार पड़ रहे हैं……. वहीं जब भारी बारिश होती है, तो कुछ लोग ऑटोरिक्शा में रात बिताते हैं…….. ये ऑटोरिक्शा पास के इलाक़ों में रहने वाले ड्राइवरों के हैं……. जो इन परिवारों को थोड़ी जगह दे देते हैं…… लेकिन यह कोई स्थायी हल नहीं है…… कुछ लोग सरकारी आश्रय गृहों में गए….. लेकिन वहां जगह कम है और हालात अच्छे नहीं हैं……. खाना, पानी, और साफ़-सफ़ाई की कमी के कारण लोग परेशान हैं……. जिनके पास रिश्तेदार थे, वे शहर या बाहर उनके घरों में चले गए…… लेकिन वहां भी जगह और संसाधनों की कमी के कारण मुश्किलें हैं……. कई पुरुष हिरासत से बचने के लिए बस्ती छोड़कर भाग गए…… इससे परिवारों की ज़िम्मेदारी महिलाओं और बच्चों पर आ गई……

वहीं कई बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया…… कुछ परिवारों के पास स्कूल की फ़ीस देने के पैसे नहीं हैं……. तो कुछ के पास बच्चों को स्कूल भेजने का समय और साधन नहीं है….. कई बच्चे अब मज़दूरी करने लगे हैं…….. परिवारों को गुज़ारा करने के लिए कर्ज़ लेना पड़ रहा है…… ये कर्ज़ ऊंची ब्याज दरों पर मिलता है, जिससे लोग और ग़रीबी में डूब रहे हैं…… घर टूटने और बेघर होने का बच्चों और बड़ों पर गहरा मानसिक असर पड़ा है……. लोग डर, चिंता, और अनिश्चितता में जी रहे हैं…….

गुजरात पुलिस और अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का कहना है कि यह कार्रवाई देश की सुरक्षा के लिए ज़रूरी थी……. गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा कि हमने 1,000 से ज़्यादा अवैध बांग्लादेशियों को हिरासत में लिया है……. कुछ लोग अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे थे…… पुलिस का दावा है कि चंदोला झील की बस्तियों में कई लोग बिना दस्तावेज़ के रह रहे थे……. लेकिन कई लोगों ने दिखाया कि उनके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, और वोटर कार्ड जैसे दस्तावेज़ थे……. फिर भी, उन्हें हिरासत में लिया गया या उनके घर तोड़ दिए गए……

वहीं कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने इस कार्रवाई की आलोचना की है…… उनका कहना है कि यह अभियान सिर्फ़ बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ने के लिए नहीं था…… बल्कि इसमें खास समुदाय को निशाना बनाया गया…… कुछ नेताओं ने इसे मुस्लिम-विरोधी कार्रवाई बताया…… जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ़्ती ने भी ऐसी कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं…….. और उन्होंने कहा कि बिना सबूत के लोगों को बेघर करना और उनकी ज़िंदगी बर्बाद करना ग़लत है……

 

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