भाजपा ने अब तक जनता के साथ सिर्फ छलावा किया: अखिलेश
- बोले- बीजेपी की कथनी और करनी में है बहुत अंतर
- सरकार में अभी तक जमीन पर नहीं दिखा कोई निवेश
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लोकसभा चुनावों में अब ज्यादा वक्त बाकी नहीं रह गया है। सपा प्रमुख व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातार भाजपा पर हमलावर हैं। इस बीच अब एक बार फिर बीजेपी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए अखिलेश ने कहा कि भाजपा सरकार ने निवेश के नाम पर अभी तक जनता के साथ छलावा किया है। दस साल में भाजपा की केंद्र और प्रदेश सरकार मिलकर बड़े-बड़े आयोजन कर जनता की आंख में धूल झोंक रही है।
इस सरकार में अभी तक कोई निवेश जमीन पर नहीं दिखाई दिया है। जनता की कमाई इन बड़े आयोजनों में लुटाने के बावजूद किसी भी जिले में कोई बड़ी फैक्ट्री या उद्योग नहीं लगा, जिसमें नौजवानों को नौकरी और रोजगार मिला हो। सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा सरकार के दावे हमेशा झूठे रहे। सरकार की कथनी और करनी में भारी अंतर है। अपने पहले कार्यकाल में निवेश सम्मेलन और शिलान्यास समारोह पर खूब रुपये लुटाए, लेकिन नतीजा शून्य निकला। दूसरे कार्यकाल में भी 40 लाख करोड़ के एमओयू होने का दावा किया। चुनाव करीब देखकर अब शिलान्यास समारोह का फिर दिखावा किया जा रहा है। केवल चमक-दमक और दिखावा करने से निवेश नहीं आता है। इसके लिए ठोस और स्पष्ट नीति जरूरी है। जिसका भाजपा सरकार में अभाव है। जनता भाजपा की इन चालों को समझती है।
अखिलेश नहीं दे रहे पीडीए को महत्व : सलीम शेरवानी
वहीं सपा में राज्यसभा के लिए दो कायस्थ प्रत्याशी उतारने को लेकर घमासान जारी है। पांच बार के सांसद रहे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सलीम इकबाल शेरवानी ने पद से इस्तीफा दे दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजे त्यागपत्र में उन्होंने कहा है कि वे पीडीए को महत्व नहीं दे रहे हैं। इससे सवाल उठता है कि वह भाजपा से अलग कैसे हैं। राज्यसभा के प्रत्याशी घोषित होने के बाद सलीम इस्तीफा देने वाले दूसरे राष्टï्रीय महासचिव हैं। इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य भी पिछड़ों, दलितों व अल्पसंख्यकों (पीडीए) की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे चुके हैं। सलीम शेरवानी ने कहा कि उन्होंने पार्टी की परंपरा के अनुसार बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्यसभा सीट देने का अनुरोध किया था। भले ही मेरे नाम पर विचार नहीं किया जाता, लेकिन पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशियों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है। इससे पता चलता है कि आप (अखिलेश) खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं। सलीम ने त्यागपत्र में कहा है कि अखिलेश से लगातार मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा करते रहे हैं। यह बताने का प्रयास किया है कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। सपा के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं। वे एक सच्चे रहनुमा की तलाश में हैं। पार्टी को उनके समर्थन को कम करके नहीं आंकना चाहिए। सलीम ने कहा कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है। कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है। ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लडऩे की तुलना में एक दूसरे से लडऩे में अधिक रुचि रखता है। धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है। मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा, लेकिन पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है।