आतंकवाद से संबंध: जम्मू-कश्मीर में दो शिक्षक बर्खास्त, महबूबा मुफ्ती ने उठाए सवाल

महबूबा मुफ्ती ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को घेरा है. उनका कहना है कि ऐसा मुसलमानों को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः जम्मू-कश्मीर में 2 सरकारी शिक्षकों को बर्खास्त किया गया है. उन पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ जुड़े रहने का आरोप लगा है. इसे लेकर महबूबा मुफ्ती ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को घेरा है. उनका कहना है कि ऐसा मुसलमानों को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है.

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों से कथित संबंधों को लेकर 2 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. दोनों की पहचान पहचान गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार के रूप में हुई है. ये दोनों शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. इस आदेश को लेकर पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ऐसा कदम मुसलमानों खासकर कश्मीरियों को कमजोर करने के उद्देश्य से लिया गया है.

जानकारी के अनुसार, पिछले 5 सालों में संविधान के अनुच्छेद 311 का हवाला देकर अब तक लगभग 80 सरकारी कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. अब दोनों कर्मचारी गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों का समर्थन करने में सक्रिय रूप से शामिल पाए गए है.

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों से कथित संबंधों को लेकर 2 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. दोनों की पहचान पहचान गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार के रूप में हुई है. ये दोनों शिक्षा विभाग में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. इस आदेश को लेकर पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि ऐसा कदम मुसलमानों खासकर कश्मीरियों को कमजोर करने के उद्देश्य से लिया गया है.

जानकारी के अनुसार, पिछले 5 सालों में संविधान के अनुच्छेद 311 का हवाला देकर अब तक लगभग 80 सरकारी
कर्मचारियों को सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है. अब दोनों कर्मचारी गुलाम हुसैन और माजिद इकबाल डार लश्कर-ए-तैयबा की गतिविधियों का समर्थन करने में सक्रिय रूप से शामिल पाए गए है. उपराज्यपाल के फैसले पर अधिकारियों ने कहा कि ये एक्शन मनोज सिन्हा के आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का नतीजा है. साथ ही जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी इको सिस्टम पर व्यापक कार्रवाई है.

गुलाम हुसैन 2004 में रहबर-ए-तालीम (ReT) शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए थे और 2009 में उन्हें रेगुलर किया गया. वो रियासी के माहौर स्थित कलवा के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में तैनात थे. उस पर आरोप है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वो लश्कर के लिए गुप्त रूप से काम कर रहा था. वो एक ओवरग्राउंड वर्कर (OGW) था और रियासी और आसपास के इलाकों में आतंकी नेटवर्क को मजबूत करने का काम था और 2023 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

जांच से पता चला कि हुसैन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों मोहम्मद कासिम और गुलाम मुस्तफा के संपर्क में था. दोनों उसके हैंडलर थे. उसे एक स्थानीय माध्यम से आतंकी फंड मिलता था. उसे वो आतंकवाद को समर्थन देने वाले परिवारों तक पहुंचाता था. उसे विभिन्न माध्यमों से नियमित रूप से पार्सल और वित्तीय सहायता मिल रही थी.

2019 में डार को बनाया टीचर
वहीं माजिद इकबाल डार को उसके पिता की मृत्यु के बाद उनकी जगह पर 2009 में शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक के रूप में नियुक्त किया गया था. बाद में 2019 में उसे शिक्षक के रूप में पदोन्नत किया गया. वो भी लश्कर के ओवरग्राउंड वर्कर के रूप में काम कर रहा था. सूत्रों ने बताया कि ये राजौरी और आसपास के क्षेत्र में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में शामिल प्रमुख व्यक्ति था.

आपको बता दें,कि डार नार्को-आतंकवाद में भी शामिल था और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मोद जबार के साथ उसके घनिष्ठ संबंध थे. वो नशीली दवाओं के पैसे का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए कर रहा था. जनवरी 2023 में उसके आतंकी संबंधों का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने राजौरी में जम्मू कश्मीर बैंक के पास लगाई गई एक आईईडी बरामद की. जांच के दौरान पुलिस ने डार समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया. बाद में पता चला कि पाकिस्तान में अपने आका के निर्देश पर आईईडी लगाई थी और उन्हें एक माध्यम से पैसे भी मिले थे.

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