यूपी मानसून सत्र: सपा ने योगी सरकार को घेरा

यूपी विधानसभा की हंगामे से शुरुआत, सदन में उठा नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के अपमान का मुद्दा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र का आगाज हंगामे से हुआ। विपक्ष ने भाजपा सरकार को राज्य की समस्याओं व स्कूलों के विलय को लेकर घेरा। हंगामें को देखते हुए कई बार विधान सभा की कार्यवाही बीच-बीच में बाधित होती रही। सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने नेता प्रतिपक्ष के अपमान का मुद्दा उठाया जिस पर सपा विधायकों ने उनके समर्थन में जोरदार आवाज उठाई।
सोमवार को जैसे ही विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई, इसके बाद समाजवादी पार्टी के नेता और नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने आरोप लगाया कि जब वह बीते दिनों गोरखपुर गए तो वहां उनके साथ अभद्रता हुई। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जटाशंकर चौराहा, घंटाघर पर जब वह वरासत गलियारे के मुद्दे पर लोगों के बीच गए तो वहां उनके रास्ते में बुलडोजर लगाकर नारेबाजी की गई। उन्होंने मांग की कि सरकार इसकी जांच कराए। हंगामे और नारेबाजी के बीच स्पीकर सतीश महाना ने सदन को 15 मिनट के लिए स्थगित दिया।

पिछले दिनों मुझे गाड़ी से बाहर खींचने की कोशिश की गई : माता प्रसाद पांडेय

माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि मैं अपने नेता विधान परिषद् के साथ जा रहा था तो रास्ते में ही कार्यवाही शुरू हो गई। जो पुलिस की गाड़ी आगे लगाई गई थी, वह पीछे हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनको गाड़ी से बाहर खींचने की कोशिश की गई।

भाजपा ने नहीं व्यापारियों ने किया था विरोध : सीएम योगी

सपा नेता के आरोप पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग आपका विरोध कर रहे थे, वो भारतीय जनता पार्टी के नहीं थे। आपका विरोध व्यापारियों ने किया था। सिर्फ गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे रा’य के व्यापारी आपका विरोध करते हैं, आप गोरखपुर खुद नहीं गए बल्कि अपने हाईकमान के कहने पर गए।

घटना की जांच कराई जाए

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मेरी मांग है कि इस घटना की जांच कराई जाए। इसके जवाब में संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा- यह मामला पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। इसमें जब कुछ हुआ ही नहीं तो जांच किस बात की कराई जाए। इसी दौरान विपक्षी नेताओं ने नेता प्रतिपक्ष के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।

मानसून सत्र को प्रदेश व जनहित में उपयोगी बनाना जरूरी : मायावती

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र को प्रदेश व जनहित में उपयोगी बनाना जरूरी है। मायावती ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र, संक्षिप्त होने के बावजूद केवल औपचारिकता पूर्ति वाला नहीं हो, बल्कि इसको सही से प्रदेश व जनहित में उपयोगी बनाना जरूरी है, जिसके लिए सरकार एवं विपक्ष दोनों को अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थ, द्वेष व कटूता आदि को त्याग कर आगे बढऩा होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, संसद का जो अभी मानसून सत्र चल रहा है उसके भी पूरी तरह शान्तिपूर्ण तरीके से नहीं चलने से वह जन अपेक्षा के अनुसार सही से कार्य नहीं कर पा रहा है। इस कारण जनता व देश के ’वलंत मुद्दों पर पूरी गंभीरता से चर्चा नहीं हो पाने से लोगों में चिन्ता स्वाभाविक है। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘वैसे भी भारतीय व्यापार पर भारी अमेरिकी ‘टैरिफ’ के कारण देश की अर्थव्यवस्था व विकास पर जो बुरा प्रभाव पडऩे की आशंका है उसकी चर्चा व्यापक रूप से हर जगह गर्म है, जिसपर खास तौर से संसद में सही से चिन्तन-मनन करने की जरूरत है, क्योंकि यह देश के ‘अ‘छे दिन’ से जुड़ा देशहित का खास मुद्दा है’’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हल्के में लेकर देश के भविष्य को दाव पर नहीं लगाया जा सकता है और सरकार व विपक्ष दोनों इस पर उचित व समुचित ध्यान दें।

सिर्फ बीजेपी नहीं विपक्षी दलों में भी बेचैनी?

लखनऊ में सपा के हंगामे और दिल्ली में अखिलेश यादव के बैरिकेडिंग फांदने के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ गई है। यूपी में सपा लगातार यह मांग कर रही है कि मानसून सत्र केवल 4 दिन का न हो और इसको बढ़ाया जाए, ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आज विधानसभा के स्थगन के बाद आगे क्या फैसला होगा? अखिलेश के बैरिकेडिंग फांदने के साथ ही सपा एक्टिव हो गई है। सोशल मीडिया पर सपा के नेता अखिलेश का वीडियो शेयर कर लिख रहे हैं- पीडीए ने ठाना है, ,एसआईआर वापस करवाना है! सपा के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से लिखा गया- पीडीए मिलकर कहो एसआईआर तुरंत वापस लो। दिल्ली में अखिलेश के बैरिकेडिंग फांदने से न सिर्फ बीजेपी बल्कि समूचे विपक्ष को लेकर यह चर्चा शुरू हो गई है कि विरोध प्रदर्शन तो पूरे विपक्ष का था लेकिन महफिल सपा चीफ ने लूट ली।

ओह मॉय गॉड, कांग्रेस नेता वेणुगोपाल और कई सांसद मौत से बाल-बाल बचे

इमरजेंसी लैडिंग में भी लोचा, हवा में अटकी रही दो घंटे तक जान
कांग्रेस ने कहा हादसा या साजिश, जांच की गुजारिश
सैकड़ों यात्रियों की मौत से बस… इंच भर दूरी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। ईश्वर का धन्यवाद कि एक बड़े विमान हादसे की आहट टल गयी और सभी यात्री सकुशल जमीन पर उतरने में कामयाब हुए। घटना एयर इंडिया की फ्लाइट की है बीती रात यह फ्लाइट तिरुवनंतपुरम से दिल्ली जा रही थी। इस फ्लाइट में सैकड़ों यात्रियों के साथ कांग्रेस के दिग्गज नेता केसी वेणुगोपाल भी सफर कर रहे थे। एक घंटा देरी से उड़ान भरने वाली इस फ्लाइट में रास्ते में कुछ गड़बड़ हुई मौसम भी ठीक नहीं था। पायलट ने फ्लाइट को तुरंत चेन्नई की ओर मोड़ दिया गया। हद तो तब हो गयी जब चेन्नाई पहुंचने के बाद भी प्लेन को दो घंटे तक हवा में रूकना पड़ा।
यही नहीं लैंडिंग के संकेत मिलने के बाद जिस रनवे पर प्लेन को उतरना था वहां पहले से एक प्लेन खड़ा था। खैर हुई कि पायलट ने तुरंत प्लेन को हवा में लिया। बाद में रनवे पर खड़ा प्लेन हटाया गया और फिर प्लेन की सकुशल लैंडिंग हुई। प्लेन लैंड होने के बाद सभी यात्रियों ने राहत की सास ली और कहा कि बस आज तो मरते—मरते बचे हैं। कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण पर चिंता जाहिर करते हुए इसकी उ‘च स्तरीय जांच कराने की बात कहीं है।

डरावना सफर था : वेणुगोपाल

प्लेन में बैठे कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इस घटना को डरावना सफर बताया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट की। केसी वेणुगोपाल ने लिखा कि एयर इंडिया की फ्लाइट ्रढ्ढ 2455 त्रिवेंद्रम से दिल्ली जा रही थी। उसमें मैं, कई दूसरे सांसद और सैकड़ों यात्री थे। आज हम लोग बाल-बाल बच गए। यह सफर देरी से शुरू हुआ और बहुत डरावना था। उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद ही हम खतरे में थे। लगभग एक घंटे बाद, कैप्टन ने फ्लाइट सिग्नल में खराबी की घोषणा की। प्लेन को चेन्नई की ओर मोड़ दिया गया। लगभग दो घंटे तक हम चेन्नई हवाई अड्डे पर उतरने की अनुमति का इंतजार करते रहे। इस दौरान हमारी सांसे अटकी रहीं। केसी वेणुगोपाल ने इस भयावह सफर के बारे में बताया कि लैंडिंग के लिए दो घंटे मंडराने के बाद प्लेन लैंड करने वाला था। हम राहत की सांस लेते कि उससे पहले एक और जान जोखिम में डालने वाली घटना हुई। प्लेन जिस रनवे पर उतरा, उस पर पहले से ही एक और प्लेन था। हालांकि कैप्टन के तुरंत लिए गए फैसले ने एक बार फिर यात्रियों की जान बचाई। कैप्टन ने प्लेन हवा में ले लिया।

देरी से उड़ा था प्लेन

प्लेन तिरुवनंतपुरम से ही एक घंटे देरी से उड़ा था और फिर चेन्नई में इमरजेंसी लैंडिग के बाद हडक़ंप मच गया। इसी प्लेन में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल समेत कई और सांसद थे। उन्होंने इस खौफनाक सफर को बयां किया। एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 2455 को तिरुवनंतपुरम से शाम 7:15 बजे उड़ान भरना था। हालांकि यह एक घंटे लेट हुई और 8:17 बजे रवाना हो सकी। फ्लाइट को दिल्ली में रात 10:45 बजे लैंड होना था, लेकिन उसे चेन्नई में लैंड किया गया।

अचानक किया गया डायवर्ट

एयर इंडिया के प्रवक्ता ने बयान में कहा कि 10 अगस्त को तिरुवनंतपुरम से दिल्ली जा रही फ्लाइट एआई 2455 के क्रू मेंबर्स को कुछ तकनीकी खराबी की आशंका हुई। रास्ते में मौसम भी खराब था। पायलट ने सावधानी बरतते हुए फ्लाइट को चेन्नई की ओर मोड़ दिया गया। फ्लाइट चेन्नई में सुरक्षित लैंड हुई। उसके बाद उसकी जांच की गई। एयर इंडिया ने यात्रियों को हुई असुविधा के लिए माफी मांगी।

तुरंत एक्शन लिया जाए

केसी वेणुगोपाल ने जिम्मेदारी अफसरों और विभाग को टैग करते हुए लिखा कि यात्री सुरक्षा भाग्य पर निर्भर नहीं हो सकती। मैं डीजीसीए व सरकार से आग्रह करता हूं कि वे इस घटना की तत्काल जांच करें।

संघ प्रमुख भागवत ने मोदी सरकार को लगाई लताड़

बोले भागवत- शिक्षा-इलाज आम लोगों की पहुंच से बाहर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने भारत में स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा की बढ़ती लागत और दुर्गमता पर चिंता व्यक्त की। संघ प्रमुख के इस बयान को सरकार को आइना दिखाने जैसा लिया जा रहा है। किफायती कैंसर उपचार के लिए स्थापित माधव सृष्टि आरोग्य केंद्र का उद्घाटन करने के बाद भागवत ने कहा कि आज शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों ही आम लोगों की पहुंच से बाहर हो गए हैं। पहले ये दोनों काम सेवा के नाते किए जाते थे, लेकिन आज मनुष्य की सोच ने इसे कमर्शियल बना दिया है। कैंसर उपचार सुविधाओं में अंतर पर प्रकाश डालते हुए, भागवत ने बताया कि उन्नत देखभाल केवल आठ से दस भारतीय शहरों में उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि मरीजों को इलाज के लिए बड़ी रकम खर्च करने और लंबी दूरी तय करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। स्वास्थ्य देखभाल चिंता का कारण नहीं बनना चाहिए। बचपन की एक घटना को याद करते हुए, भागवत ने कहा कि जब मुझे मलेरिया हुआ और मैं तीन दिनों तक स्कूल नहीं गया, तो मेरे शिक्षक मेरे इलाज के लिए जंगली जड़ी-बूटियाँ लेकर घर आए। वह चाहते थे कि उनका छात्र स्वस्थ रहे। इस तरह की व्यक्तिगत देखभाल की समाज को फिर से ज़रूरत है। भागवत ने भारतीय परिस्थितियों में पश्चिमी चिकित्सा अनुसंधान को आंख मूंदकर लागू करने के प्रति भी आगाह किया और कहा कि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग प्रणालियों से लाभ होता है, चाहे वह प्राकृतिक चिकित्सा हो, होम्योपैथी या एलोपैथी हो। कोई भी एक तरीका सर्वो‘च नहीं हो सकता। भारतीय चिकित्सा प्रणालियां व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर इलाज करती हैं। स्वास्थ्य सेवा की तुलना करते हुए भागवत ने कहा कि कई क्षेत्रों में छात्रों को अभी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए दूर तक यात्रा करने की जरूरत है। उन्होंने कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी जैसे तकनीकी और औपचारिक शब्दों को भी खारिज कर दिया, भागवत ने कहा कि सेवा के संदर्भ में हमारे पास धर्म नामक एक शब्द है।

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