हम कुर्बानी देने को तैयार, यह देश के लिए सही नहीं- वक्फ संशोधन एक्ट पर बोले महमूद मदनी
महमूद मदनी ने वक्फ के विरोध में प्रदर्शन करने वालों से कहा, "हमने लोगों से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करें, हर लेवल पर विरोध-प्रदर्शन होने चाहिए." उन्होंने कहा कि जहां भी वक्फ एक्ट के नाम से हिंसा होगी वो आंदोलन को कमजोर करेगा. शांति से प्रदर्शन होना चाहिए. मुर्शिदाबाद हो या कहीं भी हो लेकिन हिंसा गलत है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महमूद मदनी ने वक्फ के विरोध में प्रदर्शन करने वालों से कहा, “हमने लोगों से अपील की है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करें, हर लेवल पर विरोध-प्रदर्शन होने चाहिए.” उन्होंने कहा कि जहां भी वक्फ एक्ट के नाम से हिंसा होगी वो आंदोलन को कमजोर करेगा. शांति से प्रदर्शन होना चाहिए. मुर्शिदाबाद हो या कहीं भी हो लेकिन हिंसा गलत है.
वक्फ संशोधन अधिनियम के देशभर में लागू होने के बाद भी इसके खिलाफ कई संगठन और राजनीतिक दल लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. वक्फ जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा, “यह वक्फ का मुद्दा नहीं बल्कि राजनीति से जुड़ा है. यह अधिनियम देश, समाज या मुसलमानों के लिए सही नहीं है.” उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए हम कु्र्बानी भी देने को तैयार हैं.
महमूद मदनी ने वक्फ के खिलाफ अपने प्रदर्शन पर कहा कि हमारी लड़ाई जारी रहेगी और खत्म नहीं होगी. चाहे इसके लिए जो भी कुर्बानी देनी पड़े. अगर सब्र भी करना पड़ा तो वो भी करेंगे. वक्फ अधिनियम के खिलाफ कई मुस्लिम संगठन अपनी बात रख रहे हैं. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में इसके खिलाफ प्रदर्शन के दौरान जमकर बवाल हुआ और कुछ लोगों की मौत भी हो गई.
पहले भी सरकारें चुनती थीं वक्फ बोर्डः मदनी
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने कहा, “यह वक्फ का मामला नहीं बल्कि पूरी तरह से राजनीति से जुड़ा है. मुसलमानों के नाम पर, कभी मुसलमानों को गाली देकर या फिर मुसलमानों का हमदर्द बनकर दुर्भावना के साथ इस अधिनियम को लागू किया गया है. यह अधिनियम या संशोधन देश, समाज या मुसलमानों के लिए सही नहीं है.” अब जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने दिल्ली में संगठन की बैठक के बाद कहा कि हम 3 मुख्य बातें कहना चाहते हैं.
बीजेपी और उसके सहयोगी लोगों के जरिए यह कहा गया कि पहले के वक्फ कानून में मनमानी चला करती थी. वो जो चाहते थे कर सकते थे. उन्होंने यह भी साफ किया कि पहले भी वक्फ बोर्ड एक व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत ही बनाए जाते थे. इसे सरकारें ही बनाती थीं, इसमें मुस्लिम समाज का कोई रोल नहीं होता था. सरकारें अपनी मर्जी के लोगों को शामिल किया करती थीं. उन्होंने यह भी कहा, “उनकी ओर से यह भी फैलाया गया कि ये लोग तो कहीं चीन से आए और बोर्ड बना लिया. जो आज कहते हैं कि वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया जबकि 2009 में वही कहते थे कि वक्फ की जमीन पर कब्जा हुआ. अब इतनी बड़ी तब्दीली हो गई तो ये मसला राजनीतिक है. उन्होंने हमदर्द बनकर गालियां दीं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. ये ना देश के लिए अच्छा है ना ही समाज के लिए.”
कब्जा करने वालों पर एक्शन की बात करते हुए मदनी ने कहा कि कब्जा करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए लिए. जबकि नया वक्फ अधिनियम बिल्डरों को फायदा पहुंचाने वाले हैं. उन्होंने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने देश की आजादी की जंग लड़ी और देश में रहना चुना, कुर्बानी दी. देश के संस्थापकों ने कुछ कमिटमेंट किए थे, लेकिन आज उनकी बुनियाद को रौंदा जा रहा है. लंबी लड़ाई की बात करते हुए मदनी ने कहा कि भैंस के आगे बीन बजाने से कुछ नहीं होगा. लेकिन एक नागरिक होने के नाते अब ये हमारी जिम्मेदारी है कि गरीब, दबे-कुचलें जिनको रौंदा जा रहा है. जिन्हें साइड लाइन कर दिया गया है. उनके हक के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी. यह खत्म नहीं होगी.
शांतिपूर्वक प्रदर्शन की बात करते हुए महमूद मदनी ने कहा, “हमने लोगों से अपील की है कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करें, हर लेवल पर विरोध-प्रदर्शन होने चाहिए.” उन्होंने कहा कि जहां भी वक्फ एक्ट के नाम से हिंसा होगी वो आंदोलन को कमजोर करेगा. शांति से प्रदर्शन होना चाहिए. मुर्शिदाबाद हो या कहीं भी हो लेकिन हिंसा गलत है.
इस दौरान नियाज फारुखी ने कहा कि आज विरोध करने वालों की आवाज को कुचला जा रहा है, सिर्फ काली पट्टी लगाने वालों पर केस किया जा रहा है. पूरे मुल्क में दहशत फैलाई जा रही है. मामला अब सिर्फ एक्ट का नहीं है. जो प्रोटेस्ट कर रहे हैं उनकी रहनुमाई भी जरुरी है. प्रोटेस्ट होगा चाहे जो हो जाए. चाहे गोली चले. हिंसा नहीं करनी है. यही महात्मा गांधी का रास्ता है. महमूद मदनी ने कहा कि जिसको जहां मौका मिलेगा वो वहीं पर प्रदर्शन करेगा. जहां तक मुर्शिदाबाद के जलने के सवाल है तो इससे जुड़े सवाल केंद्रीय गृह मंत्री से करना चाहिए.