कहीं नहीं देखा होगा ऐसा मेंढक, चमकती पारदर्शी है त्वचा
पानी की जगह पेड़ों पर पसंद है रहना
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मेंढक की कई प्रजातियां बहुत ही अनोखी होती हैं। इन्हीं में से मंकी फ्रॉग यानी बंदर मेंढक लीफ या ट्री फ्रॉग के वंश के होते हैं जो दक्षिण अमेरिका में पाए जाते हैं वैसे तो ये भी अपने जीवनचक्र के लिए पानी पर बहुत निर्भर होते हैं पर फिर भी इनमे से कुछ सूखे वातावरण में पनपते हैं। पराग्वे के अद्र्व शुष्क इलाकों में मंकी फ्रॉग की एक खास प्रजाति पाई जाती है जिसे वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग या वैक्सी मंकी लीफ फ्रॉग कहा जाता है। इसकी खास बात यही है कि यह ऐसी जगह पर पनपा है जहां जीवन के बारे में सोचना तक असंभव लगता है। रात को विचरण करने वाला यह वैक्सी मंकी ट्री मेंढक पेड़ों पर रहता है और कीड़े खाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका खुद को वातावरण के अनुकूल ढालने की क्षमता को बताया जाता है। इनमें से दो तिहाई की चमड़ी चमकते हुए मोम की होती है। वास्तव में इनकी चमड़ी पर एक खास ग्रंथि से चमकीली पारदर्शी परत निकलती है। मोम जैसा चमड़ी के होने से जिसे वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग नमी की गैरमौजूदगी में लंबे समय तक पानी को अपने अंदर रोके रख पाते हैं। यही कारण है कि यह धूप में लंबे समय तक बिना सूखे रह पाता है। ऐसा दूसरे सरीसृप नहीं कर पाते हैं। मेंढक इसेक लिएय़ कई तरह के उपाय अपनाते हैं। मेंढक की चमड़ी पर लगे पदार्थ जहरीले हो सकते हैं। लेकिन यह भी सच है कि इन पदार्थों को अभी तक अच्छे से समझा नहीं जा सका है। वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग की चमड़ी के पदार्थ ऐसे जहरीले होते हैं कि उससे हैपिटाइटिस हो सकता है। सके अलावा वे बहुत से अंग को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जबकि कई जगहों पर इसके हर्बल दवा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। जिसे वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग के नाम में मंकी होने की भी एक वजह है। ये इस तरह से बैठते हैं कि ऐसा लगता है कि कोई बंदर बैठा हुआ है। ये इस तरह से बैठते हैं कि लगता है कि कोई बंदर हाथ पैर फैलाए लटका हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे उनके जमीन या बैठने वाली जगह से कम से कम संपर्क होता है जिससे उनके चमड़ी के पदार्थ चिपके रहते हैं। जिसे वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग के नाम में मंकी होने की भी एक वजह है। ये इस तरह से बैठते हैं कि ऐसा लगता है कि कोई बंदर बैठा हुआ है। ये इस तरह से बैठते हैं कि लगता है कि कोई बंदर हाथ पैर फैलाए लटका हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे उनके जमीन या बैठने वाली जगह से कम से कम संपर्क होता है जिससे उनके चमड़ी के पदार्थ चिपके रहते हैं। वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग अपने मेटाबॉलिज्म को इतना कम कर सकते हैं कि वे एक तरह से हाइबेरनेशन की अवस्था में चले जाते हैं। यह भालू जैसे जानवर करते हैं जिससे वे बिना खाए पिए कई हफ्तों तक सुस्त पड़े रहे हैं और उन्हें कुछ नहीं होता है। ये मेंढक बहुत ही अधिक गर्मी में छोटे पैमाने परइसी के जैसी अवस्था ला देते हैं। लेकिन इनका यह धीमा मेटाबॉलिज्म कम समय के लिए रहता है। इन वैक्सी मंकी ट्री फ्रॉग का प्रजनन भी बहुत जटिल होता है। इनमें मादाएं पत्तियों की सतह पर अंडे देने का काम करती हैं। यह काम आम तौर पर मेंढक पानी में ही करते हैं। खास बात यह होती है कि ये पत्तियां पानी की तालाब या झील के ऊपर होते हैं जिससे लार्वा अंडे से निकल सीधे पानी में गिर जाते हैं।